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फैम ने ई-कॉमर्स पर 5% का विशेष कर लगाने का प्रस्ताव दिया है. (Image- PTI)
Indian Union Budget 2021-22: वित्त वर्ष 2021-22 का बजट 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी. इसे लेकर फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (FAIVM) ने केंद्रीय वित्त मंत्री को वित्त वर्ष 2021-2022 के लिए खुदरा व्यापारियों की ओर से सुझाव भेजे हैं. बजट से पहले वित्त मंत्री को भेजे गए सुझाव में फैम ने आग्रह किया है कि व्यापारिक समुदाय को भी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में बराबर का भागीदार माना जाना चाहिए तभी देश 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर (366 लाख करोड़ रुपये) की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल कर सकेगा. ई-कॉमर्स के कारण खुदरा निवेशकों का हित न प्रभावित हो, इसके लिए ऑनलाइन कारोबारियों पर टैक्स लगाने की मांग की है.
फैम ने कॉरपोरेट की तरह पार्टनरशिप फर्म और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP) को भी 22% के कर दायरे में लाने की वकालत की है. अभी इन पर 30 फीसदी टैक्स है. इसके अलावा फैम ने स्रोत पर कर कटौती (TDS) का प्रावधान सिर्फ उन व्यापारियों के लिए लागू करने को कहा है जिनका सालाना कारोबार 10 करोड़ रुपये से अधिक का हो. फैम ने अपनी पुरानी मांग को दोहराते हुए सरकार से आग्रह किया है कि मैन्युफैक्चरिंग, सेवा और खुदरा को एक साथ एक ही मंत्रालय के अधीन रखना चाहिए और लघु उद्योगों व सेवा क्षेत्र की तरह खुदरा व्यापारियों को भी सभी लाभ मिलने चाहिए.
ई-कॉमर्स पर 5% का विशेष कर लगाने का प्रस्ताव
इस समय ऑनलाइन खरीदारी तेजी से बढ़ रही है जिससे देशी परम्परागत खुदरा व्यापार प्रभावित हो रहा है. इसे लेकर फैम ने सुझाव दिया है कि ऑनलाइन ई-कॉमर्स के कुल कारोबार पर एक 5% का विशेष कर लगाया जाए. फैम के मुताबिक इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा और देश का परंपरागत खुदरा बाजार प्रतिस्पर्धात्मक भी हो सकेगा.
GST में एमनेस्टी स्कीम लाने को बताया जरूरी
फैम ने सुझाव दिया है कि 'विवाद से विश्वास योजना' की तरह जीएसटी स्टेटमेंट में किसी भी प्रकार की गलती के सुधार के लिए एमनेस्टी स्कीम लाई जानी चाहिए. फैम के मुताबिक अधिकांश कारोबारियों से अनजाने में जीएसटी स्टेटमेंट में गलतियां हो जाती हैं, ऐसे में सरकार को इन गलतियों को सुधारने के लिए बिना किसी जुर्माने के एक मौका देना चाहिए. फैम के नेशनल जनरल सेक्रेटरी वीके बंसल के मुताबिक सरकार को बजट में ट्रेडर्स के लिए लोन पर ब्याज में सबवेंशन योजना लानी चाहिए. इससे कोरोना महामारी के माहौल में कारोबारियों को मदद मिलेगी.
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वर्तमान कानूनों में ढील की उम्मीद
बंसल ने वित्त मंत्री से गुहार लगाई है कि वैश्विक महामारी के कारण कुछ कारोबारियों ने छंटनी की बजाय अपने कर्मचारियों के वेतन में कुछ कटौती की है जिसके लिए उन्हें न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के दायरे से बाहर रखा जाए. कोरोना महामारी के कारण कुछ कारोबारियों ने छंटनी की है जिसके कारण उनके यहां 20 से कम कर्मचारी हो गए हैं लेकिन पीएफ प्रोविजन्स के मुताबिक उन्हें अभी भी इसके प्रावधानों का पालन करना है. बंसल ने वित्त मंत्री को भेजे गए पत्र में गुहार लगाई है कि इसे 2 साल के लिए स्थगित किया जाए.