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Budget 2021 Expectations: क्या पीएम किसान की बढ़ेगी राशि? बजट से किसानों को हैं ये उम्मीदें

Union Budget 2021 Expectations for Agriculture Sector: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट 1 फरवरी को पेश करेंगी. इस बजट पर उद्योगों से लेकर आम लोगों की निगाह रहती है कि उन्हें क्या सहूलियतें मिली हैं.

Union Budget 2021 Expectations for Agriculture Sector: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट 1 फरवरी को पेश करेंगी. इस बजट पर उद्योगों से लेकर आम लोगों की निगाह रहती है कि उन्हें क्या सहूलियतें मिली हैं.

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Jeevan Deep Vishawakarma
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Union Budget 2021-22 Expectations for Agriculture Sector FARMERS DEMANDING A POLICY FOR EXPORT AND IMPORT FOR CROPS AND TO INCREASE PM KISAN AMOUNT

किसानों का मानना है कि पीएम किसान के तहत दी जाने वाली राशि बहुत कम है.

Union Budget 2021-22 Expectations for Agriculture Sector: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट 1 फरवरी को पेश करेंगी. इस बजट पर उद्योगों से लेकर आम लोगों की निगाह रहती है कि उन्हें क्या सहूलियतें मिली हैं. बजट में इस बार किसानों की भी उम्मीदें जुड़ी हुई हैं और उनकी भी कुछ मांगे हैं जैसे कि पीएम किसान के तहत दी जाने वाली राशि पर्याप्त नहीं है और उसे बढ़ाया जाना चाहिए. इसके अलावा बजट में किसानों को एक ऐसी नीति की उम्मीद लगी हुई जिससे उनकी फसलों के उचित दाम मिल सकें और आयात-निर्यात के फैसले से उन्हें फायदा हो.

बजटीय आवंटन की बात करें तो कृषि उससे संबंधित गतिविधियों के लिए इसमें बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए बजट एस्टीमेट (बीई) करीब 1.51 लाख करोड़ रुपये था जो अगले वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़कर लगभग 1.54 लाख करोड़ रुपये हो गया. इसके अलावा ग्रामीण विकास के लिए आवंटन भी 2019-20 में करीब 1.40 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2020-21 में बढ़ाकर 1.44 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया. पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत 2019-20 में 9682 करोड़ से बढ़ाकर 2020-21 में 11,127 करोड़ रुपये और पीएम फसल बीमा योजना के तहत 2019-20 में 14 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2020-21 में 15,695 करोड़ रुपये कर दिया गया.

कृषि उत्पाद के आयात-निर्यात पर उम्मीद

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आजादपुर मंडी पोटैटो ओनियन मर्चेंट एसोसिएशन (POMA) के जनरल सेक्रेटरी राजेंद्र शर्मा के मुताबिक किसानों की सबसे बड़ी समस्या उनकी फसलों की सही कीमत न मिल पाना है. उन्होंने आलू और प्याज का उदाहरण दिया. पिछले वर्ष 2020 में आलू और प्याज की बढ़ती कीमतों को थामने के लिए केंद्र सरकार ने नैफेड के जरिए विदेशों से 15 हजार टन आलू और 15 हजार टन प्याज मंगाने का फैसला किया था. हालांकि राजेंद्र शर्मा के मुताबिक यह सरकार द्वारा देर से लिया गया फैसला था क्योंकि उस समय तक भारतीय स्टॉक भी मंडियों में पहुंचना शुरू हो चुका था. राजेंद्र शर्मा के मुताबिक केंद्र सरकार को बजट में ऐसी किसी एक्सपर्ट समिति के गठन का ऐलान करना चाहिए जो फसलों की वास्तविक स्थिति का सटीक आकलन लगा सके और समय पर आयात का फैसला लिया सके. इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि विदेशों से गलत समय पर कृषि उत्पाद मंगाने पर भारतीय उत्पादों के भाव नहीं गिरेंगे. इसके अलावा निर्यात पर भी यह समिति सरकार को सलाह देगी.

यह भी पढ़ें- बजट से आम आदमी पर कैसे होता है असर? डिटेल में समझें

MSP का फायदा छोटे किसानों के लिए हो उपलब्ध

वर्तमान में किसान आंदोलन कर रहे हैं. उनकी एक प्रमुख मांग यह है कि न्यूनतम समर्थन राशि (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाए. इसका मतलब यह हुआ कि कानूनी गारंटी मिलने के बाद एमएसपी के नीचे अगर किसी कारोबारी ने फसल खरीदने के लिए किसानों को बाध्य करने की कोशिश की तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. राजेंद्र शर्मा के मुताबिक सरकार को चाहिए कि छोटे किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी दी जाए और एक निश्चित सीमा से अधिक जमीन वाले किसानों (यानी बड़े किसान) को इससे बाहर रखा जा सकता है क्योंकि वे अधिक सक्षम होते हैं और अपनी फसलों को उचित दाम पर बाहर भी बेच सकते हैं. शर्मा के मुताबिक सबसे पहले छोटे किसानों को एमएसपी का फायदा दिया जाना चाहिए.

पीएम किसान पर बड़े एलान की उम्मीद

केंद्र सरकार पीएम किसान के तहत हर साल किसानों को उनके खाते में सालाना 6 हजार रुपये तीन किश्त में भेजती है. हालांकि शर्मा का कहना है कि 6 हजार रुपये यानी 500 रुपये महीने से किसानों की जरूरतें नहीं पूरी हो सकती हैं. खाद, बीज इत्यादि के खर्चे इतनी कम राशि में नहीं पूरी हो सकती है.

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के परिगवां गांव के एक किसान और पीएम किसान मधुसूदन शुक्ला ने बताया कि 1 बीघे में धान की फसल लेने में करीब 3-3.5 हजार रुपये का खर्च होता है और गेहूं की फसल लेने में करीब 2-2.5 हजार रुपये खर्च होता है. ऐसे में अधिक जमीन वाले किसानों के लिए छह हजार रुपये बहुत कम सहायता राशि है. मधुसूदन शुक्ला के मुताबिक सरकार को पीएम किसान के तहत जमीन के आकार के आधार पर सहायता राशि देनी चाहिए.

हर साल 6 हजार रुपये किसानों के खाते में

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए बजट पेश करते समय वित्त मंत्री ने बजट में ही पीएम किसान योजना की घोषणा की थी. इस योजना के तहत किसानों के खाते में सीधे 6 हजार रुपये सालाना देने की बात कही गई थी. यह योजना 1 दिसंबर 2018 को शुरू की गई थी और इसके तहत साल में तीन बार दो-दो हजार की किश्त के रूप में सालाना छह हजार केंद्र सरकार किसानों के खाते में भेजती है. यह फायदा छोटे और सीमांत किसान परिवारों को मिलता है जिनके पास 2 हेक्टेअर से कम जमीन होती है. इस योजना के तहत अप्रैल-जुलाई, अगस्त-नवंबर और दिसंबर-मार्च की अवधि में खाते में पैसे भेजे जाते हैं. पीएम-किसान सम्मान निधि वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इस योजना के 11.47 करोड़ लाभार्थी हैं.

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