/financial-express-hindi/media/post_banners/vxGhhuVoGCdE9ewc0OzJ.jpg)
देश का आम बजट या अंतरिम बजट (चुनावी वर्ष में पेश होने वाला बजट) आमतौर पर केंद्रीय वित्त मंत्री या कार्यवाहक वित्त मंत्री पेश करते हैं लेकिन कुछ ऐसे अवसर भी आए, जब प्रधानमंत्री ने भी बजट पेश किया हो.
Indian Union Budget 2021-22: वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश होने में बस एक दिन का समय ही बचा है. इसे देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी. इससे पहले इंदिरा गांधी ने अंतरिम वित्त मंत्री के तौर पर बजट पेश किया था. देश का आम बजट या अंतरिम बजट (चुनावी वर्ष में पेश होने वाला बजट) आमतौर पर केंद्रीय वित्त मंत्री या कार्यवाहक वित्त मंत्री पेश करते हैं लेकिन कुछ ऐसे अवसर भी आए, जब प्रधानमंत्री ने भी बजट पेश किया हो. सबसे पहले प्रधानमंत्री के तौर पर देश के पहले प्राइम मिनिस्टर जवाहर लाल नेहरू ने देश का बजट पेश किया था. इसके अलावा कुछ ऐसे वित्त मंत्री भी बजट पेश कर चुके हैं जो बाद में देश के प्रधानमंत्री भी बने.
Budget 2021 Live News Updates: बजट का लाइव अपडेट्स
प्रधानमंत्री के तौर पर बजट पेश करने वाले
- जवाहरलाल नेहरू: देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सबसे पहले इस परिपाटी की शुरुआत की थी. उन्होंने 1958 में आम बजट पेश किया था. तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामाचारी के असमय इस्तीफा देने की वजह से प्रधानमंत्री के तौर पर नेहरू ने बजट पेश करने की जिम्मेदारी संभाली. कृष्णामाचारी को मुंधड़ा स्कैंडल के कारण वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. यह घोटाला एलआईसी से संबंधित है. एलआईसी ने कोलकाता के कारोबारी हरिदास मुंधड़ा की नॉन-परफॉर्मिंग कंपनी के 1.26 लाख रुपये के शेयर खरीद लिए थे जिसके चलते एलआईसी को करीब 36 लाख रुपये का नुकसान हुआ. शेयरों की खरीद में अनियमितता भी रही. इसे लेकर कांग्रेस सांसद और प्रधानमंत्री नेहरू के दामाद फिरोज गांधी ने नेहरू सरकार पर हमला बोल दिया था. इस मामले में तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामाचारी की भूमिका को लेकर उन पर दबाव बढ़ने लगा और उन्हें आखिरकार अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
यह भी पढ़ें- भारत के एक वित्त मंत्री बने थे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, बदली नागरिकता
- इंदिरा गांधी: देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देश के पहले वित्त मंत्री के तौर पर काम किया था और उन्होंने 1970 में आम बजट पेश किया था. उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री मोरराजी देसाई के इस्तीफे के बाद वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला था और बजट पेश किया था. मोरारजी देसाई उस समय उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री दोनों जिम्मेदारी संभाल रहे थे. जुलाई 1969 में इंदिरा गांधी ने उनसे वित्त मंत्रालय का पद ले लिया और उपप्रधानमंत्री का पद संभालने को कहा. इस पर मोरारजी देसाई ने तत्कालीन कैबिनेट से अपना इस्तीफा दे दिया. यह वह समय था जब इंदिरा गांधी ने 14 बड़े बैंकों को राष्ट्रीयकृत किया था. बैंकों के नेशनलाइजेशन के मुद्दे पर ही मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था.
- राजीव गांधी: जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर राजीव गांधी ने 1987 में देश का आम बजट पेश किया था. उन्होंने तत्कलीन वित्त मंत्री वीपी सिंह के इस्तीफे के बाद वित्त मंत्री का पदभार संभाला था. धीरुभाई अंबानी और अमिताभ बच्चन समेत कई सस्पेक्टेड टैक्स इवेडर्स (टैक्स चोरी) के यहां हाई-प्रोफाइल रेड के चलते वीपी सिंह तो वित्त मंत्रालय से हटाकर रक्षा मंत्रालय का प्रभार सौंप दिया गया और राजीव गांधी ने यह जिम्मेदारी संभाली.
वित्त मंत्री, जो बाद में बने प्रधानमंत्री
- मोरारजी देसाई: इस सूची में सबसे पहले मोरारजी देसाई का नाम आएगा. उनके नाम सबसे अधिक दस बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड है. इसमें दो बार अंतरिम बजट है. हालांकि मोरारजी देसाई जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने बजट नहीं पेश किया था और उनके प्रधानमंत्रित्व काल में हरीभाई एम पटेल और चरण सिंह वित्त मंत्री रहे. देसाई ने जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में बजट पेश किया था.
यह भी पढ़ें- इस वित्त मंत्री ने सबसे ज्यादा बार पेश किया बजट, अपने जन्मदिन पर भी दो बार दिया भाषण
- वीपी सिंह: मोरारजी देसाई के बाद इस सूची में वीपी सिंह ऐसे वित्त मंत्री रहे जिन्होंने बाद में प्रधानमंत्री का पद संभाला था. वीपी सिंह ने राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला था. जब वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने थे तो मधु दंडवते वित्त थे.
- मनमोहन सिंह: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने करीब 30 साल पहले देश की नीति बदलने वाला बजट पेश किया और उसके करीब 15 साल बाद वह देश के प्रधानमंत्री बने थे. मनमोहन सिंह ने नरसिम्हा राव की सरकार में बजट पेश किया था. उन्होंने सबसे पहले 1991 में बजट पेश किया था जिसने देश की कारोबारी नीतियों में बदलाव किया था.