scorecardresearch

Budget 2021 FE Poll: हेल्थकेयर मजबूत करने को प्राथमिकता दे सरकार, 52% लोगों ने बजट के लिए दिया यह सुझाव

Budget 2021 FE Poll: 52 फीसदी लोगों का मानना है कि सरकार को सबसे अधिक खर्च हेल्थकेयर को मजबूत बनाने पर करना चाहिए.

Budget 2021 FE Poll: 52 फीसदी लोगों का मानना है कि सरकार को सबसे अधिक खर्च हेल्थकेयर को मजबूत बनाने पर करना चाहिए.

author-image
Jeevan Deep Vishawakarma
एडिट
New Update
MSME Budget 2021 Expectations, Budget 2021 Expectations for MSME

The pandemic has been an incredible strain on the MSME sector. It, impacted the earnings from 20 per cent – 50 per cent.

Budget 2021 FE Poll: कोरोना महामारी के दौर में लोगों को देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की यथास्थिति का पता चला. ऐसे में अधिकतर लोग अपने आस-पास बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं. अगले बजट में उन्हें उम्मीद है कि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने पर ध्यान देगी. Financial Express Online (Hindi) ने इसे लेकर एक पोल शुरू किया जिसमें पाठकों की राय जानने का प्रयास किया गया कि वे बजट से क्या चाहते हैं. इस पोल में सामने आया कि आधे से अधिक 52 फीसदी लोगों का कहना है कि सरकार को आगामी बजट में हेल्थकेयर पर खर्च बढ़ाना चाहिए.

पोल में पाठकों से पूछा गया था कि उनके मुताबिक अगले बजट में सरकार को किस मद में खर्च को प्राथमिकता देनी चाहिए. इसमें विकल्प के तौर पर स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और शोध फैसिलिटी दिया गया था. इन विकल्पों में सबसे अधिक 52 फीसदी लोगों का मानना है कि सरकार को सबसे अधिक खर्च हेल्थकेयर को मजबूत बनाने पर करना चाहिए. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट अगले साल 1 फरवरी 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी.

बजट में हेल्थकेयर पर अधिक खर्च की मांग

Advertisment

स्वास्थ्य को लेकर अभी तक लोग अधिक जागरुक नहीं रहे हैं लेकिन अब इसे लेकर सबसे अधिक जागरुकता देखी जा रही है. चालू वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए महज 3.6 फीसदी बजट आवंटित किया. यह ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) में सबसे कम है. FE Online (Hindi) के पोल में 52 फीसदी लोगों के मुताबिक सरकार को इस बार स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट आवंटन बढ़ाना चाहिए.

यह भी पढ़ें- एक्सिस म्यूचुअल फंड ने मल्टीकैप फंड का नाम बदला

हेल्थकेयर के बाद रिसर्च फैसलिटी पर रहा फोकस

आगामी बजट में अधिकतर लोग हेल्थकेयर के लिए अधिक बजट आवंटन चाहते हैं. इसके अलावा 24 फीसदी लोगों का मानना है कि सरकार को रिसर्च फैसिलिटी को मजबूत करना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' तभी बेहतरीन तरीके से साकार हो पाएगी, जब देश में R&D (रिसर्च व डेवलपमेंट) फैसिलिटी मजबूत होगी. R&D से न सिर्फ देश में मैनुफैक्चरिंग बढ़ेगी बल्कि उत्पादन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी. भारत में अभी भी R&D पर बहुत कम खर्च किया जाता है. हालांकि इसमें समय के साथ बढ़ोतरी हो रही है. मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के आंकड़ों के मुताबिक 2008 से 2018 के बीच R&D तीन गुना बढ़ा. हालांकि ब्रिक्स देशों की बात करें तो वित्त वर्ष 2017-18 में भारत में R&D पर सबसे कम, जीडीपी का महज 0.7 फीसदी खर्च हुआ. ब्रिक्स देशों में R&D पर सबसे अधिक चीन में, जीडीपी का 2.1 फीसदी खर्च किया गया.

गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने की मांग

पोल में 16 फीसदी लोगों का कहना है कि सरकार को अब प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भी बजट में प्रावधान करना चाहिए. कोरोना महामारी के कारण बहुत से श्रमिक अपने गांव वापस लौट गए थे और अभी भी कई लोग गांव में ही हैं. वे सरकार से आस लगाए बैठे हैं कि सरकार उनके लिए गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराएगी. गांव में रोजगार उपलब्ध कराने का एक माध्यम मनरेगा है जिसके जरिए प्रवासी श्रमिकों को अपने आस-पास ही सालाना 100 दिन के रोजगार की गारंटी मिलती है. पिछले छह वर्षों से मनरेगा का बजट आवंटन बढ़ रहा है. चालू वित्त वर्ष में भी बजट आवंटन पिछले वित्त वर्ष की तुलना में बढ़ा लेकिन रिवाइज्ड आवंटन की तुलना में बहुत कम था. पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में बजट के समय मनरेगा के लिए 60 हजार करोड़ आवंटित किया था लेकिन इसे बाद में रिवाइज्ड कर 71 हजार करोड़ कर दिया गया. इसकी तुलना में 2020-21 में 61 हजार करोड़ का बजट आवंटित किया गया. हालांकि कोरोना महामारी के चलते वित्त मंत्री ने मई में मनरेगा के लिए 40 हजार करोड़ रुपये को अतिरिक्त आवंटित किया था. ऐसे में अगले बजट के लिए भी आवंटन बढ़ाया जाता है तो प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है.

शिक्षा पर खर्च बढ़ाने की मांग

कोरोना महामारी के कारण मार्च से ही स्कूल-कॉलेज बंद पड़े हैं और लगातार ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई चल रही है. अभी तक स्कूल-कॉलेज में जाकर पढ़ाई सुचारू रूप से शुरू नहीं हो पाई है, ऐसे में शिक्षा पर खराब प्रभाव न पड़े तो 8 फीसदी लोगों का मानना है कि सरकार को ऑनलाइन एजुकेशन को बजट में प्राथमिकता देनी चाहिए. भारत में जीडीपी का 4.6 फीसदी शिक्षा पर खर्च होता है जो नीति आयोग के प्रस्ताव के मुताबिक बहुत कम है. नीति आयोग के मुताबिक देश में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शिक्षा पर खर्च बढ़ाकर 6 फीसदी किया जाना चाहिए.

(FE Hindi के ट्विटर हैंडल पर जाकर पोल में हिस्सा ले सकते हैं.)

Nirmala Sitharaman Narendra Modi Budget2021