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सवाल यह है कि यह इकोनॉमिक सर्वे क्या होता है और इसका बजट से क्या लेना-देना है, आइए इस बारे में जानते हैं.
Indian Union Budget 2021-22: वित्त वर्ष 2021-22 का बजट 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी. यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट होगा. कोरोना महामारी और उसके बाद आर्थिक संकट के कारण यह बजट बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. बजट से ठीक एक दिन पहले सरकार संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश करती है. हालांकि, इस साल यह 29 जनवरी को पेश होगा. सवाल यह है कि यह इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) क्या होता है और इसका बजट से क्या लेना-देना है, आइए इस बारे में जानते हैं.
क्या होता है इकॉनोमिक सर्वे ?
आम भाषा और सरल शब्दों में समझें तो इकोनॉमिक सर्वे में देश की आर्थिक सेहत का लेखा-जोखा होता है. सरकार इस दस्तावेज के जरिए देश को यह बताती है कि अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है. सरकार की योजनाएं कितनी तेजी से आगे बढ़ रही हैं. सालभर में विकास का क्या ट्रेंड रहा, किस क्षेत्र में कितना निवेश हुआ-विकास हुआ, योजनाओं को किस तरह अमल में लाया गया जैसे सभी पहलुओं पर इस सर्वे में सूचना दी जाती है. इसमें सरकार की नीतियों की जानकारी होती है. इसके जरिए सरकार अर्थव्यवस्था की संभावनाओं का विश्लेषण किया जाता है.
यह सर्वे एक विशेष टीम तैयार करती है. आर्थिक सर्वेक्षण, मुख्य आर्थिक सलाहकार के साथ वित्त और आर्थिक मामलों की जानकारों की टीम इसे तैयार करती है. वर्तमान में देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम हैं.
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इकोनॉमिक सर्वे का बजट से संबंध
अक्सर, इकोनॉमिक सर्वे आम बजट के लिए नीति दिशानिर्देश के रूप में कार्य करता है. हालांकि, इसकी सिफारिशें सरकार लागू करे, यह अनिवार्य नहीं होता है. इकोनॉमिक सर्वे में नीतिगत विचार, आर्थिक मापदंडों पर प्रमुख आंकड़े, गहराई से व्यापक आर्थिक रिसर्च और क्षेत्रवार आर्थिक रूझानों का गहन विश्लेषण शामिल होता है.
साल 2015 के बाद इकोनॉमिक सर्वे को दो हिस्सों मे बांटा गया है. पहले हिस्से में अर्थव्यवस्था की स्थिति की हालत बताई जाती है, जो आम बजट से पहले जारी किया जाता है. दूसरे हिस्से में प्रमुख आंकड़े और डेटा होते हैं, जो जुलाई या अगस्त मे पेश किया जाता है. पेश किए जाने का यह विभाजन तब से लागू हुआ जब फरवरी 2017 में आम बजट को अंतिम सप्ताह के बदले पहले सप्ताह में पेश किया जाने लगा.