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मोदी सरकार में 'सबका साथ-सबका विकास' से लेकर 'अमृत काल' बजट पेश हुआ.
Budget Theme in Modi Government: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए अमृत काल का जिक्र किया. इसका मतलब है कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और 25 वर्ष के बाद स्वतंत्र भारत के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे. वित्त मंत्री ने इसे अमृत काल की संज्ञा दी है और पूरे बजट का फोकस इसी पर रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था (Aatmanirbhar Arthvyavastha) पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में ऐसे जरूरी प्रावधान किए हैं जो देश को आधुनिकता की तरफ ले जाएगा.
मोदी सरकार में अब तक अंतरिम व पूर्ण मिलाकर दस बार बजट पेश हुआ है. अंतरिम बजट चुनावी वर्ष में पेश किया जाता है और यह कुछ महीनों के लिए होता है. इसके बाद पूरे वित्त वर्ष का बजट लोकसभा चुनाव में जीत के बाद अगली सरकार बनने पर पेश होता है. आइए जानते हैं कि मोदी सरकार में बजट की क्या थीम रही है.
2014-15
2014 के चुनावों में जीत हासिल करने के बाद 10 जुलाई 2014 को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार का पहला बजट पेश किया था. इस बजट को 'सबका साथ सबका विकास' के मोटो के साथ जेटली ने पेश किया था.
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2015-16
वित्त वर्ष 2015-16 का बजट वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 28 फरवरी 2015 को पेश किया था. यह बजट छह थीम पर था-
- काले धन पर काबू पाने के लिए उपाय
- ग्रोथ और निवेश के पुनरुद्धार और देश में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने व 'मेक इन इंडिया' के जरिए रोजगार सृजन
- कारोबार को आसान बनाने में सुधार के लिए न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन
- मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स को फायदा
- स्वच्छ भारत कार्यक्रमों के जरिए जीवन स्तर और लोगों के स्वास्थ्य में सुधार लाना
- अर्थव्यवस्था के अधिक से अधिक फायदे के लिए विशेष प्रस्ताव लाना
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2016-17
वित्त वर्ष 2016-17 का बजट केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 29 फरवरी 2016 को पेश किया. इस बजट के लिए 'ट्रांसफॉर्म इंडिया' एजेंडा तय किया गया है और बजट नौ थीम पर आधारित था.
- कृषि और किसान कल्याण: किसानों की आय तो अगले पांच वर्षों में दोगुना करने पर ध्यान दिया जाएगा.
- ग्रामीण सेक्टर: गांवों में रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर.
- हेल्थकेयर समेत सोशल सेक्टर: सभी वेलफेयर और हेल्थ सर्विसेज को कवर करना.
- शिक्षा, कौशल और रोजगार निर्माण: देश को ज्ञान आधारित और प्रोडक्टिव सोसायटी बनाना.
- इंफ्रास्ट्रक्टर व निवेश: जीवन की क्षमता और गुणवत्ता को बढ़ाना.
- फाइनेंशियल सेक्टर में सुधार: पारदर्शिता और स्थायित्व लाना
- गवर्नेंस और कारोबार करने में सुविधा: लोगों को पूर्ण क्षमता के हिसाब से काम करने के योग्य बनाना.
- राजकोषीय अनुशासन: सरकारी फाइनेंस का बेहतरीन तरीके से प्रबंधन और जरूरतमंदों को फायदा पहुंचाना.
- टैक्स रिफॉर्म्स: नागरिकों पर भरोसा करते हुए टैक्स कंप्लॉयंस को कम करना.
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2017-18
वित्त वर्ष 2017-18 का बजट केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी 2017 को वसंत पंचमी के दिन पेश किया था. यह बजट 'ट्रांसफॉर्म, एनर्जाइज एंड क्लीन इंडिया' (भारत में बड़ा परिवर्तन लाने, शक्ति का संचार करने और स्वच्छ भारत बनाने) एजेंडे के तहत 10 थीम पर आधारित था. इस बजट की एक और खास बात थी कि इसमें रेल बजट का मिला दिया गया.
- किसान: किसानों का आय को अगले पांच वर्षों में दोगुना करने के लिए प्रतिबद्ध.
- ग्रामीण आबादी: रोजगार और बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराना.
- युवा: शिक्षा, कौशल और रोजगार के जरिए उनमें जोश भरना.
- गरीब व विशेष सुविधाओं से वंचित वर्ग: सोशल सिक्योरिटी, हेल्थ केयर व अफोर्डेबल हाउसिंग के सिस्टम को मजबूत करना.
- इंफ्रास्ट्रक्टचर: एफिशिएंसी, प्रोडक्टविटी और जीवन स्तर में सुधार लाना.
