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Union Budget 2021-22: बजट में इनकम टैक्स स्लैब को लेकर राहत की उम्मीद नहीं, 80C की बढ़ सकती है लिमिट

Union Budget 2021 India: बजट से सैलरीड क्लास और मिडिल क्लास को उम्मीद है कि सरकार इनकम टैक्स को लेकर बड़ी राहत दे सकती हैं.

Union Budget 2021 India: बजट से सैलरीड क्लास और मिडिल क्लास को उम्मीद है कि सरकार इनकम टैक्स को लेकर बड़ी राहत दे सकती हैं.

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Experts do not expect any major income tax relief in Budget presented by finance minister niramla sitharaman on 1st feb

वित्त वर्ष 2021-22 का बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को पेश करेंगी.

Indian Union Budget 2021-22: वित्त वर्ष 2021-22 का बजट 1 फरवरी को पेश होगा. इस बजट से सैलरीड क्लास और मिडिल क्लास को उम्मीद है कि सरकार इनकम टैक्स को लेकर बड़ी राहत दे सकती हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार बजट में इनकम टैक्स स्लैब में खास बदलाव होने की उम्मीद नहीं है. विशेषज्ञों के मुताबिक, सैलरीड क्लास और मिडिल क्लास को इनकम टैक्स स्लैब में राहत की उम्मीद नहीं है लेकिन बजट में सेक्शन 80C और सेक्शन 80D के तहत राहत मिलने की उम्मीद जरूर कर सकते हैं.

1 फरवरी को पेश होने वाला इस बार का बजट कई मायनों में खास है क्योंकि यह कोरोना महामारी के दौर में पेश किया जा रहा है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि बजट में ऐसे प्रावधान किए जाएंगे जिससे इकोनॉमी को बूस्ट अप मिलेगा.

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80C की अधिकतम सीमा 3 लाख की उम्मीद

टैक्स विशेषज्ञ डीके मिश्रा के मुताबिक उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पहले ही सरकार समय-समय पर पर्याप्त राहत पैकेज दे चुकी है. मिश्रा का मानना है कि बजट में सेक्शन 80सी की लिमिट बढ़ाकर 2.5-3 लाख रुपये तक की जा सकती है. वर्तमान में इस सेक्शन के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स राहत मिलती है. मिश्रा ने कहा कि बजट में सेक्शन 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम प्रीमियम पर मिलने वाली छूट की अधिकतम सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए. वर्तमान में यह सीमा 25 हजार रुपये है.

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सरकार के पास अधिक विकल्प नहीं- टैक्स एक्सपर्ट

मिश्रा के मुताबिक बजट घाटे के कारण सरकार के पास लोगों को राहत देने के लिए कम विकल्प हैं. सरकार विनिवेश के लक्ष्य को भी हासिल नहीं कर सकी है. 2.1 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य से सरकार बहुत दूर है. मिश्रा के मुताबिक चालू वर्ष में भी सरकार इसके 40 फीसदी लक्ष्य को भी पा ले, ऐसा मुमकिन नहीं दिख रहा है. इसके अलावा सरकार ने जो लक्ष्य निर्धारित किया था, उसके मुताबिक राजस्व भी संग्रह नहीं हो सका. इन सब वजहों से मिश्रा का मानना है कि बजट में टैक्स को लेकर थोड़ी राहत मिल सकती है लेकिन किसी बड़ी राहत की उम्मीद नहीं की जा सकती है.

स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाने का आग्रह

वर्तमान में इनकम टैक्स स्लैब के मुताबिक 5 लाख रुपये तक की इंडिविजुअल आय पर 5 फीसदी की दर से टैक्स देय होता है और इसके बाद 5-7 लाख रुपये की आय पर सीधे 20 फीसदी की टैक्स देय होता है. डेलवॉयट इंडिया के पार्टनर और टैक्स एक्सपर्ट नीरू आहूजा के मुताबिक टैक्स की दरों में बहुत बड़ा अंतर है तो बजट में सरकार के पास बदलाव के लिए विकल्प मौजूद है. आहूजा का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम और लाइफस्टाइल में बदलाव के चलते सैलरीड इंडिविजुअल्स का खर्च बढ़ा है तो ऐसे में सरकार को स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाने पर विचार करना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने सेक्शन 80सी के तहत लिमिट भी बढ़ाने का आग्रह किया है.

R&D के खर्चों पर राहत दिए जाने का अनुरोध

आहूजा के मुताबिक केंद्र सरकार पहले ही कॉरपोरेट टैक्स रेट्स को कम कर चुकी है लेकिन अब सरकार को रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) जैसे खर्चों पर भी राहत देने पर विचार करना चाहिए. इसके अलावा आहूजा का कहना है कि इस साल कोरोना महामारी के चलते कंपनियों को वर्क फ्रॉम होम के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ा है जिसके लिए सरकार को बजट में कोई राहत देनी चाहिए. आहूजा के मुताबिक बजट घाटा बढ़ने की चिंता छोड़कर सरकार को अपना खर्च बढ़ाना चाहिए ताकि डिमांड बढ़ सके.

(स्रोत: एएनआई)

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