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कोरोना महामारी ने हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत और उसके महत्व को बढ़ा दिया है.
Budget 2022 Expectations From Health Insurance Sector: साल 2020, 2021 और अब 2022 में भी देश में कोरोना वायरस महामारी ने आम लोगों पर जमकर प्रभावित किया है. देश में कोरोना वायरस की पहली और दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर चल रही है. ऐसे में हेल्थकेयर सेक्टर पर तो फोकस बढ़ा ही है, एक और सेक्टर जो फोकस में आया है, वह है हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर (Health Insurance Sector). कोरोना महामारी ने हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत और उसके महत्व को बढ़ा दिया है. देखा जाए तो देश की एक बड़ी आबादी अभी भी हेल्थ इंश्योरेंस की सुरक्षा से दूर है. ऐसे में इस सेक्टर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से काफी उम्मीदें हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी आनलाइन ने इस बारे में Medi Assist Healthcare Services के CEO और डायरेक्टर सतीश गिडुजु से राय जाननी चाही है.
पूरी आबादी को कैसे मिलेगी सुरक्षा
सतीश गिडुजु का कहना है कि COVID-19 महामारी ने प्रीवेंटिव हेल्थकेयर के सब्जेक्ट पर खास फोकस बढ़ाया है. वहीं आम लोगों को पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस कवर खरीदकर खुद को सुरक्षित करने के लिए प्रेरित किया है. हालांकि, मेडिकल पर ज्यादा खर्च या नौकरी छूटने या किसी अन्य वजह से इनकम घटने के चलते कई भारतीय खर्च की गई प्रीमियम राशि को बचाने के लिए अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के कवरेज को कम कर रहे हैं. करीब 30 फीसदी भारतीय आबादी अब तक इंश्योर्ड भी नहीं है. सरकार का लक्ष्य 2030 तक नहीं है और आपके पास एक खतरनाक स्थिति है जो हमारे देश के 2030 यूनिवर्सल हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज (UHC) प्राप्त करने का लक्ष्य है, लेकिन इतनी बड़ी आबादी अबतक इससे दूर है.
GST दरों पर मिले राहत
इसलिए जरूरी है कि टैकस भरने वाली आबादी को हायर हेल्थ इंश्योरेंस कवर चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, जबकि सरकार भारत की आबादी के निचले 50 फीसदी आबादी पर पहले से ही फोकस कर रही है. सरकार को बजट 2022 में हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर GST दरों को कम करना चाहिए. वहीं, बजट में इम्प्लॉई हेल्थ इंश्योरेंस के लिए भुगतान किए गए GST पर इनपुट क्रेडिट की अनुमति देने और इम्प्लॉई मेडिकल रीइम्बर्समेंट पर अनुलाभ कर को पूरी तरह से खत्म करने का एक अवसर है. यह स्वास्थ्य बीमा को ओवरआल अपनाने पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पैदा करेगा.
80D के तहत मिलने वाली छूट बढ़े
उनका कहना है कि सरकार को बजट में हेल्थ इंश्योरेंस पर सेक्शन 80D के तहत मिलने वाली छूट को कम से कम डबल करना चाहिए. इससे टैक्सपेयर्स की बचत होगी, जिसका इस्तेमाल हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज को बढ़ाने में किया जा सकता है. अगर आगामी यूनियन बजट में ये एलान किए जाते हैं तो आम भारतीय नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी. वहीं उन्हें भविष्य की किसी भी महामारी के लिए बेहतर तरीके से तैयार होने में मदद मिलेगी.