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Budget 2022: MSME सेक्टर पर कोविड-19 की मार, वित्त मंत्री के ये एलान सेक्टर को दे सकते हैं रफ्तार

कोविड-19 की मार जिन सेक्टर पर सबसे ज्यादा पड़ी है, उनमें MSME सेक्टर भी शामिल है. तीसरी लहर ने एक बार फिर रुकावट पैदा की है. मौजूदा समय में कुछ बंदिशों के चलते छोटे कारोबार को दिक्कतें आने लगी है.

कोविड-19 की मार जिन सेक्टर पर सबसे ज्यादा पड़ी है, उनमें MSME सेक्टर भी शामिल है. तीसरी लहर ने एक बार फिर रुकावट पैदा की है. मौजूदा समय में कुछ बंदिशों के चलते छोटे कारोबार को दिक्कतें आने लगी है.

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Sushil Tripathi
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Budget 2022: MSME सेक्टर पर कोविड-19 की मार, वित्त मंत्री के ये एलान सेक्टर को दे सकते हैं रफ्तार

कोविड-19 की मार जिन सेक्टर पर सबसे ज्यादा पड़ी है, उनमें MSME सेक्टर भी शामिल है.

Budget 2022 Expectations From MSME Sector: कोराना वायरस महामारी की दो लहर के बाद एमएसएमई (MSME) सेक्टर में रिकवरी शुरू हुई ही थी कि देश में तीसरी लहर ने एक बार फिर रुकावट पैदा की है. मौजूदा समय में कुछ बंदिशों के चलते MSME सेक्टर पर फिर असर पड़ने की आशंका है. छोटे कारोबार को दिक्कतें आने भी लगी है. ऐसे में पूरे सेक्टर की नजर 1 फरवरी को यूनियन बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के एलानों पर टिक गई हैं. यह अहम सवाल है कि यूनियन बजट में छोटे खुदरा विक्रेता सरकार से क्या उम्मीद करते हैं. सरकार के किन एलान से पूरे सेक्टर को एक बार फिर बूस्ट मिल सकता है. इस बारे में फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी आनलाइन ने किको लाइव के सहसंस्थापक आलोक चावला से उनकी राय जाननी चाही है. बता दें कि संगठित और असंगठित रूप से देश के रिटेल और लॉजिस्टिक इंडस्ट्री में करीब 4 करोड़ भारतीय आबादी काम कर रही है.

डिजिटलाइजेशन को रफ्तार देने की जरूरत

आलोक चावला का कहना है कि सेक्टर को रफ्तार देने के लिए डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देना अभी बेहद जरूरी है, लेकिन बहुत सी चीजें हैं ऐसी है जो इसके साथ डेवलप होती हैं. देखें तो भारत में रिटेल दुकानों का साइज छोटा है. देश में 1.4 करोड़ से अधिक आउटलेट आपरेट होते हैं और उनमें से सिर्फ 4 फीसदी ही 500 वर्ग फुट से बड़े साइज के हैं. कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के चलते वर्तमान स्थिति ठीक नहीं है. यहां तक कि मौजूदा कोरोना लहर भी एमएसएमई और छोटे रिटेल कारोबारियों के लिए निगेटिव माहौल पैदा कर रही है. ई-कॉमर्स ने रिटेल कारोबारियों के कारोबार में एंट्री की है और लॉकडाउन के दौरान छोटे कारोबारियों को भारी भरकम नुकसान उठाना पड़ा है. इस बीच कोविड-19 ने सभी व्यवसायों के डिजिटलाइजेशन में तेजी लाने के लिए मजबूर किया है.

इन मुद्दों पर भी राहत की उम्मीद

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MSME और रिटेल सेक्टर बड़ी संख्या में नौकरियां मुहैया कराते हैं, जो अक्सर निवेश की गई राशि के रेश्यो में नहीं होते हैं. देश के संगठित और असंगठित क्षेत्र में कुल रिटेल रोजगार वर्तमान में भारतीय वर्क फोर्स का करीब 6 फीसदी है और इनमें से अधिकांश असंगठित सेक्टर में हैं. यह सेक्टर वर्तमान में दो बातों की उम्मीद कर रहा है. पहला टैक्स पर राहत और दूसरा कंप्लायंस का सरलीकरण. सेक्टर में उपयोग किए जाने वाले कैपिटल गुड्स पर हाई डेप्रिसिएशन और रिटेल इंफ्रास्ट्रक्चर के निवेश के लिए एडिशनल टैक्स कट की जरूरत है. वहीं मार्केटिंग में आने वाले खर्चों के लिए इनपुट जीएसटी की अनुमति, जिसमें फ्री सैंपल, मार्केटिंग कोलेट्रल और इसी तरह की कुछ संभावनाएं हैं.

जीडीपी में 25 फीसदी का योगदान

छोटे विक्रेता देश की जीडीपी में 25 फीसदी का योगदान देते हैं, लेकिन उनके पास डिजिटाइज होने के लिए शायद ही कोई विकल्प है. अधिकांश खुदरा विक्रेता अपना व्यवसाय संचालित करने के लिए शारीरिक रूप से चलने पर निर्भर हैं. रिटेल स्टोर्स के स्टोरफंट को डिजिटाइज करने के लिए कई उपाय अब उभर रहे हैं, जिसमें वर्चुअल दुकानों का कॉन्सेप्ट भी शामिल है, जहां विक्रेता लाइव वीडियो कॉल पर कम्युनिकेशन कर सकते हैं. ग्राहक भी उसी इको सिस्टम का अनुभव कर सकते हैं जैसे कि वे फिजिकली स्टोर में चले गए हों.

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