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Union Budget 2021 Expectations for Mutual Fund Investors: बजट में रिटेल निवेशकों को भी राहत का इंतजार है.
Indian Union Budget 2021-22: बजट 2021 पेश होने में अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं. ऐसे में रिटेल निवेशकों की भी बजट से कई उम्मीदें हैं. साल 2020 निवेशकों के लिए बेहद उतार चढ़ाव वाला रहा है, हालांकि साल के अंत में बाजार का ओवरआल प्रदर्शन मजबूत रहा. लेकिन पिछले साल खासतौर से म्यूेचुअल फंड निवेशकों को कई स्कीम में नुकसान उठाना पड़ा है. ऐसे में निवेशक इस बार बजट में अपने लिए कुछ राहत चाहते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि बजट में टैक्स स्कीम का दायरा बढाते हुए डिविडेंड टैक्स पर छूट देकर राहत दे सकती है. वहीं इंडेक्सेशन के जरिए भी निवेशकों को राहत की आस है. इससे म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की कुछ डिमांड लंबे समय से है.
अभी निवेशकों के रिटर्न पर कैंची
बता दें कि लांग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स यानी एलटीसीजी के अलावा डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स यानी DDT ऐसे टैक्स हैं जो निवेशकों के रिटर्न पर टैक्स की कैंची चला देते हैं. इससे म्यूचुअल फंड निवेशकों का असली रिटर्न घटकर कम हो जाता है. वहीं बजट में टैक्स सेविंग वाली स्कीम कम हैं. लंबे समय से नई टैक्स सेविंग स्कीम लाए जाने की मांग की जा रही है. डेट फंडों को भी इस दायरे में लाए जाने की डिमांड है.
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टैक्स फ्री स्कीम का दायरा
बजट में अगर सरकार टैक्स छूट के फायदे वाली म्यूचुअल फंड की नई स्कीम के बारे में एलान करती है तो इससे निवेश बढ़ सकता है. म्यूेचुअल फंड इंडस्ट्री की डिमांड है कि डेट सेग्मेंट में भी टैक्स सेविंग्स स्कीम लॉन्च हो, जिसमें निवेश करने पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 सी के तहत छूट मिल सके. ऐसा होता है तो इस सेग्मेंट को लेकर निवेशकों का आकर्षण और बढ़ेगा. इस बारे में एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंड यानी Amfi ने भी सरकार को लंबे समय से प्रपोजल भेजा हुआ है. अभी बाजार में सिर्फ इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ELSS ही है, जिस पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 सी के तहत छूट मिल रही है.
डिविडेंड पर टैक्स से राहत
निवेशकों और एक्सरपर्ट को डिविडेंड पर टैक्सा से राहत मिलने की उम्मीकद है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर डिविडेंट पर टैक्स से कुछ राहत मिले तो रिटेल निवेशकों की बाजार में भागीदारी और बढ़ जाएगी. वैसे भी इन दिनों फिक्स्ड इनकम वाले निवेश में रिटर्न घट रहा है, ऐसे में डिविडेंड पर टैक्स से राहत मिलने के बाद वे निवेशक भी इक्विटी या इक्विटी फंड का रुख कर सकते हैं. पहले यह टैक्स डिविडेंड देने वाली कंपनी पर लगता था. लेकिन बाद में कॉरपोरेट को राहत देने के लिए यह भार निवेशकों पर डाल दिया गया. इससे खासतौर से रिटायर्ड निवेशकों को ज्यातदा राहत मिलेगी.
इंडेक्सेशन बेनेफिट
इक्विटी रिलेटेड म्यूचुअल फंड पर इंडेक्सेरशन बेनेफिट की भी उम्मीद है. ऐसा होता है तो निवेशक इक्विटी फंड में निवेश ज्यादा दिनों तक निवेश बनाए रख सकते हैं. इससे लांग टर्म निवेश पर ज्यादा रिटर्न का लाभ मिलेगा. अभी सरकार गोल्ड, डेट फंड और रियल एस्टेट में यह राहत दे रही है. 2018 से लांग टर्म कैपिटल गेंस पर बिना इंडेक्सेशन बेनेफिट के 10 फीसदी टैक्स लगता है. इसके अलावा यूलिप और इक्विटी फंड का दायरा एक करने की डिमांड है, जिससे इक्विटी फंड में निवेश बढेगा.
(नोट- BPN फिनकैप के डायरेक्टएर एके निगम से बातचीत पर आधारित)