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भारत कृषक समाज (BKS) ने कहा कि सरकार को आने वाले बजट में यूरिया की कीमतों को बढ़ाकर उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को प्रोत्साहन देना चाहिए.
Indian Union Budget 2021-22: भारत कृषक समाज (BKS) ने मंगलवार को कहा कि सरकार को आने वाले बजट में यूरिया की कीमतों को बढ़ाकर और phosphatic और potassic (P&K) पोषक तत्वों की कीमतों को कम करके उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को प्रोत्साहन देना चाहिए. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त मंत्रालय के उच्च अधिकारियों के साथ बातचीत में बीकेएस के चेयरमैन अजय वीर जाखड़ ने डीजल पर टैक्स में कटौती और फलों और सब्जियों पर ट्रांसपोर्ट सब्सिडी घटाने की भी मांग की, लेकिन अस्वस्थ भोजन पर कर की मांग की है.
शराब को जीएसटी व्यवस्था में शामिल करने का भी सुझाव
बैठक में नेशनल को-ऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया (NCUI), पंजाब एग्रीकलचर यूनिवर्सिटी, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IFPRI) समेत अन्य भी मौजूद थे. एसोसिएशन ने कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों के कल्याण के लिए 15 सुझाव बताए जिसमें डीजल पर टैक्स में कटौती और शराब को जीएसटी व्यवस्था में शामिल करना है. बीकेएस ने अपनी ओर से कहा कि उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल पर प्रोत्साहन, यूरिया की कीमतों में बढ़ोतरी और साथ में P&K उर्वरकों के दाम को घटाना चाहिए, जिससे किसानों या सरकार पर अतिरिक्त दवाब भी न पड़े.
यूरिया की कीमत कानूनी तौर पर सरकार तय करती है. 45 किलो के यूरिया बैग की अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) 242 रुपये प्रति बैग और 50 किलो के यूरिया बैग की कीमत 268 रुपये प्रति बैग है. क्योंकि P&K उर्वरक अनियंत्रित हैं, इसलिए इनका MRP कंपनियां तय करती हैं. हालांकि, P&K उर्वरकों के लिए न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी (NBS) स्कीम के तहत, सब्सिडी वाले P&K उर्वरक के हर ग्रेड पर उसके पोषक तत्वों के आधार पर एक तय राशि की सब्सिडी दी जाती है. बीकेएस ने माइक्रो सिंचाई के लिए तीन गुना निवेश और किसानों के लिए सोलर पंप के साथ मिट्टी की नमी को मापने वाले सेंसर के लिए मांग की.
मानव संसाधन में निवेश को प्राथमिकता देने को कहा
बीकेएस ने कहा कि इंफ्रास्ट्रकचर की जगह मानव संसाधन में निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिए. उसने कहा कि देश भर के कृषि अनुसंधान संस्थानों में करीब 50 फीसदी वैकेंसी मौजूद हैं. अगले कुछ सालों के दौरान कृषि जीडीपी की एग्री आर एंड डी पर 2 फीसदी खर्च का लक्ष्य रखें. जाखड़ ने कहा कि कोविड-19 महामारी से अर्थव्यवस्था, रोजगार और सरकार के राजस्व पर असर हुआ है और इसलिए उन्होंने शराब और कृषि उत्पाद को जीएसटी की सबसे ऊंची टैक्स स्लैब के तहत लाने की सुझाव दिया.