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कोरोना महामारी के दौरान जब भारत समेत दुनिया भर की अर्थव्यवस्था औंधे मुंह गिरी थी और सभी सेक्टर कमजोर हो रहे थे तो इकोनॉमी को कृषि सेक्टर का सहारा मिला था. (Image- Pixabay)
Budget 2022 Expectations: कोरोना महामारी के दौरान जब भारत समेत दुनिया भर की अर्थव्यवस्था औंधे मुंह गिरी थी और सभी सेक्टर कमजोर हो रहे थे तो इकोनॉमी को कृषि सेक्टर का सहारा मिला था. हालांकि किसानों की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है और खेती-किसानी महंगी होती जा रही है. ऐसे में कृषि सेक्टर के दिग्गजों ने अगले वित्त वर्ष 2022-23 के बजट से उम्मीद जताई है कि इसमें किसानों की जीवन स्तर को बेहतर करने का प्रावधान किया जाएगा और खेती तो तकनीकी रूप से उन्नत किया जाएगा. इसे लेकर कृषि सेक्टर के दिग्गजों ने अपनी राय रखी है कि आगामी बजट में कृषि और कमोडिटी सेक्टर के लिए क्या उम्मीदें हैं. अगले वित्त वर्ष का बजट एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) पेश करेंगी.
सस्ती दरों पर कर्ज उपलब्ध हों तो बढ़ेगी किसानी
भारत में 2020-21 फसल वर्ष में 30.9 करोड़ टन अनाज उत्पादित होने का अनुमान है और 2020-21 फसल वर्ष में एग्री कमोटिडीज का निर्यात मजबूत रहा. भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है तो ऐसे में ताजे फलों को आयात करने वाली कंपनी IG International के निदेशक (फाइनेंस व ऑपरेशंस) तरुण अरोड़ा का मानना है कि वित्त मंत्रालय को इस ग्रोथ को सहारा देना चाहिए ताकि इसकी गति तेज हो सके. अरोड़ा ने उम्मीद जताई है कि आगामी बजट में सरकार ई-नाम, गांवों में बाजार बनाने जैसी मौजूदा योजनाओं का विस्तार कर सकती है और एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन- फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशंस) को प्रोत्साहित कर सकती है. अरोड़ा ने सरकार को एग्री क्रेडिट टारगेट बढ़ाने और सस्ती दरों पर अधिक शॉर्ट टर्म लोन उपलब्ध कराने का सुझाव दिया है.
फसलों में विविधता के लिए सब्सिडी की मांग
खेती-किसानी महंगी होती जा रही है तो अरोड़ा ने सरकार से सिफारिश की है कि कई प्रकार की फसलें उगाने के लिए किसानों को अधिक सब्सिडी दी जाएगी. किसानों को गहराई में खिसकते जा रहे पानी के साथ-साथ मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अगर फसलों में विविधता आती है तो यह लंबे समय तक के लिए फायदेमंद साबित होगा. एग्रीकल्चरल इकोनॉमी की मजबूती और किसानों की आय बढ़ाने में फूड प्रोसिसिंग इंडस्ट्री की बड़ी भूमिका है तो अरोड़ा ने इसे सहारा दिए जाने की मांग की है. उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि एग्री कोल्ड स्टोरेज व वेयरहाउसिंग फैसिलिटीज को इंसेटिंव दिए जाने और बाजार, फार्म व पोर्ट्स के बीच कनेक्टिविटी को सब्सिडी के अलावा एग्री प्रोडक्ट्स के आयात-निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इंसेटिंव दिया जाना चाहिए.
एग्रीटेक स्टार्टअप्स को आसानी से मिले फंड
किसानों को आधुनिक तकनीकी की जानकारी देने वाली फार्मिंग कंपनी Unnanti के को-फाउंडर अमित सिन्हा के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में तकनीकी के दम पर कृषि सेक्टर तेजी से आगे बढ़ा है लेकिन इसमें और भी तेजी लाई जा सकती है. सिन्हा ने बजट से उम्मीद लगाई है कि इसमें किसानों की बेहतरी और गांवों के विकास के लिए जरूरी प्रावधान किए जाएंगे. इसके अलावा उन्होंने गांवों में इंफ्रास्ट्रक्चर, एमएसएमई के विकास, एग्री-इकोसिस्टम के डिजिटाइजेशन, किसानों की उत्पादकता बढ़ाने और एग्रीटेक की स्टार्टअप कंपनियों को शुरुआती स्तर पर फंडिंग के लिए फोकस की जरूरत बताई है.
टैक्स बेनेफिट्स और सरकारी योजनाओं के एक्सटेंशन की मांग
सिन्हा के मुताबिक एग्रीटेक इंडस्ट्री को सरकार से टैक्स बेनेफिट्स और एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया इत्यादि के रूप में सपोर्ट की जरूरत है ताकि यह सेक्टर तेजी से आगे बढ़ सके और तकनीकी के दम पर खेती मजबूत हो सके. इसके अलावा उन्होंने एग्रीकल्चर इकोसिस्टम में डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए फंड आवंटित करने का सुझाव दिया है. सिन्हा के मुताबिक आसानी से पैसों की उपलब्धता, टैक्स रिलैक्सेशन और इंटेरेस्ट सबवेंशन के जरिए एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन- फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशंस) को स्थापित करने को प्रोत्साहन मिलेगा और एग्रीटेक इंडस्ट्री तेजी से आगे बढ़ेगी. सिन्हा ने किसानों को वित्तीय सहारे, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा.योजना, पीएम-किसान योजना जैसी महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं के एक्सटेंशन की मांग की है.