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Over 1.49 crore ITR-4 were filed till January 10, as compared to 1.29 crore filed till September 10, 2019.
Union Budget 2021: हर साल पेश होने वाले आम बजट में अन्य घोषणाओं के साथ-साथ इस बात पर सबसे ज्यादा निगाह रहती है कि सरकार आयकर के मामले में क्या राहत देने वाली है. इस बार के बजट से भी कई उम्मीदें हैं. बजट 2020 में सरकार ने वैकल्पिक आयकर स्लैब लाकर और होम लोन पर 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती को एक साल बढ़ाने का प्रस्ताव कर बड़ी राहत दी थी. लेकिन वेतनभोगी करदाताओं को सरकार से कुछ अन्य राहतों की भी दरकार है. आयकर कानून के तहत टैक्स डिडक्शन का पूरा फायदा करदाताओं को मिल सके, इसके लिए बजट 2021 में इन 4 सिफारिशों पर गौर किए जाने की जरूरत है...
5 लाख रु तक के होम लोन डिडक्शंस के लिए नया सेक्शन
टैक्स डिडक्शंस को क्रम में सुव्यवस्थित करने की जरूरत है ताकि यह घर खरीदने वाले सभी करदाताओं को फायदा हो. अभी घर के लिए होम लोन लेने वालों को आयकर कानून के सेक्शन 80C, 24b, 80EE और 80EEA के तहत डिडक्शंस का लाभ मिलता है. इन सभी को मिलाकर एक सिंगल टैक्स सेक्शन बनाया जाना चाहिए, जो केवल होम लोन के भुगतान के लिए हो और इस भुगतान में ब्याज और लोन का मूलधन दोनों शामिल हों.
इन सेक्शंस को इसलिए भी सुव्यवस्थित करना जरूरी है क्योंकि सेक्शन 80EE और 80EEA के तहत दूसरी बार लोन पर घर खरीदने वालों को फायदा नहीं मिलता है. आय की सीमा के चलते पहली बार में ही परफेक्ट साइज का घर खरीद लेना हर किसी के लिए संभव नहीं होता है. सुव्यवस्थित टैक्स कोड घर खरीदने वाले सभी करदाताओं के लिए मददगार होना चाहिए.
सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन की 1.5 लाख रुपये तक की सीमा कम है और यह परिवारों के लिए उनके लोन पेमेंट्स, इंश्योरेंस प्रीमियम और जरूरी खर्चों की फुल वैल्यू प्राप्त करने को अंसभव बनाती है. शहरों में तो ये सभी खर्च मिलाकर आराम से 1.5 लाख रुपये तक की सीमा पार हो जाती है. होम लोन पेमेंट्स के लिए अलग सेक्शन करदाताओं के लिए खर्चों पर उच्च डिडक्शन प्राप्त करने में मददगार रहेगा.
सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ाकर 3 लाख की जाए
लाइफ इंश्योरेंस और होम लोन पेमेंट्स के लिए नए टैक्स डिडक्शंस के साथ आयकर कानून के सेक्शन 80C की लिमिट में बढ़ोत्तरी अधिक से अधिक लोगों को न केवल होम लोन और टर्म इंश्योरेंस लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी, बल्कि उन्हें सरकारी स्कीम्स जैसे ईपीएफ, पीपीएफ में ज्यादा निवेश करने के लिए भी प्रेरित करेगी.
25000 रु के टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम्स के लिए अलग डिडक्शंस
करदाताओं को उनके विभिन्न जरूरी खर्चों जैसे इंश्योरेंस प्रीमियम्स के लिए टैक्स डिडक्शन के तहत पूरा फायदा उपलब्ध कराना जरूरी है. सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की डिडक्शन लिमिट अपर्याप्त है विशेषकर ऐसे लोगों के लिए जिनके खर्चे जटिल हैं, परिवार के लोग उन पर निर्भर हैं और वित्तीय देनदारियां हैं. इसलिए लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम्स को सेक्शन 80सी से निकालकर एक नए सेक्शन में डालना एक अच्छा पहल होगी.
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सेक्शन 80TTA की लिमिट बढ़ाकर 30000 रु करना
अभी आयकर कानून के सेक्शन 80TTA के तहत बैंक/को-ऑपरेटिव सोसायटी/पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स अकाउंट के मामले में 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति या HUF (Hindu Undivided Family) के लिए 10000 रुपये सालाना तक की ब्याज आय पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. इस लिमिट को बढ़ाकर 30000 रुपये किया जाना चाहिए. इस कदम से लोगों को घर में कैश रखने के बजाय उसे बैंक के सेविंग्स अकाउंट में रखने की दिशा में प्रोत्साहन मिलेगा.
Article: आदिल शेट्टी, CEO, bankbazaar.com