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हेल्थ आइडेंटिटी डाटा न सिर्फ कंज्यूमर्स को बल्कि हेल्थ सर्विसेज प्रोवाइडर्स के लिए भी फायदेमंद होगा.
Health Budget 2022: बजट 2022 में हेल्थकेयर सेक्टर के लिए भी कुछ खास उपाय किए गए हैं. बजट में जहां मेंटल हेल्थकेयर पर जोर रहा है. वहीं नेशनल डिजिटल हेल्थ ईकोसिस्टम के जरिए देश के नागरिकों के स्वास्थ्य का डिजिटल रिकॉर्ड बेहतर तरीके से तैयार किया जाएगा. एक्सपर्ट का मानना है कि हेल्थ आइडेंटिटी डाटा न सिर्फ कंज्यूमर्स को बल्कि हेल्थ सर्विसेज प्रोवाइडर्स के लिए भी फायदेमंद होगा. इससे उन्हें इस बात की पहचान करने में मदद मिलेगी कि देश में हेल्थ का ट्रेंड क्या है. इससे ज्यादा से ज्यादा बीमारियां हेल्थ इंश्योरेंस से भी कवर हो सकेंगी. वहीं इंश्योरेंस कवर के लिए सही प्रीमियम तय करने में भी आसानी होगी. हालांकि राहत का इंतजार कर रही मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को बजट से निराशा मिली है.
हेल्थ आइडेंटिटी डाटा से होगा ये फायदा
Aon इंडिया इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड के हेड, एश्ले डीसिल्वा का कहना है कि यूनिक हेल्थ आइडेंटिटी डाटा से बीमा प्रदान करने वालों को समय के साथ हेल्थ ट्रेंड की बेहतर पहचान करने में सक्षम बनाएगा. इसका फायदा यह होगा कि मिड टर्म में भारतीय कंज्यूमर्स को अधिक रेलिवेंट प्रोडक्ट और सर्विसेज की उपलब्धता होगी.
#Budget2022withFE | On pharma R&D, was hoping for a special call out, says Kiran Mazumdar-Shaw #UnionBudget2022pic.twitter.com/lSg6UpsAN6
— FinancialXpress (@FinancialXpress) February 1, 2022
बीमारियों की सही सूचना
उनका कहना है कि हेल्थ प्रोवाइडर्स और सुविधाओं की डिजिटल रजिस्ट्री से इन्फॉर्मेशन के मसले पर सुधार होगा. अगर इस पहल को डिजीज स्पेसिफिक रजिस्ट्रियों तक विस्तार किया जाता है तो इससे कैंसर या टीबी जैसे हेलथ रिस्क वाले क्षेत्रों में बड़ी पॉपुलेशन तक बेहतर सूचना पहुंच सकेगी.
इंश्योरेंस इंडस्ट्री को मदद
Medi Assist Healthcare Services के CEO सतीश गिडुगु का कहना है कि नेशनल डिजिटल हेल्थ ईकोसिस्टम के लिए खुला प्लेटफॉर्म डिजिटल हेल्थ को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत कदम है. इससे इंश्योरेंस इंडस्ट्री को मदद मिलेगी. इससे हम यूनिवर्सल हेल्थकेयर के लिए एक सॉलिड डिजिटल ढांचा बनाने की दिशा में सक्रिय रूप से भाग लें सकेंगे और योगदान भी दे सकेंगे.
मेंटल हेल्थकेयर पर फोकस
एश्ले डीसिल्वा का कहना है कि बजट में हेल्थकेयर सेक्टर इनिशिएटिव पर फोकस किया गया है जो सेक्टर के लिए पॉजिटिव कदम है. बजट में मेंटल हेल्थकेयर पर फोकस रहा है. असल में मानसिक बीमारियों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है, जबकि देश में मानसिक रोग एक्सपर्ट की कमी भी है. देश में बड़े पैमाने पर एक टेली-मेंटल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने से मेंटल हेल्थ के मुद्दों के लिए विजिबिलिटी में सुधार होगा. वहीं मेंटल हेल्थ के लिए प्राइमरी केयर की पहुंच को सपोर्ट मिलेगा. बता दें कि मेंटल हेल्थ अभी काफी हद तक इंश्योर्ड नहीं है. दूसरा, NDHM पर, ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म के चलते प्राइवेट प्लेयर्स अब रोलआउट का सपोर्ट कर सकते हैं.
कैसा रहा हेल्थ बजट
हेल्थ बजट में 135 फीसदी का इजाफा हुआ है. इसे 94 हजार से बढ़ा कर 2.38 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है. इसके साथ ही केंद्र सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में अगले 6 सालों में करीब 61 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी. मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए एक राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया जाएगा. वहीं नेशनल डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम के लिए एक खुला मंच शुरू किया जाएगा. इसमें स्वास्थ्य प्रदाताओं और स्वास्थ्य सुविधाओं की डिजिटल रजिस्ट्रियां, विशिष्ट स्वास्थ्य पहचान और स्वास्थ्य सुविधाओं तक सभी की पहुंच शामिल होगी. देश में 75 हजार ग्रामीण हेल्थ सेंटर औऱ खोले जाएंगे.