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Budget 2020: STT और CTT को खत्म कर सकती सरकार! वित्त मंत्री से क्या चाहते हैं कमोडिटी कारोबारी

CPAI ने कहा कि भारत में विभिन्न एसेट्स में लेनदेन की लागत अमेरिका, चीन और सिंगापुर में लेनदेन की लागत से चार से 19 गुना अधिक है.

CPAI ने कहा कि भारत में विभिन्न एसेट्स में लेनदेन की लागत अमेरिका, चीन और सिंगापुर में लेनदेन की लागत से चार से 19 गुना अधिक है.

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Commodity Participants urges to finance minister to abolish STT and CTT in budget 2020

CPAI ने कहा कि भारत में विभिन्न एसेट्स में लेनदेन की लागत अमेरिका, चीन और सिंगापुर में लेनदेन की लागत से चार से 19 गुना अधिक है.

Commodity Participants urges to finance minister to abolish STT and CTT in budget 2020 CPAI ने कहा कि भारत में विभिन्न एसेट्स में लेनदेन की लागत अमेरिका, चीन और सिंगापुर में लेनदेन की लागत से चार से 19 गुना अधिक है.

Budget 2020: कमोडिटी बाजार प्रतिभागियों के शीर्ष संगठन कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स ऑफ इंडिया (CPAI) ने सरकार से भारतीय बाजार में कारोबार की ऊंची लागत को कम करने का आग्रह किया है. सीपीएआई का कहना है कि ऊंची लागत के कारण सौदों में भारी कमी आई है.

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वित्त मंत्रालय को दिए प्रस्तुतीकरण में सीपीएआई ने कहा कि भारत में विभिन्न एसेट्स में लेनदेन की लागत अमेरिका, चीन और सिंगापुर में लेनदेन की लागत से चार से 19 गुना अधिक है. इसकी वजह प्रतिभूति लेनदेन टैक्स (STT) और कमोडिटी लेनदेन टैक्स (CTT) का अधिक होना है. संगठन चाहता है कि सरकार एसटीटी और सीटीटी की दरों को घटाए या फिर पूरी तरह से हटा दे ताकि सौदों की संख्या और आकार को बढ़ाया जा सके.

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अधिक लागत से सौदों में काफी आई कमी

सीपीएआई ने कहा, "कारोबार की अधिक लागत की वजह से सौदों की मात्रा में काफी कमी आई है. इससे पूंजी की स्थिति पर असर पड़ा है और शेयर के खरीद-फरोख्त करने पर आने वाली लागत बढ़ गई है." संगठन ने सरकार से कहा है कि एसटीटी को व्यय मानने के बजाय पहले भुगतान किया गया रिफंड नहीं होने वाला टैक्स मानना चाहिए या फिर आयकर की धारा 88E के तहत इसपर छूट दी जानी चाहिए जैसा कि 2008 तक व्यवस्था रखी गई थी.

ऊंची कारोबार लागत के कारण कमोडिटी कारोबार के सौदों में भारी कमी आई है. सीटीटी लागू होने के बाद 2013 से कमोडिटी बाजारों में जहां 2011-12 में 69,449 करोड़ रुपये प्रतिदिन के सौदे हो रहे थे, वह 2018- 19 में कम होकर 27,291 करोड़ रुपये प्रति दिन रह गए. इस प्रकार सौदों के मूल्य में 61 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

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