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Economic Survey 2020-21: कृषि कानूनों से ‘मार्केट फ्रीडम‘ का नया दौर शुरू, छोटे किसानों को होगा फायदा- आर्थिक सर्वेक्षण

Economic Survey 2020-21: इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक इन कानूनों को मुख्य रूप से छोटे और मार्जिनल किसानों के फायदे के लिए तैयार किया गया है.

Economic Survey 2020-21: इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक इन कानूनों को मुख्य रूप से छोटे और मार्जिनल किसानों के फायदे के लिए तैयार किया गया है.

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Economic Survey 2020-21: New farm laws herald new era of market freedom SAID IN Economic Survey FINANCE MINISTER NIRMALA SITHARAMAN PM NARENDRA MODI

इकोनॉमिक सर्वे के जरिए केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों का समर्थन किया है.

Economic Survey 2020-21: केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान राजधानी दिल्ली की सीमा पर लगातार विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं. इन सबके बीच 29 जनवरी को संसद में पेश सालाना आर्थिक सर्वेक्षण में केंद्र सरकार ने इन कानूनों का बचाव किया है. इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक इन कानूनों को मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों के फायदे के लिए तैयार किया गया है. भारत में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या कुल किसानों की करीब 85 फीसदी है. आर्थिक सर्वे के मुताबिक इन कानूनों के जरिए मार्केट फ्रीडम का एक नया समय शुरू हो रहा है. इससे देश के छोटे और मार्जिनल किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आएगा. दूसरी तरफ इन कानूनों का किसान यह कहते हुए विरोध कर रहे हैं कि यह कॉरपोरेट के फायदा पहुंचाएगा और सरकारी मंडियों एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटीज (APMCs) को इससे नुकसान पहुंचेगा.

पहले भी APMC में सुधार की जरूरत पर फोकस

इकोनॉमिक सर्वे 2020-21 के मुताबिक इससे पहले के कुछ इकोनॉमिक सर्वे में एपीएमसी की कार्यप्रणाली को लेकर चिंता जताई जा चुकी है. इस संदर्भ में 2011-12, 2012-13, 2013-14, 2014-15, 2016-17 और 2019-20 के इकोनॉमिक सर्वे में सुधार की जरूरत पर फोकस किया गया था.आर्थिक सर्वे के मुताबिक नए कृषि कानूनों के तहत किसानों को देश में कहीं भी किसी को अपनी फसल को बेचने का विकल्प मिलता है. सर्वे के मुताबिक अभी तक किसानों को अपनी फसल को मंडी के बाहर बेचने के लिए कई रिस्ट्रिक्शंस थे जिसकी वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता था. इसके अलावा किसानों को अपनी फसल सिर्फ राज्य सरकार के यहां रजिस्टर्ड लाइसेंसीज के पास ही बेचने ही अनुमति थी.

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APMC रेगुलेशंस के कारण किसानों को नुकसान

सर्वे के मुताबिक एपीएमसी रेगुलेशंस के कारण किसानों को बहुत नुकसान हुआ है. किसानों और उपभोक्ता के बीच कई बिचौलियों (इंटरमीडियरीज) के कारण किसानों का मुनाफा कम हो जाता है. इसके अलावा एपीएमसी द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स और सेस का असर किसानों के फायदे पर पड़ता है जबकि इस टैक्स व सेस का छोटा सा हिस्सा ही मंडी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में लगाया जाता है. मंडी के कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते किसानों के मुनाफे पर असर पड़ता है. आर्थिक सर्वे के मुताबिक मैनुअली वजन करना, सिंगल विंडो सिस्टम और ग्रेडिंग व सॉर्टिंग की आधुनिक प्रक्रिया के अभाव में देरी होती है और तौल में गलतियां होती हैं जो बेचने वाले (किसानों) को नुकसान पहुंचाती है.

किसानों की जमीन पूरी तरह सुरक्षित

सर्वे के मुताबिक नए कृषि कानूनों के तहत किसी कांट्रैक्ट में किसानों के पास अपनी फसल का दाम तय करने की शक्ति होगी और उन्हें अधिकतम तीन दिनों के भीतर फसल का दाम मिल जाएगा. सर्वे में कहा गया है कि बाजार की अनिश्चितता का रिस्क किसानों को अब नहीं रहेगा और नए कृषि कानूनों के जरिए यह रिस्क स्पांसर यानी किसानों से फसल खरीदने वाले को ट्रांसफर कर दिया गया है. आर्थिक सर्वे के मुताबिक नए कृषि कानूनों के तहत किसानों को पर्याप्त संरक्षण मिला हुआ है कि क्योंकि उनकी जमीन की बिक्री, लीज या मार्टेगेज पर पूरी तरह प्रतिबंध है.

FPO के जरिए छोटे किसानों को फसलों का उचित दाम

आर्थिक सर्वे के मुताबिक नए कृषि कानूनों के तहत 10 हजार फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशंस (FPO) का देश भर में गठन हो चुका है. ये एफपीओ छोटे किसानों को एक साथ लाएंगी और उनकी फसलों के लिए बेहतर दाम सुनिश्चित करने के लिए काम किया जाएगा. एक बार कांट्रैक्ट हो जाने के बाद किसानों को उसे बेचने के लिए मेहनत नहीं करनी होगी क्योंकि खरीदारों को किसान के पास खुद आकर फसल खरीदनी होगी.

कृषि सेक्टर में निवेश को मिलेगा प्रोत्साहन

Essential Commodities (Amendment) Act 2020 के तहत अनाज, दाल, तिलहन, खाने वाला तेल, प्याज और आलू को जरूरी वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया है. यह कदम निजी निवेशकों को उनके बिजनेस ऑपरेशंस में जरूरत से अधिक नियामकीय हस्तक्षेप के भय को कम करने के लिए उठाया गया है. आर्थिक सर्वे के मुताबिक फसल उपजाने, उसे रखने, कहीं भी ले आने-जाने, डिस्ट्रिब्यूट और सप्लाई करने की स्वतंत्रता से कृषि सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर और फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट (एफडीआई) अधिक आएगा. इन कानूनों के चलते कोल्ड स्टोरेज में निवेश बढ़ेगा और फूड सप्लाई चेन आधुनिक होगी.

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