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Budget 2022 Expectations: ऑटो सेक्टर को बजट से बड़ी उम्मीदें, चिप शॉर्टेज और महामारी के झटकों से उबरने में मिलेगी मदद

Budget 2022 Expectations for Auto Sector: कोरोना महामारी के झटकों से अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे उबर रही है लेकिन ऑटो सेक्टर अभी भी जूझ रही है.

Budget 2022 Expectations for Auto Sector: कोरोना महामारी के झटकों से अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे उबर रही है लेकिन ऑटो सेक्टर अभी भी जूझ रही है.

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Budget 2022 Expectations : Auto Sector: कोरोना महामारी के झटकों से अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे उबर रही है लेकिन ऑटो सेक्टर अभी भी जूझ रहा है. अगले वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में अगर ऑटो सेक्टर के लिए सरकार कुछ एलान करती है तो इस इंडस्ट्री को प्रभावी तरीके से पटरी पर लौटने में मदद मिलेगी. पिछला दो साल दोपहिया इंडस्ट्री के लिए बहुत बुरा रहा है और इस साल भी खास उम्मीद नहीं दिख रही है. ऐसे में ऑटो सेक्टर के दिग्गजों का मानना है कि सरकार बजट के जरिए इसे राहत दे सकती है और पटरी पर लौटने में मदद कर सकती है. अगले वित्त वर्ष का बजट 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी.

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इंफ्रा में निवेश बढ़ाने की मांग

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कार रेंटल प्लेटफॉर्म Zoomcar के सीईओ और को-फाउंडर ग्रे मोरान के मुताबिक अगर सरकारी नीतियों और सहारे के दम पर ऑटो सेक्टर में तेजी लौट सकती है. आने वाला दौर इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EVs) का है और कई भारतीय व इंटरनेशनल कंपनियां इस सेग्मेंट में निवेश करना चाहती हैं. ऐसे में जूमकार के सीईओ ने सुझाव दिया है कि सरकार को ईवी के इस्तेमाल और इसके निर्माण को बढ़ावा देने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करना चाहिए. इसमें चार्जिंग कियोस्क जैसे ईवी से जुड़े हुए घटक को विकसित करने की जरूरत भी शामिल है यानी कि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा दिया जाए तो इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर रूझान बढ़ सकता है. इसके अलावा जूमकार को को-फाउंडर ने आगामी बजट से ट्रैवल व ट्रेड इंडस्ट्री के लिए अधिक टैक्स इंसेंटिंव की उम्मीद जताई है.

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आसान फाइनेंसिंग से बढ़ सकती है ईवी इंडस्ट्री

फिनटेक लेंडिंग प्लेटफॉर्म RevFin Financial Services के फाउंडर और सीईओ समीर अग्रवाल के मुताबिक फाइनेंस की सुविधा उपलब्ध होने पर ईवी को लेकर रूझान बढ़ाया जा सकता है. सरकार पहले ही सब्सिडी के जरिए पैसेंजर ईवी की मांग को बढ़ा चुकी है लेकिन अभी सफर लंबा है यानी कि अभी भी इसे लेकर बहुत आकर्षण नहीं है. इसके अलावा कॉमर्शियल ईवी सेग्मेंट में फाइनेंसिंग की सुविधा नहीं होने के चलते इसे दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अग्रवाल के मुताबिक यह इंडस्ट्री वर्ष 2030 तक 15 हजार करोड़ डॉलर (11.22 लाख करोड़ रुपये) का हो सकता है. ऐसे में उन्होंने वित्त मंत्री का ध्यान आसान तरीके से फाइनेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराने की तरफ आकर्षित कराया है.

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चिप शॉर्टेज के मौके को भुनाने का सुझाव

CredR के सीईओ और को-फाउंडर शशिधर नंदीगाम के मुताबिक चिप की किल्लत के चलते दोपहिया वाहनों को कीमतों में बढ़ोतरी और मांग के मुताबिक आपूर्ति न होने की दोहरी समस्याओं का सामना करना पड़ा. नंदीगाम के मुताबिक सरकार इसे सुनहरे अवसर के रूप में भुना सकती है.चिप की किल्लत दुनिया भर में है तो अगर इसे घरेलू स्तर पर बनाया जाए तो न सिर्फ इसके आयात पर निर्भरता कम होगी बल्कि सप्लायर बनने का भी मौका है. क्रेडआर के सीईओ के मुताबिक सब्सिडी और इंसेटिंव के जरिए ईवी सेक्टर में तेजी की उम्मीद है.

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स्टार्टअप्स के लिए खास विंडो बनाने की मांग

कार रेंटल व कार सब्सक्रिप्शन प्लेटफॉर्म Myles Cars की फाउंडर साक्षी विज के मुताबिक देश में इंडिविजुअल और कॉ़मर्शियल ईवी की मांग बढ़ाने के लिए इंसेटिंव को बढ़ावा देना चाहिए. कोरोना महामारी के बाद वैश्विक समीकरण बदले हैं और कंपनियां प्रोसेस्ड गुड्स इंडस्ट्री के लिए चीन के अलावा अन्य देशों को विकल्प के रूप में निवेश के लिए देख रही हैं. ऐसे में विज का मानना है कि भारत इस अवसर का फायदा उठा सकता है और देश में ईवी-मैन्यूफैक्चरिंग हब तैयार किया जाता सकता है. विज ने उम्मीद जताई है कि बजट में ईवी फाइनेंसिंग को बढ़ावा देने और ग्राहकों को प्रोत्साहित करने के लिए अहम एलान किए जाएंगे. उन्होंने आयात के लिए उचित टैक्सेशन की मांग की है ताकि देश में अधिक से अधिक ईवी के विकल्प उपलब्ध कराए जा सकें. इसके अलावा स्टार्टप्स के लिए ऐसा विंडो बनाए जाने की वकालत की है जहां उनकी पहुंच आसानी से हो सके.

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पीपीपी के जरिए R&D को बढ़ावा देने की मांग

ऑटो सेक्टर को चिप की कमी के अलावा कोरोना महामारी के चलते बार-बार लगाए जाने वाले लॉकडाउन के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में Intangles Lab के एनालिटिक्स प्रमुख अमन सिंह के मुताबिक इस समय सबसे अधिक ध्यान कमोडिटी के बढ़ते भाव पर देने की जरूरत है जिससे ऑटो इंडस्ट्री के लांग टर्म हित प्रभावित हो रहे हैं. इसके अलावा ईवी की बात करें तो कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल इकोनॉमी (CAFE) नॉर्म्स के मुताबिक सरकार कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती है और ईवी इंफ्रा की बढ़ी लागत के चलते गाड़ियों के भाव बढ़ने की चुनौतियां भी है.

ऐसे में ऑटो सेक्टर टैक्स इंसेटिंव और नियामकीय राहतों की उम्मीद कर रहा है ताकि ईवी इकोसिस्टम में अधिक से अधिक निवेश आ सके. अमन सिंह के मुताबिक ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाए जाने की जरूरत है और मैन्यूफैक्चरिंग व आरएंडडी (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) पर इंसेटिंव दिए जाने की जरूरत है. अमन सिंह ने भारतीय परिस्थितियों के मुताबिक ईवी तकनीकी को एक फिक्स्ड टर्म गोल में विकसित करने के उद्देश्य से पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के जरिए आरएंडडी के लिए पैसे जारी करने की सलाह दी है.

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