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Union Budget 2021 India: बजट में कमोडिटी मार्केट को कुछ रिफॉर्म की उम्मीयदें हैं, जिससे निवेशकों की भागीदारी में इजाफा होगा.
Indian Union Budget 2021-22: शेयर बाजार की तरह कमोडिटी मार्केट में भी कुछ अनिश्चितताएं होती हैं. कई तरह के फैक्टर मसलन ट्रेड वार, कमजोर करंसी, जियो पॉलिटिकल टेंशन कमोडिटी मार्केट को प्रभावित कर सकते हैं. इसके अलावा कुछ टैक्स और हेजिंग जैसे फैक्टर भी हैं, जो बाजार पर प्रभाव डालते हैं. ऐसे में कमोडिटी एक्सपर्ट को इस बार बजट में वित्त मंत्री से कुछ एलान की उम्मीदें हैं. उनका कहना है कि CTT टैक्स हटाने, प्रीसियम मेटल पर इंपोर्ट ड्यूटी कम करने और हेजिंग पर नया कानून बनने से कमोडिटी मार्केट को बूस्ट मिल सकता है. इससे निवेशकों की भागीदारी बाजार में बढ़ जाएगी.
CTT का नए सिरे से रिव्यू हो
कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स पर नए सिरे से रिव्यू की मांग इस लिस्टी में पहले नंबर पर है. एक्सपर्ट का कहना है कि बजट में CTT को हटाने का फैसला कमोडिटी मार्केट में निवेशकों की भागीदारी में इजाफा कर सकता है. यह कदम कमोडिटी मार्केट को बूस्ट देने वाला होगा. केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टार अजय केडिया का कहना है कि CTT कई तरह से कमोडिटी मार्केट में लिक्विडिटी और वॉल्यूम पर असर डालता है, इसके हटने से वॉल्यूम में बढ़ोतरी होगी.
हेजिंग पर कानून
कमोडिटी में हेजिंग को लेकर नया कानून बनाने की मांग भी एक्स पर्ट कर रहे हैं; उनका कहना है कि इससे कंपनी और निवेशकों दोनों का हित होगा.
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क्या है कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (CTT)
कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी) का मकसद वायदा बाजार की गतिविधियों का लेखाजोखा रखना है. जब यह लाया गया था, उसी समय एमसीएक्स और एनसीडेक्स पर कमोडिटी वायदा बाजार में सीटीटी का असर देखा गया और पहले दिन कारोबार के वाल्यूम में भारी गिरावट दर्ज की गई. एमसीएक्स पर गैर-कृषि उत्पादों का वायदा कारोबार होता है, जिसमें सोना, चांदी और अन्य धातुएं शामिल हैं. इसी तरह एनसीडेक्स पर मुख्य रूप से कृषि उत्पादों का वायदा कारोबार होता है.
इंपोर्ट ड्यूटी को घटाने की मांग
जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सिपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने बजट 2021 को लेकर सरकार से मांग की है कि गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी को घटाकर 4 फीसदी किया जाए. इंडस्ट्री ने टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) से छूट और पालिश्ड प्रीसियस व सेमी प्रीसियस जेम स्टोन्स पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने की भी मांग है. अभी इंपोर्ट ड्यूटी 12.5 फीसदी है.
एक्सरपर्ट का कहना है कि ऐसा करने से निवेशकों की भी भागीदारी ट्रेडिंग में बढ़ेगी. वहीं इस क्षेत्र में संगठित कारोबार को बढ़ावा मिलेगा. इससे स्मगलिंग भी रोकने में मदद मिलेगी. GJEPC की मांग है कि कट व पालिश्ड प्रीसियस और सेमी प्रीसियस जेमस्टोन्स पर इंपोर्ट ड्यूटी 7.5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी की जाए.