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Budget 2021-22, Union Budget 2021: पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम आदमी के लिए कई एलान किए.
Union Budget 2021 India: वित्त वर्ष 2020-21 का बजट 1 फरवरी को पेश वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया था. इस बजट में लोगों को खर्च करने को उत्साहित करने के लिए टैक्स स्लैब में कई बदलाव किए गए थे. वित्त मंत्री ने टैक्स से जुड़े मामलों को लेकर एक योजना 'विवाद से विश्वास तक' की भी शुरुआत की थी जिसके तहत लंबित कर विवादों का समाधान करने का लक्ष्य रखा गया था.
बजट में वित्त मंत्री ने कई घोषणाएं की थीं लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते सभी योजनाओं का पूरी तरह से क्रियान्वन नहीं हो सका. इसके अलावा कुछ योजनाओं की डेडलाइन भी बढ़ा दी गई. इसके अलावा एक रिक्रूटमेंट एजेंसी का गठन किया गया है जिससे रोजगार तलाश कर रहे प्रतियोगियों का न सिर्फ समय बचेगा बल्कि उन पर आर्थिक बोझ भी कम पड़ेगा.
'विवाद से विश्वास' स्कीम
प्रत्यक्ष कर से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए इस साल बजट में 'विवाद से विश्वास' स्कीम योजना लाने की घोषणा की गई थी. इसका लक्ष्य देश में लंबित कर विवादों समाधान करना है. इस स्कीम के तहत करदाताओं को केवल विवादित टैक्स राशि का भुगतान करने की छूट दी गई और ब्याज व जुर्माने से छूट दी गई. यह योजना 17 मार्च 2020 को प्रभाव में आई थी. पहले इसकी डेडलाइन 30 जून 2020 थी जिसे बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 तक कर दिया गया. इसे एक बार फिर बढ़ाकर 31 मार्च 2021 किया जा चुका है. इस योजना का लाभ उठाकर कर विवादों का समाधान किया जा सकता है और जुर्माना, ब्याज व मुकदमेबाजी से छुटकारा पाया जा सकता है.
आम लोगों की जमा को किया सुरक्षित
बैंक के डूबने की स्थिति में जमाकर्ताओं को अधिक नुकसान न हो, इसके लिए बजट में एक प्रस्ताव रखा गया था. इस प्रस्ताव के तहत वित्त मंत्री ने जमाकर्ता की इंश्योर्ड राशि को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक किए जाने का प्रस्ताव रखा था. इसका अर्थ यह हुआ कि बैंक डूबने की स्थिति में 5 लाख तक की डिपॉजिट (ब्याज सहित) जमाकर्ताओं को वापस मिलती. इस फैसले से आम लोगों की बैंक जमा सुरक्षित हुई है.
रोजगार तलाश रहे लोगों के लिए
इस साल बजट में वित्त मंत्री ने कहा था कि एक राष्ट्रीय रिक्रूटमेंट एजेंसी (एनआरए) की स्थापना की जाएगी. बजट घोषणा के मुताबिक इसे एक कॉमन रिक्रूटमेंट टेस्ट के जरिए भर्ती के उद्देश्य से गठित करने का प्रस्ताव रखा गया था. बजट में किए गए वादे के मुताबिक 19 अगस्त 2020 को इसका गठन किया गया. इसका कार्य केंद्र सरकार की सभी नौकरियों के ग्रुप बी और ग्रुप सी पदों के लिए एक परीक्षा का आयोजन करना है. इसमें आरआरबी, आईबीपीएस और एसएससी का विलय कर दिया जाएगा. योग्यता के मुताबिक विभिन्न स्तरों पर 10वीं, 12वीं और स्नातक पास लोगों के लिए अलग-अलग कॉमन एंट्रेस टेस्ट (सीईटी) लिया जाएगा.
यह हर साल दो बार आयोजित होगी. इससे रोजगार खोज रहे लोगों को बहुत फायदा हुआ क्योंकि अब अलग-अलग फॉर्म भरने की जरूरत खत्म हुई और कई एग्जाम देने की भी जरूरत खत्म हुई. इससे न सिर्फ प्रतियोगी का समय बचेगा बल्कि उनका खर्च भी कम होगा. इसका स्कोर कार्ड तीन साल के लिए वैध रहेगा.
इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव
बजट में वैकल्पिक योजना के तहत 5 से 7.5 लाख की आमदनी पर टैक्स रेट 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया. 7.5 लाख से 10 लाख की आमदनी पर टैक्स रेट 20 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी, 10-12.5 लाख तक की आमदनी पर टैक्स रेट 30 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी, 12.5 लाख से 15 लाख तक की आमदनी पर टैक्स रेट 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया गया. 30 लाख से अधिक की आमदनी पर टैक्स रेट 30 फीसदी पर स्थिर रखा गया. इससे पहले 5-10 लाख तक एक ही स्लैब 20 फीसदी के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता था और 10 लाख से अधिक की आमदनी पर 30 फीसदी की दर से टैक्स चुकाना पड़ता था.
कोरोना महामारी के दौरान भी शुरू की गई योजनाएं
पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि- कोरोना महामारी के कारण कई लोगों को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा और कई लोगों को खाने-पीने की भी दिक्कत हो गई. इसे लेकर कोरोना महामारी के दौर में सरकार ने आम लोगों की मदद के लिए कई योजनाएं चलाईं. केंद्र सरकार ने जून 2020 में पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना लांच किया. केंद्र सरकार ने यह योजना कोरोना के कारण प्रभावित हुए रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचकर दुकानदारों की मदद के लिए शुरू किया था. इस योजना के तहत सस्ती दरों पर बिना गारंटी 10 हजार तक का लोन मिलता है. इस योजना के तहत ठेले वाले दुकानदार, नाई की दुकान, मोची, पान की दुकान, सब्जी वाले, फल वाले इत्यादि लाभ उठा सकते हैं.
ईपीएफ खाते से विदड्रॉल की मंजूरी- कोरोना महामारी के कारण कई लोगों को रोजगार गंवाना पड़ा. उनकी मदद के लिए मार्च में केंद्र सरकार ने ईपीएफओ के 6 करोड़ सब्सक्राइबर्स को अपने ईपीएफ खाते से विदड्रॉल करने की अनुमति दी थी. इसके तहत ईपीएफ सब्सक्राइबर्स अपने खाते से तीन महीने के बेसिक पे और डीए के बराबर राशि या ईपीएफ खाते की 75 फीसदी राशि तक विदड्रॉल कर सकते थे और इसे फिर वापस लौटाने की जरूरत नहीं थी. इस प्रावधान के तहत दोनों में जो राशि कम होती, उतनी निकासी करने का प्रावधान किया गया था. केंद्र सरकार ने यह फैसला कोरोना महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान लोगों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए लिया था. केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार के मुताबिक ईपीएफओ ने कोरोना से जुड़े 52 लाख नॉन-रिफंडेबल एडवांस क्लेम्स के तहत 13,300 करोड़ रुपये चुकाए हैं.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना- कोरोना महामारी के कारण कई लोगों को खाने-पीने की दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. इसे लेकर केंद्र सरकार ने 26 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत देश के करीब 80 करोड़ राशन कार्डधारकों को मुफ्ट में अनाज उपलब्ध कराने का एलान किया गया था. इस योजना के तहत एक परिवार के प्रति सदस्य को 5 किलो गेहूं या चावल और 1 किलो चने की दाल देने का प्रावधान किया गया था. यह अनाज के मौजूदा कोटे से अतिरिक्त दिया जाना था. हालांकि यह योजना 30 नवंबर तक के लिए ही लाया गया था.