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The impact of the coronavirus in the year 2020 has also led many Indian promoters to face challenges, which has significantly impacted the growth and development of the insurance sector.
Indian Union Budget 2021-22: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संकट से दुनिया अभी तक निकली नहीं पाई है. भारत सहित कई देशों में अभी भी इसका रिस्कं बना हुआ है. कोरोना वायरस महामारी ने देश के लोगों पर बहुत बड़ा असर डाला है. इस दौरान लोगों के बीच हेल्थ इंश्योरेंस का महत्व तेजी से बढ़ा है. लोगों ने इसे एक जरूरी निवेश के तौर पर देखना शुरू किया है. बजट 2021 भी इस बार ऐसे समय पेश होने जा रहा है, जब कोरोना वायरस महामारी की चर्चा बनी हुई है. माना जा रहा है कि इस बार हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर कुछ बड़े एलान हो सकते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट का भी मानना है कि इस बार बजट हेल्थ रिफॉर्म वाला रह सकता है. कोरोना वायरस महामारी के चलते जिस तरह से इंश्योरेंस सेक्टर में बदलाव और इनोवेशन हुए हैं, सरकार टैक्स पेयर्स को कुछ राहत देने का एलान कर सकती है.
कोरोना वैक्सीनेशन पर टैक्स छूट
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड इंश्योरेंस के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर और चीफ रिस्क ऑफिसर गोपाल बालाचंद्रन का कहना है कि अगर सरकार हेल्थ चेक-अप पर मिलने वाले टैक्स डिडक्शन के दायरे में लोगों की ओर से कराए जाने वाले वैक्सी नेशन के खर्च को शामिल कर ले तो यह एक बड़ा कदम साबित होगा. उनका यह भी कहना है कि हालांकि टैक्सपेयर्स की ओर से दिए जाने वाले टैक्स इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान की वजह से टैक्स में कटौती हासिल होती है. लेकिन अगर इंश्योरेंस प्रीमियम देने की वजह से जो डिडक्शन हासिल होता है उसे कम से कम और 50 फीसदी बढ़ाया जाए तो देश में हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच का दायरा ज्यादा बढ़ेगा.
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ऐसे बढ़ सकता है हेल्थ इंश्योरेंस का दायरा
उनका कहना है कि कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से अदा किए जाने वाले हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जो जीएसटी चार्ज लगता है कि उस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलना चाहिए. ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस कवर खरीदने पर जीएसटी चार्ज पर इनपुट टैक्स क्रेडिट दिया जाना चाहिए. हालांकि मौजूदा जीएसटी कानून में इसका प्रावधान नहीं है. उनका कहना है कि कोविड-19 ने सभी कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस को अनिवार्य बनाने की जरूरत खड़ी कर दी है. हेल्थ इंश्योरेंस उनके स्वास्थ्य और जिंदगी की सुरक्षा के लिए जरूरी है. ऐसे में सरकार अगर इस तरह के एलान करती है तो यहां से हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच बढ़ाने का मजबूत आधार मिल सकता है.
टैक्सपेयर्स पर कम होगा बोझ
इससे हेल्थ इंश्योरेंस न सिर्फ नागरिकों और टैक्सपेयर्स को दिक्कतों से बचाएगा बल्कि उनके टैक्स बोझ को भी कम करेगा. भारत युवा आबादी वाला देश है, जहां लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत है. अगर सरकार इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने को बढ़ावा देती है तो लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा, जिसे वे खर्च कर सकेंगे. जो लोग नौकरी करते हैं या कारोबार करते हैं उनकी कमाई बचेगी क्योंकि बीमारियों, हॉस्पिटलाइजेशन और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर किया जाने वाला खर्च, हेल्थ इंश्योरेंस होने की वजह से बच जाएगा. हेल्थ इंश्योरेंस मेडिकल खर्चों को कवर करता है.
सरकार को भी होगा फायदा
जब लोगों के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा होगा तो यह सरकार के खजाने में भी जाएगा. सरकार इन खर्चों पर अप्रत्यक्ष कर के जरिये ज्यादा राजस्व जुटा पाएगी. उनका कहना है कि पूरी उम्मीद है कि आने वाले बजट में सरकार गैर जीवन बीमा सेक्टर को रफ्तार देने के लिए माकूल कदम उठाएगी. इससे देश में इंश्योरेंस का दायरा और बढ़ेगा.