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Budget 2021-22, Union Budget 2021: देशभर में जनऔषधि केंद्रों का लगातार विस्तार हो रहा है.
Indian Union Budget 2021-22: वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (PMBJK) स्कीम को लेकर बड़ा एलान किया था. उन्होंने 2024 तक हर जिले तक जनऔषधि स्कीम पहुंचाने का लक्ष्य रखते हुए वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 490 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. 2024 तक देशभर में 10500 केंद्र खोले जाने थे, जिसके बाद इसे आगे और विस्तार दिया जाना था. जिससे सस्ती और क्वालिटी दवाएं देश के कोने कोन तक पहुंच सकें. जिन योजनाओं पर सरकार का ज्यादा फोकस है, उनमें से एक जनऔषधि स्कीम भी है. माना जा रहा है कि इस बजट में भी इसे लेकर कुछ नया एलान हो सकता है. जानते हैं इस स्कीम का देशभर मेंअबतक कितना विस्तार हुआ है और इसके क्या फायदे मिल रहे हैं.
बजट के बाद से बढ़े 2000 केंद्र
इस साल बजट के बाद से बात करें तो देशभर में करीब 2000 नए जनऔषधि केंद्र खुल चुके हैं. फरवरी तक देश में करीब 4500 केंद्र के जरिए सस्ती दवाएं लोगों तक मुहैया कराई जा रही थीं. अभी इनकी संख्या बढ़कर 6600 के आस पास हो गई है. साल 2020 में 2500 नए केंद्र खोलने का टारगेट था, जिसके आस पास सरकार पहुंच गई है. इस स्कीम के जरिए 2024 तक देशभर में 10500 केंद्र खोलने का लक्ष्य है, जिसे ब्लॉक स्तर तक सस्ती दवाओं की पहुंच हो.
लॉकडाउन ने बढ़ाईं चुनौतियां
जनऔषधि केंद्र का जिम्मा संभाल रही बीपीपीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पिछले दिनों कोरोना के चलते देशभर में लगे लॉकडाउन की वजह से इस स्कीम को बढ़ाने में कुछ दिक्कतें आईं. ऐसा न होता तो सरकार इस साल का लक्ष्य आसानी से पार कर जाती. हाल ही में यूनियन मिनिस्ट्री आफ केमिकल एंड फर्टिलाइजर ने भी 68 दिनों के लॉकडाउन का जिक्र किया था. मार्च से जून के बीच जनऔषधि स्कीम को लेकर कई तरह की चुनौतियां आईं. रॉ मटेरियल्स की कमी से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन सप्लाई तक की दिक्कतें हुईं. नए केंद्र भी बहुत कम ही खुल पाए.
12000 से ज्यादा लोगों को रोजगार
असल में सरकार जनऔषधि स्कीम के जरिए न सिर्फ देश भर में सस्ती और क्वालिटी दवाओं की दुकान आम लोगों की भागीदारी से खोल रही है, वहीं इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देने का भी लक्ष्य है. इस योजना में कुछ शर्तें पूरी करने के बाद कोई भी आम नागरिक हिस्सा ले सकता है. सरकारी डाटा के अनुसार इस योजना के जरिए करीब 12000 से ज्यादा को रोजगार मिला है, जिसमें 1000 महिलाएं हैं.
कैसे हो रहा है लाभ
आम लोगों को: जनऔषधि केंद्रों पर जेनेरिक और क्वालिटी दवाएं सरकार की ओर से सप्लाई की जाती हैं. इन दवाओं की कीमत बाजार रेट से 80 से 90 फीसदी तक कम है. यानी इन केंद्रों से दवा खरीदने पर 80 फीसदी तक पैसों की बचत हो सकती है. दवाएं कम न हों, इसके लिए सरकार इन केंद्रों के लिए लगातार दवाओं की संख्या बढ़ा रही है. अभी इन केंद्रो पर 1250 के करीब जेनेरिक दवाएं हैं और 200 से ज्यादा इक्यूपमेंट.
सेंटर चलाने वालों को: जो व्यक्ति जनऔषधि केंद्र चलाता है, उसे इन दवाओं के बेचने पर तय कमिशन और साथ में इंसेंटिव भी मिलता है जो उसका लाभ होता है. कुल बिक्री पर 20 फीसदी मार्जिन के रूप में कमिशन है और साथ में इंसेटिव. पहले यह कमिशन 15 फीसदी था, जिसे बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया.
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आपने महीने में 1 लाख रुपये की भी बिक्री की तो आपको उस महीने 20 हजार रुपये की इनकम हो जाएगी. ट्रेड मार्जिन के अलावा सरकार मंथली सेल्स पर इंसेंटिव भी देगी, जो आपके बैंक अकाउंट में आ जाएगा. सरकार जनऔषधि केंद्र खोलने पर 2.5 लाख रुपये तक की सहायता करती है. यह हेल्प मेडिकल सटोर चलाने वालों को इंसेटिव के रूप में दिया जाता है.
कौन खोल सकता है जनऔषधि केंद्र
पहली कैटेगरी के तहत कोई भी व्यक्ति, बेरोजगार फार्मासिस्ट, डॉक्टर, रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर केंद्र खोल सकता है. दूसरी कैटेगरी के तहत ट्रस्ट, एनजीओ, प्राइवेट हॉस्पिटल, सोसायटी और सेल्फ हेल्प ग्रुप को जनऔषधि केंद्र खोलने का अवसर मिलेगा. तीसरी कैटेगरी में राज्य सरकारों की ओर से नॉमिनेट की गई एजेंसी होगी.