- फाइनेंशियल सेक्टर: मजबूत संस्थाओं के जरिए विकास और स्टेबिलिटी को बढ़ावा देना.
- डिजिटल इकोनॉमी: तेजी, जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए डिजिटल इकोनॉमी.
- पब्लिक सर्विस: लोगों की भागीदारी के जरिए प्रभावी गवर्नेंस और एफिसिएंट सर्विस देना.
- विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन: रिसोर्सेज का जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल सुनिश्चित करना और राजकोषीय स्थायित्व बनाए रखना.
- टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन: ईमानदार लोगों को सम्मान देना.
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2018-19
यह केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का आखिरी बजट था. उन्होंने 1 फरवरी 2018 को वित्त वर्ष 2018-19 का बजट पेश किया. यह जीएसटी, डायनमिक फ्यूल प्राइसिंग, मेगा पीएसयू बैंक रीकैपिटलाइजेशन जैसे बड़े रिफॉर्म के बाद का पहला बजट था. इस बजट में कृषि ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, एमएसएमई और इंफ्रा सेक्टर पर फोकस रहा. सरकार ने कहा कि स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स के जरिए दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही इकोनॉमी में भारत तेजी से आगे बढ़ेगा.
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2019-20 (अंतरिम)
यह बजट अरुण जेटली की अनुपस्थिति में पीयूष गोयल ने 1 फरवरी 2019 को पेश किया था. आम लोकसभा चुनाव के चलते पूरे वित्त वर्ष की बजाय यह अंतरिम बजट था. अंतरिम बजट में कोई बड़ा ऐलान नहीं करने की परंपरा रही है. हालांकि चुनाव से पहले कई घोषणाएं की गईं. इस बजट में बिना टैक्स स्लैब में बदलाव किए 5 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री कर दिया गया. इसके अलावा किसानों को सालाना 6 हजार रुपये उनके खाते में भेजने का एलान किया गया.
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2019-20 (पूर्ण)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा चुनाव में जीत के बाद वापसी कर चुकी मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया तो इतिहास रच दिया. वह बजट पेश करने वाली देश की पहली पूर्णकालिक वित्त मंत्री बन गईं. इस बजट को 'मजबूत देश के लिए मजबूत नागरिक' के लक्ष्य के साथ पेश किया गया था. वित्त मंत्री ने कहा कि जो अधिक कमाते हैं, उन्हें देश निर्माण में अधिक योगदान करना चाहिए. उन्होंने अमीर टैक्सपेयर्स के लिए सरचार्ज की दो दरें पेश की.
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2020-21
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश किया था. यह बजट तीन थीम पर आधारित था.
- महत्वाकांक्षी भारत: ऐसा भारत जिसमें समाज के सभी वर्ग स्वास्थ्य, शिक्षा और बेहतर रोजगार की उपलब्धता के जरिए अपना जीवन स्तर बेहतर करना चाहते हैं.
- सबके लिए आर्थिक विकास: इसमें इकोनॉमी में कई स्तर पर सुधार किए जाएंगे और निजी सेक्टर के लिए भी अधिक गुंजाइश रहेगी. दोनों मिलकर अधिकत प्रोडक्टविटी और बेहतर क्षमता सुनिश्चित करेंगे.
- केयरिंग सोसायटी: ऐसा समाज जो मानवीय और दयाभावना से भरा हो. अन्तोदय विश्वास का प्रतीक है.
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2021-22
वित्त वर्ष 2021-22 का बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को पेश किया था. यह बजट कोरोना महामारी की अभूतपूर्व स्थिति के बीच पेश हुआ था. बजट 6 पिलर्स पर आधारित था.
- स्वास्थ्य और कल्याण
- फिजिकल व फाइनेंशियल कैपिटल और इंफ्रास्ट्रक्चर
- आकांक्षी भारत के लिए इंक्लूसिव डेवलपमेंट
- ह्यूमन कैपिटल में नया जोश भरना
- इनोवेशन और आरएंडडी
- न्यूनतम सरकार और अधिकतम प्रशासन
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2022-23
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले वित्त वर्ष का बजट 1 फरवरी 2022 को पेश किया. यह बजट ऐसे समय में पेश किया जब देशवासी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और वित्त मंत्री के मुताबिक अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि 25 वर्ष की लंबी यात्रा के बाद हम भारत @100 पर पहुंचेंगे और प्रधानमंत्री मोदी स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में भारत @100 के दृष्टिकोण को निर्धारित किया है. अगले वित्त वर्ष का बजट 25 साल की रूपरेखा पर आधारित है.
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