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सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर हॉस्पिटलाइजेशन से जुड़े खर्चों पर टैक्स राहत देगी.
Budget 2021 Expectations: वित्त वर्ष 2021-11 के लिए पेश होने वाला बजट कई मायनों में खास है क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे कोरोना महामारी के बीच पेश करेंगी. ऐसे में सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर हॉस्पिटलाइजेशन से जुड़े खर्चों पर टैक्स राहत देगी. देश में स्वास्थ्य बीमा अभी चलन में नहीं है और अधिकतर लोगों के स्वास्थ्य बीमे का कवर कोरोना वायरस के कारण हॉस्पिटलाइजेशन के खर्चे से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है. इसके लिए अस्पताल से जुड़े खर्चों के लिए देश भर में कोई एक निर्धारित मानक नहीं है. इसके अलावा हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन की सीमा में बढ़ोतरी की जा सकती है.
हेल्थ इंश्योरेंस को बढ़ावा देने को जीएसटी रेट घटाने की मांग
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के ईडी और सीईओ राकेश जैन का कहना है कि सरकार को बजट में जिस तरह आयुष्मान भारत में पैकेज निर्धारित किए गए हैं, वैसे ही कोविड19 के इलाज के दौरान अस्पताल से जुड़े खर्चों पर अस्पतालों के लिए पैकेज की घोषणा करनी चाहिए. जैन के मुताबिक कई लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस ही नहीं है और कई लोगों का हेल्थ कवर जरूरत से बहुत कम है जिसके कारण कोरोना महामारी ने लोगों को वित्तीय तौर पर बहुत अधिक प्रभावित किया. इसके अलावा सरकार से कोरोना मरीजों के इलाज पर आने वाले खर्च को भी स्टैंडर्ड बनाने की उम्मीद की जा रही है क्योंकि इससे बहुत लोग प्रभावित हो रहे हैं. जैन का कहना है कि सरकार को हेल्थ इंश्योरेंस को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी रेट 18 फीसदी से कम कर 5 फीसदी करना चाहिए.
सेक्टर 80DDB के तहत कोरोना को शामिल किए जाने की मांग
टैक्स नियमों के मुताबिक न्यूरो बीमारियांस कैंसर, एड्स और क्रोनिक रेनल फेल्योर समेत कई बीमारियों के लिए सेक्शन 80डीडीबी के तहत सालाना 40 हजार रुपये तक का टैक्स डिडक्शन लाभ मिलता है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 1 लाख रुपये है. जैन का कहना है कि केंद्र सरकार को कोरोना के इलाज पर आए खर्च को सेक्शन 80डीडीबी के तहत लाना चाहिए.
कोरोना महामारी के चलते स्वास्थ्य बीमा लेने वालों की संख्या बढ़ रही है. जैन का कहना है कि हेल्थ कवर की जरूरत बढ़ गई है, ऐसे में सरकार को हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स एग्जेंप्शन को बढ़ाना चाहिए ताकि टैक्पेयर्स हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर प्रेरित हों. जैन के मुताबिक सेक्शन 80डी के तहत सरकार को स्वयं व माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस की प्रीमियम पर 25 हजार की अतिरिक्त छूट देनी चाहिए. वर्तमान में सेक्शन 80डी के तहत 25 हजार रुपये तक के हेल्थ प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. वरिष्ठ नागरिकों के मामले में यह सीमा 50 हजार रुपये है. जैन का मानना है कि टैक्स इंसेटिव्स बढ़ने पर अधिक से अधिक लोग हेल्थ इंश्योरेंस कवर बढ़वाएंगे. इलाज पर खर्च महंगा होता जा रहा है, ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस में अधिक कवरेज लेना चाहिए.
(स्टोरी- सुनील धवन)