/financial-express-hindi/media/post_banners/SjJP5icFZ5OuNagZE4rp.jpg)
सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग द्वारा आयोजित वर्चुअल बैठक दो घंटे तक चली. (File Photo)
Union Budget 2021: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी बजट 2021-22 के लिए 8 जनवरी को प्रमुख अर्थशास्त्रियों और कई सेक्टर्स के विशेषज्ञों से बातचीत किया. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बातचीत में पीएम मोदी ने सरकार के उन कदमों का जिक्र किया जो कोरोना महामारी से लड़ाई के लिए अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर लिए गए. अर्थशास्त्रियों ने निजीकरण को बढ़ावा देने को कहा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालतों के फैसले को चुनौती देने से बचना चाहिए और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाना चाहिए. कुछ अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया कि आगामी बजट 2021-22 में राजकोषीय घाटे के प्रति उदार रूख अपनाना चाहिए. उनका मानना है कि इस समय कोरोना महामारी के प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था से निपटने के लिए खर्च बढ़ाना जरूरी है. उन्होनें सार्वजिनक स्वास्थ्य और शिक्षा पर निवेश बढ़ाने की भी सलाह दी है.
सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग द्वारा आयोजित यह वर्चुअल बैठक दो घंटे तक चली. इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने ने जिक्र किया कि राहत पैकेजों के अलावा सरकार ने ऐतिहासिक सुधार भी किए, जैसे कि कृषि, कॉमर्शियल कोल माइनिंग और श्रमिक कानूनों को लेकर.
अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले को चुनौती न देने की सलाह
नीति आयोग द्वारा जारी एक नोट के मुताबिक बैठक में शामिल लोग इस बात पर सहमत थे कि हाई फ्रिक्वेंसी इंडिकेटर से अनुमाान से जल्द इकोनॉमी रिकवरी हो रही है. इसके अलावा उनका मानना है कि अगले वित्त वर्ष में भी यह ग्रोथ जारी रहेगी. अर्थशास्त्रियों ने इस ग्रोथ को बनाए रखने के लिए सुझाव दिए ताकि देश की सोशियोइकोनॉमिक ट्रांसफॉर्मेशन को गति मिल सके. सोर्स के मुताबिक बैठक में शामिल लोगों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नीति लेकर आए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि निवेशकों का भरोसा बढ़ाए जाने की जरूरत है क्योंकि कई प्रकार के सुधारों के बावजूद देश में बड़ी मात्रा में निवेश नहीं आ रहा है. उनका कहना है कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालतों के फैसले को चुनौती देने से बचना चाहिए. अर्थशास्त्रियों ने सरकार से टैक्स-जीडीपी रेशियो बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाने की सलाह दी है जो 2008 के बाद से कम हो रहा है.
यह भी पढ़ें-बजट में हेल्थ रिफॉर्म पर दिख सकता है जोर, इंश्योरेंस सेक्टर की ये हैं उम्म्मीदें
निजीकरण के लिए अगल मंत्रालय बनाने का सुझाव
बैठक में शामिल कुछ अर्थशास्त्रियों ने सरकार को सुझाव दिया है कि सरकारी कंपनियों और संपत्तियों के निजीकरण के
लिए एक अलग मंत्रालय बनाया जाना चाहिए. नीति आयोग द्वारा जारी नोट के मुताबिक अर्थशास्त्रियों ने सरकार को सुझाव दिया है कि हाउसहोल्ड सेविंग्स को इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की लांग टर्म फंडिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. बैठक में शामिल अर्थशास्त्रियों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा पर निवेश की महत्ता पर जोर दिया क्योंकि मानव पूंजी ही ग्रोथ को आगे बढ़ाएगी. कुछ अर्थशास्त्रियों ने सरकार को एक्सपोर्ट प्रमोशन पर फोकस करने को कहा है क्योंकि इससे डोमेस्टिक मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा.
बैठक में ग्रोथ को बढ़ावा देने के विकल्पों पर हुई चर्चा
यह बैठक 1 फरवरी को अगले वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश किए जाने के पहले हो रही है. इसमें ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए उपायों पर चर्चा की गई. अर्थशास्त्रियों द्वारा दिए सुझावों को बजट करते समय ध्यान दिया जाएगा. इस बैठक में अरविंद पनगढ़िया, केवी कामथ, राकेश मोहन, शंकर आचार्य, शेखर शाह, अरविंद विरमानी, अशोक लहरी, अभय पेठे, अभिक बरुआ, रविंद्र ढोलकिया, सौम्य कांति घोष और सोनल वर्मा शामिल रहे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, योजना राज्य मंत्री इंद्रजीत सिंह, नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत भी बैठक में शामिल थे.
वित्त वर्ष 2021 में 7.7% की दर से रहेगी सिकुड़न
वित्त वर्ष 2020-21 में देश की जीडीपी 7.7 फीसदी की दर से सिकुड़ने का अनुमान लगाया गया है. यह अनुमान राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) द्वारा लगाया गया है. कोरोना महामारी के कारण मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सेग्मेंट्स को बुरी तरह प्रभावित किया है. केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में इकोनॉमी 7.5 फीसदी की दर से सिकुड़ सकती है. इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (आईएमएफ) के मुताबिक जीडीपी में 10.3 फीसदी और विश्व बैंक के मुताबिक जीडीपी में 9.6 फीसदी की दर से सिकुड़न रहेगी. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 फीसदी की दर से सिकुड़न रही थी और दूसरी तिमाही में 7.5 फीसदी की दर से सिकुड़न रही. 2019-20 में भारतीय जीडीपी 4.2 फीसदी की दर से बढ़ी थी.