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संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गई है.
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Economic Survey 2020: दूरसंचार कंपनियों के बीच जोरदार प्रतिस्पर्धा और शुल्क दरें निचले स्तर पर होने की वजह से यह क्षेत्र 2016 से वित्तीय दबाव से जूझ रहा है. संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गई है. समीक्षा में कहा गया है कि 2016 से 2019 के दौरान देश में डेटा की दरों में 99 फीसदी की गिरावट आई है. समीक्षा कहती है कि 2016 से यह क्षेत्र जोरदार प्रतिस्पर्धा और दूरसंचार सेवाप्रदाताओं (टीएसपी) द्वारा शुल्क या कीमतों में कटौती की वजह से वित्तीय दबाव में है. इस वजह से क्षेत्र में एकीकरण हो रहा है. जहां कुछ ऑपरेटरों ने दिवाला आवेदन किया है वहीं अन्य का विलय हो रहा है.
अप्रैल-जून, 2019 के दौरान डेटा का मूल्य 7.7 रुपये प्रति गीगाबाइट था. जून, 2016 में यह 200 रुपये प्रति जीबी था. समीक्षा में बताया गया है कि जीएसएम मोबाइल सेवाओं के आपरेटरों की प्रति ग्राहक औसत आय (एआरपीयू) जून, 2016 में 126 रुपये थी, जो जून, 2019 में घटकर 74.30 रुपये रह गया.
2016 में शुरू हुआ प्राइस वॉर
यहां उल्लेखनीय है कि सितंबर, 2016 में नए दूरसंचार ऑपरेटर रिलायंस जियो के बाजार में उतरने के बाद शुल्क युद्ध शुरू हुआ था. समीक्षा में कहा गया है कि शुल्क युद्ध से BSNL और MTNL जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियां भी प्रभावित हुई हैं, जिसकी वजह से ये कंपनियां नुकसान में हैं.
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