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Budget 2021-22, Union Budget 2021: पीएम कुसुम योजना की कितनी बढ़ी चमक
Indian Union Budget 2021-22: यूनियन बजट 2020 में किसानों के लिए एक बड़ा एलान पीएम कुसुम योजना के तहत किया गया. बजट एलान के अनुसार इस योजना के तहत 20 लाख किसानों को सोलर पंप लगाने में मदद की जाएगी. वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा था कि 15 लाख किसानों को ग्रिड से जुड़े सोलर पंप लगाने के लिए धन मुहैया कराया जाएगा. असल में सरकार का लक्ष्य है कि देशभर में सिंचाई में काम आने वाले सभी डीजल या बिजली के पंप को सोलर ऊर्जा से चलाया जा सके, वहीं किसानों की आमदनी भी बढ़े. हालांकि इस योजना के पूरी तरह से लागू किए जाने में कई तरह की चुनौतियां देखने को मिल रही हैं, और जानकार भी मानते हैं कि पूरी तरह से लागू हो जाने के बाद ही पीएम कुसुम योजना की चमक बढ़ेगी.
वैसे तो किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (KUSUM) योजना का एलान बजट 2018-19 किया गया था, लेकिन इसे 2019 में कैबिनेट का अप्रूवल मिला था. बजट 2020 में वित्त मंत्री ने इस योजना का विस्तार किया है. योजना बिजली संकट से जूझ रहे इलाकों को ध्यान में रखकर चलाई जा रही है. मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में फरवरी 2019 में पीएम कुसुम योजना की शुरुआत की थी, जिसके लिए 34,422 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था.
किसानों का खर्च 10 फीसदी
सरकार द्वारा निर्धारित बजट के हिसाब से कुसुम योजना पर कुल 1.40 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी. कुसुम योजना पर आने वाले कुल खर्च में से केंद्र सरकार 48 हजार करोड़ रुपये का योगदान करेगी, जबकि इतनी ही राशि राज्य सरकार देगी. किसानों को कुसुम योजना के तहत सोलर पंप की कुल लागत का सिर्फ 10 फीसदी खर्च ही उठाना है. पहले चरएा में डीजल पंपों को बदलना है. जिन इलाके में बिजली ग्रिड नहीं है वहां कुसुम योजना के तहत किसानों को 17.5 लाख सौर पंप सेट दिए जाएंगे. इसके अलावा जिन जगहों पर बिजली ग्रिड है, वहां किसानों को 10 लाख पंप सेट दिए जाएंगे.
अभी क्या आ रही हैं दिक्कतें
पीएम कुसुम योजना के साथ एक बड़ी दिक्कत यह है कि इसे लेकर अभी बड़ी संख्या में किसानों में जानकारी का अभाव है. कई इलाकों में तो प्रचार-प्रसार के अभाव में इका बुरा हाल है. जितने किसानों को सोलर पंप देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया, वह भी पूरा नहीं हो पाया. जानकाी न होने पर किसान कृषि विभाग के दफ्तर नहीं पहुंच रहे. इस तरह की कई बार मीडिया रिपोर्ट भही आ चुकी है.
वहीं इस योजना को लेकर किसानों को खास ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही है कि इसके क्या फायदे हैं, इसका रख रखाव कैसे करना है. कैसे इसके जरिए किसान आमदनी भी कर सकते हैं.
इस योजना में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को योगदान देना है. लिहाजा केंद्र और राज्य में समन्वय न होने पर या नीति में अंतर होने की वजह से भी इसमें व्यावहारिक दिक्कतें हैं.
एन्वायरनमेंट चुनौतियां भी कहीं कहीं इस योजना में कमजोरी बन रही हैं. ग्राउंडवाटर के इस्तेमाल को लेकर सख्त प्रावधान हैं. ऐसे में अगर किसान अधिक बिजली पैदा कर उसे बेचना चाहता हे तो उसे ग्राउंडवाटर का अधिक इस्तेमाल करना होगा.
ये प्रावधान शामिल
हाल ही में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि राज्यों के साथ हुई चर्चा के आधार पर पीएम-कुसुम योजना के घटक-सी के तहत फीडर स्तर के सौर संयंत्र को भी शामिल करने का निर्णय किया गया है. योजना के तहत तीन घटक हैं. घटक-ए में विकेंद्रित जमीन पर ग्रिड से जुड़ा नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र का लगाया जाना शामिल हैं. घटक-बी में एकल आधार पर सौर बिजली चालित कृषि पंप तथा घटक-सी के तहत कृषि पंपों के लिये ग्रिड कनेक्टेड संयंत्र का प्रावधान शामिल किया गया है.
क्या हैं इसके फायदे
पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उन्हें सिंचाई के लिए फ्री बिजली मिलेगी. इस योजना से किसानों की डीजल और केरोसिन तेल पर निर्भरता घटेगी. दूसरा फायदा यह है कि इससे पैदा होने वाली अतिरिक्त बिजली को वे किसी कंपनी को बेच सकेंगे. इस योजना से किसान सौर ऊर्जा उत्पादन करने और उसे ग्रिड को बेचने में सक्षम होंगे. यानी उनकी आमदनी भी बढ़ेगी.
3 घटक
पीएम कुसुम योजना के तीन घटक हैं. योजना के तहत इन तीनों घटकों को मिलाकर 2022 तक कुल 25,750 मेगावाट सौर क्षमता तैयार करने की योजना है. वहीं आगे इसे बढ़ाकर 28250 मेगावाट करना है.
10,000 मेगावाट क्षमता के ग्रिड से जुड़े विकेंद्रीकृत नवीकरणीय बिजली संयंत्र
17.50 लाख ग्रिड से पृथक सौर बिजली कृषि पंप
ग्रिड से जुड़े हुए 10 लाख सौर बिजली कृषि पंपों का सोलराइजेशन
कैसे कर सकते हैं आवेदन
पीएम कुसुम योजना के तहत आवेदन के लिए सरकारी वेबसाइट https://mnre.gov.in/ पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होगा. इसके लिए आधार कार्ड, प्रॉपर्टी के दस्तावेज और बैंक खाते की जानकारी देनी होगी.