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Image: Reutersएल्युमीनियम उद्योग ने सरकार से एल्युमीनियम फ्लोराइड जैसी महत्वपूर्ण कच्ची सामग्रियों (Raw Materi) पर मूल सीमा शुल्क कम करने की मांग की है. उद्योग जगत का कहना है कि अधिक आयात शुल्क के कारण भारत में तैयार उत्पाद महंगे हो जाते हैं और वैश्विक स्तर पर उनकी प्रतिस्पर्धी क्षमता प्रभावित होती है. एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा कि भारतीय एल्युमीनियम उद्योग की लागत संरचना को बेहतर बनाने और प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ाने के लिए यह अनुरोध किया जाता है कि महत्वपूर्ण कच्ची सामग्रियों पर सीमा शुल्क की दरें कम की जाएं.
संगठन ने आगामी आम बजट को लेकर सरकार को दिए सुझाव में कहा है कि एल्युमीनियम फ्लोराइड, कास्टिक सोडा का खारा घोल और ग्रीन एनोड/प्री-बेक्ड कार्बन एनोड जैसी मुख्य कच्ची सामग्रियों पर सीमा शुल्क मौजूदा के 7.5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी किया जाए.
एल्युमीनियम कबाड़ पर सीमा शुल्क में बढ़ोत्तरी का सुझाव
संगठन ने एल्युमीनियम कबाड़ पर सीमा शुल्क बढ़ाने का भी सुझाव दिया है. उसने कहा कि घरेलू कबाड़ की प्रोसेसिंग को प्रोत्साहित करने और कबाड़ के आयात को कम करने के लिए बाह्य कबाड़ पर सीमा शुल्क अभी के 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी किया जाना चाहिए. आगे कहा कि प्राथमिक एल्युमीनियम उद्योग बाहरी कबाड़ के आयात के कारण दिक्कतों से जूझ रहा है. वित्त वर्ष 2019-20 में कुल एल्युमीनियम आयात में बाहरी कबाड़ की करीब 58 फीसदी हिस्सेदारी रही है. इसके कारण 17,200 करोड़ रुपये के बराबर की विदेशी मुद्रा का नुकसान हुआ.
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