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भारत में सोना और चांदी लंबे समय से संपत्ति के रूप में सहेजने की परंपरा रही है. विवाह-त्योहार जैसे शुभ अवसरों पर इन्हें खरीदने की परंपरा रही है. इन्हें निवेश का सुरक्षित विकल्प माना जाता रहा है. (Image- Reuters)
Budget 2022 Expectations for Gold-Silver: भारत में सोने और चांदी को लंबे समय से संपत्ति के रूप में सहेजने की परंपरा रही है. विवाह-त्योहार जैसे शुभ अवसरों पर इन्हें खरीदारी की जाती है. इन्हें निवेश का सुरक्षित विकल्प माना जाता रहा है जिसे पीढ़ियों तक ट्रांसफर किया जाता है. सोने की कीमत अन्य धातुओं की तुलना में ऊंची है लेकिन पिछले कुछ समय से चांदी के भाव में तेज उछाल दिखी है. पिछले साल बजट पेश होने के बाद से सोने और चांदी का प्रदर्शन बेहतर रहा है और इंडस्ट्री में रोजगार के नए मौके बने.
पिछले साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयात शुल्क में कटौती का एलान किया था. अब इस साल एक फरवरी को वित्त मंत्री अगले वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करेंगी जिससे जेम्स ऐंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) की कई उम्मीदें जुड़ी हई हैं. इंडस्ट्री की उम्मीद है कि सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं पर आयात शुल्क में कमी होगी. इससे भारत इनके निर्यात में शीर्ष देशों में शुमार हो सकता है. इसके अलावा रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे.
आयात शुल्क में हो कमी
गोल्ड एसोसिएशंस ने सरकार से आग्रह किया है कि सोने पर आयात शुल्क को 7.5% से घटाकर 4% किया जाए. इससे वर्ष 2019 में आयात शुल्क में वृद्धि के बाद से सोने की बढ़ती तस्करी पर रोक लगेगी. केंद्र सरकार ने इससे पहले वर्ष 2019 में चालू खाता में बढ़ते घाटे के कारण सोने और चांदी के आयात शुल्क में बढ़ोतरी की थी जिसे पिछले साल के बजट में वित्त मंत्र, निर्मला सीतारमण ने घटाकर 12.5% से 7.5% करने का एलान किया था. वर्ष 2019 के बजट के पहले जीआईसी (जेम्स एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल) ने सोने पर आयात शुल्क में 4% तक कमी की माँग की थी, जो पिछले बजट में तय किए गए 7.5% से बहुत कम है. अगर बजट में आयात शुल्क (इंपोर्ट ड्यूटी) में कमी की जाती है तो सीधे तौर पर सरकार को हजारों करोड़ का झटका लगेगा, लेकिन सोने की तस्करी रुकने पर सरकार को अधिक फायदा होगा.
जीएसटी में बढ़ोतरी की मांग
सोने-चांदी के कारोबारियों को उम्मीद है कि सरकार गोल्ड पर जीएसटी बढ़ा सकती है. इससे इंडस्ट्री के वर्किंग कैपिटल कॉस्ट को कम करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा यह धीरे-धीरे ज्वैलरी इंडस्ट्री में रोजगार बढ़ाने और घटते आयात शुल्क को लेकर घाटों को निपटाने में मदद करेगा.
कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स को समाप्त करने का आग्रह
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) को उम्मीद है कि पूरे देश में डब्बा कारोबार को रोकने के लिए सरकार से वस्तु सौदा कर (कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स- CTT) खत्म कर सकती है.
बिना केवाईसी खरीद सीमा में बढ़ोतरी
ज्वैलरी इंडस्ट्री ने आग्रह किया है कि बिना केवाईसी के गोल्ड और सिल्वर के ज्वैलरी की खरीद सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर देना चाहिए. यह सीमा अभी 2 लाख रुपये पर सीमित है यानी कि अभी 2 लाख रुपये से कम के गहने खरीदने के लिए पैन या आधार की जानकारी देना जरूरी नहीं है.
(आर्टिकल: विदित गर्ग, डायरेक्टर, मायगोल्डकार्ट)