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Union Budget 2021 India: आज देशभर के 24700 अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के तहत जरूरतमंदों का इलाज किया जा रहा है.
Indian Union Budget 2021-22: आज देशभर के 24700 अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के तहत जरूरतमंदों का इलाज किया जा रहा है. आयुष्मान भारत योजना मोदी सरकार की महात्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत गरीब परिवारों को प्रति साल 5 लाख रुपये तक की मदद देने का प्रावधान है. सरकार की इस योजना पर कितना फोकस है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है पिछले बजट में वित्त मंत्री ने पीएम जन आरोग्य योजना के लिए 6000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. आयुष्मान भारत योजना को पीएम जन आरोग्य योजना के भी नाम से जाना जाता है. सरकार का प्लान टियर-2 व टियर-3 लेबल के ज्यादा से ज्यादा शहरों में अस्पतालों को इस योजना से जोड़ना है या नए अस्पताल बनाने हैं.
अप्रैल के बाद से 5000 अस्पताल बढ़े
अप्रैल के बाद से अबतक आयुष्मान भारत योजना से करीब 5000 नए अस्पताल जोड़े जा चुके हैं. अप्रैल में इस योजना के तहत 19540 अस्पतालों में इलाज चल रहा था. अब अस्पतालों की संख्या बढ़कर 24700 हो गई है. इन अस्पतालों में अबतक 1,46,74,840 मरीजों का इलाज किया जा चुका है. वहीं, अबतक इसके तहत 12,76,79,996 ई-कार्ड बनाए जा चुके हैं. योजना के तहत इलाज के लिए ये ई कार्ड जरूरी हैं. पिछले 234 घंटों में करीब 91908 ई कार्ड इश्यू किए गए हैं.
निजी अस्पतालों की बढ़ रही है भागीदारी
आयुष्मान भारत योजना के तहत अस्पतालों के पैनल में निजी अस्पतालों की भागीदारी बढ़ाई जा रही है. अप्रैल के बाद से नेशनल हेल्थ अथॉरिटी पर डाटा देखें तो जितने अस्पताल बढ़ाए गए हैं, उनमें करीब 60 फीसदी अस्पताल प्राइवेट हैं. हालांकि ओवरआल अभी सरकारी अस्पतालों की ही संख्या ज्यादा है. करीब 50 करोउ़ आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें इसलिए योजना के विस्तार के तहत टियर-2 व टियर-3 लेबल के शहरों में और ज्यादा अस्पताल खोले जाएंगे. यह काम पीपीपी मॉडल के तहत किया जाएगा. सरकार इसके लिए मेडिकल डिवाइस से मिले टैक्स द्वारा इसकी फंडिंग करेगी.
आ रही हैं कुछ दिक्कतें
आयुष्मान भारत के तहत ज्यादा से ज्यादा निजी अस्पतालों को सपोर्ट करने के लिए कहा गया है. हालांकि शुरुआती दिनों में निजी अस्पतालों के लिए प्रॉसिजर की प्राइसिंग तय करना विवाद का एक प्रमुख कारण रहा है. जिसमें मेडिकल प्रोफेशनल द्वारा चलाए जा रहे छोटे नर्सिंग होम भी शामिल थे. एक्सपर्ट मानते हैं कि इसी वजह से अभी भी कई बड़े कॉरपोरेट अस्पताल इस योजना में पूरी तरह से भाग नहीं ले रहे हैं. इसीलिए ऐसी माग हो रही है कि सरकार देश में हाई लेवल के वेलनेस सेंटर और प्राइमरी सेंटर्स बनाने पर जोर दे. इसका फायदा यह होगा कि मरीजों की अस्पताल जाने के पहले यहां बेहतर तरीके से स्क्रीनिंग हो सकेगी. वायबिलिटभ् गैप फंउिंग मकैनिज्म पर एक्सपर्ट जोर दे रहे हैं, जिससे लो कास्ट प्रोसिजर के लिए अस्पतालों को सपोर्ट मिलेगा और ज्यादा से ज्यादा निजी अस्पताल इसमें हिस्सा लेंगे. क्रॉस-सब्सिडाइजेशन भी एक उपाय हो सकता है, जो भुगतान नहीं कर सकते हैं.
क्या है ये स्कीम
बता दें कि आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत साल 2018 में की गई थी. इसके तहत भारत की लगभग 40 फीसदी जनता को कवर स्वास्थ्य सेवाएं दी जाती है. इस स्कीम के अंतर्गत भारत के लगभग 10 करोड़ परिवार शामिल हैं जिन्हें 5 लाख रुपये सालाना के हिसाब से स्वास्थ्य सुविधा दी जाती है. इस स्कीम से 10 करोड़ परिवारों के करीब 50 करोड़ लोगों को लाभ देने का लक्ष्य है. महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी को लाभ मिल सके इसलिए इस स्कीम उम्र को लेकर कोई रोक नहीं लगाई गई है. इसमें अस्पताल में भर्ती होने और उपचार होने के बाद के खर्च को भी शामिल किया गया है.
किसी भी अस्पताल में ले सकते हैं लाभ
इस स्कीम की बेनिफिट पोर्टेबल हैं और लाभार्थी पूरे देश में पैनल में शामिल किसी भी सरकारी या प्राइवेट हॉस्पिटल में कैशलेस तरीके से इसका लाभ ले सकता है. इसके अंतर्गत सरकार ने साल 2022 तक करीब डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोलने का लक्ष्य रखा है.