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PMJAY को 2018 में समाज के वंचित एवं कमजोर वर्ग को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया था.
Economic Survey 2020-21: मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘आयुष्मान भारत‘ ने देशभर में कोविड लाॅकडाउन और महामारी के दौरान आम लोगों की किस तरह मदद पहुंचाई, इसका उल्लेख आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में किया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए बताया कि जिन राज्यों ने इस स्वास्थ्य योजना को अपनाया, उन राज्यों में इसका मजबूत सकारात्मक परिणाम सामने आया है. सर्वे में असम, बिहार, सिक्किम और बंगाल के स्वास्थ्य मानकों पर तुलना कर इसे दिखाया गया है. बात दें, पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) योजना को लागू नहीं किया है. PMJAY सरकार की आयुषमान भारत योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसे 2018 में समाज के वंचित एवं कमजोर वर्ग को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया था.
PMJAY का इस्तेमाल कम मूल्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के सामान्य उपयोग के लिए किया जा रहा है. सर्वे में यह भी बताया गया है कि योजना के तहत महामारी और लॉकडाउन के समय भी डायलिसिस जैसी सुविधाएं बिना किसी बाधा के सुचारु रूप से जारी रहीं. सामान्य दवाएं, मुख्य रुप से विशेषज्ञ क्लीनिकल सेवाएं जिनमें लॉकडाउन के दौरान कमी आई थी उसमें ‘V‘ आकार का सुधार देखा गया है. दिसंबर, 2020 में यह कोविड महामारी से पहले के दौर में पहुंच गई है. आर्थिक समीक्षा में यह संकेत मिल रहा है कि राष्ट्रीय डायलिसिस मिशन को पीएमजेएवाई के साथ मिलाया जा सकता है.
स्वास्थ्य बीमा कवरेज में बढ़ोतरी
पीएमजेएवाई को अपनाने वाले राज्यों में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे एनएफएचएस 4 से एनएफएचएस 5 में जीवन बीमा में परिवार के कवर होने वाले सदस्यों की संख्या में 54 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई है. जिन राज्यों ने पीएमजेएवाई को नहीं अपनाया है, वहां इसमें 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. स्वास्थ्य बीमा कवरेज में इस तरह की बढ़ोतरी पीएमजेएवाई की सफलता को दर्शाता है.
पश्चिम बंगाल कितना पिछड़ा?
पश्चिम बंगाल के आंकड़ों की तुलना उसके पड़ोसी राज्यों बिहार, असम और सिक्किम से किया गया है. आर्थिक समीक्षा के अनुसार, बिहार, असम और सिक्किम में स्वास्थ्य बीमा अपनाने वाले घरों में 2015-16 से लेकर 2019-20 तक 89 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई. जबकि इसी दौरान पश्चिम बंगाल में 12 फीसदी तक की कमी हुई है. इसके अतिरिक्त 2015-16 से 2019-20 तक पश्चिम बंगाल में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में 20 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है, जबकि उसके तीन पड़ोसी राज्यों में 28 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है. पश्चिम बंगाल में दो बच्चों के बीच अंतर में कोई महत्वपूर्ण गिरावट नहीं देखी गई है जबकि तीनों पड़ोसी राज्यों में 37 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
आर्थिक समीक्षा में पीएमजेएवाई को लागू करने वाले राज्यों की तुलना इसे न अपनाने वाले राज्यों से की गई है. जिन राज्यों ने पीएमजेएवाई को लागू किया है वहां इसे न अपनाने वाले राज्यों की तुलना में महत्वपूर्ण रूप से बेहतर स्वास्थ्य निष्कर्ष सामने आए हैं.
सर्वे में PMJAY के अहम प्वाइंट
- PMJAY को अपनाने वाले राज्यों में एनएफएचएस 4 से एनएफएचएस 5 में जीवन बीमा में परिवार के कवर होने वाले सदस्यों की संख्या में 54 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. जिन राज्यों ने पीएमजेएवाई को नहीं अपनाया है, वहां इसमें 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
- शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में गिरावट क्रमशः 20 फीसदी और 12 फीसदी दर्ज की गई. इस प्रकार पीएमजेएवाई राज्यों में 8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.
- दो सर्वेक्षणों के बीच मुख्यतः सभी राज्यों में परिवार नियोजन अपनाने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. जिन राज्यों में पीएमजेएवाई को अपनाया गया है वहां पर इसमें महत्वपूर्ण रूप से बढ़त देखने को मिली है.
- पीएमजेएवाई अपनाने वाले राज्यों में अनियोजित परिवार नियोजन वाली महिलओं में 31 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है, जबकि पीएमजेएवाई न अपनाने वाले राज्यों में यह कमी केवल 10 फीसदी दर्ज की गई.
- जन्म देखभाल इंडिकेटर्स में सुधार हुआ है. उदाहरण के लिए पीएमजेएवाई न अपनाने वाले राज्यों में संस्थागत जन्म, सार्वजनिक सुविधा में संस्थागत जन्म और घरों में जन्म के मामले अधिक हैं. जबकि सीजेरियन जन्म देने वालों के मामले पीएमजेएवाई अपनाने वाले राज्यों में इसे न अपनाने वाले राज्यों की तुलना में अधिक है. समीक्षा में बताया गया है कि पीएमजेएवाई में जन्म देखभाल बहुत अधिक प्रभावी नहीं है.
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