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Budget 2020 Expectations: मिडिल क्लास को मिलेगा सस्ता हेल्थ इंश्योरेंस? वित्त मंत्री से क्या हैं उम्मीदें

बजट में आर्थिक रिकवरी तो सरकार की प्राथमिकता होगी ही लेकिन इस बीच सोशल सेक्टर को भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए.

बजट में आर्थिक रिकवरी तो सरकार की प्राथमिकता होगी ही लेकिन इस बीच सोशल सेक्टर को भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए.

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Union Budget 2020: Reviving the Economy must take Centre stage But Budget Must Not Lose Sight of Social Sector & Healthcare, budget expectations

Union Budget 2020: Reviving the Economy must take Centre stage But Budget Must Not Lose Sight of Social Sector & Healthcare, budget expectations

Budget 2020: भारत की GDP ग्रोथ रेट 6 साल में पहली बार 5 फीसदी के नीचे गई है. इसे देखते हुए सभी की नजरें बजट 2020 पर हैं. उम्मीद की जा रही है कि सरकार बजट में अर्थव्यवस्था में सुधार लाने वाले कदमों का एलान करेगी. आर्थिक रिकवरी तो सरकार की प्राथमिकता होगी ही लेकिन इस बीच सोशल सेक्टर को भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए. इसकी वजह है कि इस सेक्टर को फंड और संसाधनों की अत्यधिक जरूरत है.

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सोशल सेक्टर के लिए सरकार की ओर से कई पहलें की गईं ताकि हेल्थकेयर, पोषण, स्वच्छता और ​शैक्षणिक ​हालात को बेहतर बनाया जा सके. लेकिन अभी भी भारत जैसे विकासशील देाों में बड़े पैमाने पर असमानताएं और अभाव मौजूद हैं. आवश्यक मानवीय विकास के लिए केवल इकोनॉमिक ग्रोथ हासिल कर लेना काफी नहीं है. इसलिए ​राष्ट्र के पूरे विकास के लिए सोशल सेक्टर पर खर्च काफी महत्व रखता है. सस्ते हेल्थकेयर और शिक्षा की उपलब्धता दो ऐसी अहम चीजें हैं, जो देश में मानवीय विकास की स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं. विकास की राह में सोशल सेक्टर पर सार्वजनिक खर्च करना अहम योगदान रखता है.

क्या सोशल सेक्टर और हेल्थकेयर के लिए होंगे एलान?

सरकार 2025 तक पब्लिक हेल्थकेयर खर्च को बढ़ाकर जीडीपी के 2.5 फीसदी तक ले जाने की प्रतिबद्धता जता चुकी है. इस लक्ष्य की दिशा में हेल्थकेयर सेक्टर के लिए सकारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं. अभी भारत इस सेक्टर पर जीडीपी का केवल 1 फीसदी से ज्यादा ही खर्च करता है. यह समान अर्थव्यवस्था वाले अन्य राष्ट्रों की तुलना में काफी कम है. सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत स्कीम/प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को भी एक बड़े रिसोर्स पुश की जरूरत है ताकि हेल्थकेयर सुविधाओं की बेहद कम उपलब्धता वाले इलाकों में भी इन्हें पहुंचाया जा सके. आयुष्मान भारत स्कीम को पिछले साल 6400 करोड़ रुपये का आवंटन मिला था, जो कि स्वास्थ्य बजट का काफी बड़ा हिस्सा था लेकिन इसके बावजूद इस स्कीम को पर्याप्त फंड की कमी है.

हमें उम्मीद है कि बजट में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना प्रोग्राम के हिस्से के रूप में प्राइमरी हेल्थकेयर को बूस्ट देने के लिए 1.5 लाख हेल्थ व वेलनेस सेंटर्स का एलान हो सकता है. इसके अलावा ग्रामीण व दूरदराज के इलाकों में अस्पतालों की संख्या बढ़ाए जाने की दिशा में भी रणनीति का एलान हो सकता है. मेडिकल में एमबीबीएस और पीजी सीट्स भी बढ़ाई जा सकती हैं. अगले दशक में कम से कम 100 जिला अस्पतालों को मे​डिकल कॉलेज में अपग्रेड करने का प्लान भी सरकार के एजेंडे में टॉप में रहना चाहिए.

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हेल्थ इंश्योरेंस व सैनिटेशन

आयुष्मान भारत सकीम गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वालों के मेडिकल खर्च को कवर करती है. इसी तरह मिडिल क्लास के लिए भी सस्ते और पहुंच में आने वाले हेल्थ इंश्योरेंस की कमी को दूर करने की जरूरत है. भारत में अभी भी स्वास्थ्य बीमा की पहुंच काफी कम है. देश की एक बड़ी आबादी मोटे प्रीमियम का भुगतान नहीं कर सकती है, वहीं कुछ को पुरानी बीमारियों के चलते स्वास्थ्य बीमा का लाभ नहीं मिल पाता है. ओपीडी खर्च और दवा की कॉस्ट मौजूदा बीमा पैकेज में कवर नहीं होती है, जबकि इनका खर्च काफी ज्यादा है. इसे देखते हुए उम्मीद है कि सरकार सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य बीमा और सस्ता और पहुंच के दायरे में आने वाला बनाने के लिए ठोस उपाय करेगी.

फंड का पूरा इस्तेमाल कर रहीं स्कीम्स

हाल ही में आई 'द बजट ट्रेल्स बाई द टाटा ट्रस्ट्स एंड सेंटर फॉर बजट एंड गवर्नेंस अकाउंटेबिलिटी' रिपोर्ट में पाया गया कि केन्द्र द्वारा प्रायोजित सोशल सेक्टर स्कीम्स ने 2017 से 2019 के दौरान फंड का 85 फीसदी से ज्यादा इस्तेमाल किया. यह दर्शाता है कि सोशल सेक्टर स्कीम्स जैसे चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज, सर्व शिक्षा अभियान, नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम और स्वच्छ भारत मिशन ने मिलने वाले फंड का उचित रूप से इस्तेमाल किया. यह इन स्कीम्स में फंड डाले जाने के लिए एक बड़ा प्रेरक होना चाहिए.

By: कमल नारायण, CEO, इंटीग्रेटेड हेल्थ एंड वेलबीइंग (IHW) काउंसिल

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