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union budget 2021
Union Budget 2021-22 Expectations for Health Care: इस बार बजट ऐसे समय में पेश होने जा रहा है, जब देश की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का गहरा असर पड़ा है. वहीं कोरोना वायरस महामारी के चलते हेल्थकेयर सेक्टर के अलावा हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री फोकस में आ गई है. माना जा रहा है कि इस बार हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर कुछ बड़े एलान हो सकते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट का भी मानना है कि इस बार बजट हेल्थ रिर्फार्म वाला रहा है. कोरोना वायरस महामारी के चलते जिस तरह से इंश्योरेंस सेक्टर में बदलाव और इनोवेशन हुए हैं, सरकार टैक्स पेयर्स को कुछ राहत देने का एलान कर सकती है.
नए साल में हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री रहेगी फोकस में
ICICI लोम्बार्ड के चीफ- क्लेम, अंडरराइटिंग और रीइंश्योरेंस, संजय दत्ता के अनुसार कोविड महामारी के चलते हेल्थ इंश्योरेंस की संभावनाएं लगातार बढ़ी हैं. इस क्षेत्र में कई इनोवेशन हुए हैं. कोविड से जुड़े खास बेनिफिट प्रोडक्ट लॉन्च हुए हैं. कंपनियां होम हेल्थकेयर कवर दे रही हैं. इन-पेशेंट के कोविड क्लेम का वेटिंग पीरियड घटाकर 15 दिन कर दिया गया. वहीं अग साल 2021 आ चुका है, ऐसे में ज्यादा से ज्यादा कस्टमर अपने फाइनेंशियल प्लान में हेल्थ इंश्योरेंस को जरूर शामिल करेंगे. पहले इसे अपनी इच्छा से किया गया खर्चे की तरह देखा जा रहा था. ऐसे में नए साल में भी हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री फोकस में रहेंगी.
क्या है इंडस्ट्री की विश लिस्ट
आदित्य बिरला हेलथ इंश्योरेंस के सीईओ, मयंक बथवाल का कहना है कि वैश्विक महामारी से पहले भी, हेल्थ इंश्योरेंस एक बढ़ता हुआ सेक्टर था. हालांकि, महामारी ने स्वास्थ्य देखभाल की लागतों पर सेफ्टी नेट होने के नेचर की वजह से इस सेक्टर को और खास बना दिया है. इस स्थिति में, हेल्थ इंश्योरेंस करवाना हर फैमिली के जरूरी हो जाता है, जिससे हेल्थ इमरजेंसी लागत को लेकर सुरक्षा मिल सके. ऐसे में बजट से भी कुछ उम्मीदें हैं और यह बजट हेल्थ रिफॉर्म पर फोकस वाला रह सकता है.
उनका कहना है कि पर्सनल टैक्सपेयर्स के लिए कुछ राहत मिलनी चाहिए. मिडिल क्लास हेल्थ सुरक्षा के लिए अपनी मेहनत की कमाई का एक हिस्सा इंश्योरेंस पर खर्च करते हैं. जो कभी कभी उन्हें जरूरी निवेश की जगह अतिरिक्त निवेश या खर्च की तरह लग सकता है.
इसलिए आयकर अधिनियम की धारा 80 डी के तहत मेडिक्लेम टैक्स डिडक्शन की निर्धारित सीमा को 1,00,000 रुपये तक (50,000 रुपये- सेल्फ और स्पाउस + 50,000 रुपये - माता-पिता के लिए) बढ़ाना महत्वपूर्ण हो जाता है. वहीं, वित्त वर्ष 2018 के दौरान स्टैंडर्ड डिडक्शन में मर्ज किए गए मेडिकल रीइंबर्समेंट को 50,000 रुपये के टैक्स डिडक्शन के हॉयर लिमिट के साथ फिर से लागू करना चाहिए.
कभी भी आ सकती है कोरोना वरायरस जैसी महामारी
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ केके अग्रवाल का कहना है कि इस बार कोरोनावायरस महामारी को देखते हुए सरकार से हेल्थ बजट पर उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं. उनका कहना है कि कोरोना वायरस जैसी महामारी दुनिया या देश में कभी भी आ सकती है. पहले भी कई तरह की महामारी दुनिया को परेशान कर चुकी हैं. उनका कहना है कि ऐसी महामारी को देखते हुए सरकार को अपने हेल्थ बजट को पूरी तरह से रीस्ट्रक्चर किए जाने की जरूरत है.