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Image: Reuters
इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसएिशन (ISSDA) ने सरकार से बजट 2021 में फेरो-निकेल और स्टेनलेस स्टील कतरन (स्क्रैप) पर आयात शुल्क हटाने का आग्रह किया है. फिलहाल फेरो-निकेल और स्टेनलेस स्टील कतरन पर मूल सीमा शुल्क 2.5 फीसदी है. ISSDA ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट के लिये वित्त मंत्रालय को सौंपी गयी अपनी सिफारिशों में ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड्स पर भी आयात शुल्क हटाने की मांग की है.
संगठन ने कहा, ‘‘हमने फेरो निकेल और स्टेनलेस स्टील कतरन समेत कच्चे माल पर 2.5 फीसदी मूल सीमा शुल्क हटाने की अपील की है.’’ फिलहाल, दोनों कच्चे माल देश में उपलब्ध नहीं हैं. इसलिए इनका आयात करना जरूरी होता है. उद्योग की फेरो निकेल और स्टेनलेस स्टील कतरन पर शुल्क हटाने की लंबे समय से मांग है. स्टील मंत्रालय भी इन उत्पादों पर शून्य शुल्क की वकालत कर चुका है. स्टेनलेस स्टील उद्योग अपनी निकेल जरूरतों को फेरो-निकेल और स्टेनलेस स्टील कतरन के माध्यम से पूरा करता है.
ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड्स पर इंपोर्ट ड्यूटी 7.5%
ISSDA ने ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड्स पर भी मौजूदा 7.5 फीसदी आयात शुल्क हटाने की मांग की है. स्टेनलेस स्टील की मैन्युफैक्चरिंग के लिये यह महत्वपूर्ण कच्चा माल है. इसके अलावा उद्योग संगठन ने स्टेनलेस स्टील की बनी चादरों समेत अन्य फ्लैट उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाकर 12.5 फीसदी करने और उसे कार्बन स्टील उत्पादों के स्तर पर लाने की मांग की है. ISSDA के अनुसार इन उपायों से न केवल घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि अवांछित स्टेनलेस स्टील के आयात पर भी अंकुश लगेगा.
MSME क्षेत्र को भी मिलेगी गति
संगठन के अध्यक्ष के के पहूजा के अनुसार, इन सुझावों को अमल में लाने से घरेलू उद्योग की प्रतिस्पर्धी क्षमता मजबूत होगी. साथ ही एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र को गति मिलेगी, जिसकी स्टेनलेस स्टील उद्योग में 40 फीसदी हिस्सेदारी है. उन्होंने कहा कि साथ ही इससे अनुचित आयात पर भी अंकुश लगेगा और घरेलू उद्योग को राहत मिलेगी जो कोविड-19 संकट के कारण 60 फीसदी क्षमता पर काम कर रहा है और वित्तीय दबाव में है.