/financial-express-hindi/media/post_banners/uP7rNoIrkNSfXjQVRi5R.jpg)
Union Budget 2021 India: कोरोना संकट में परेशान रहे टैक्सपेयर्स को बजट से क्या उम्मीदें हैं.
Indian Union Budget 2021-22: वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में सरकार द्वारा सबसे प्रतीक्षित एनुअल पॉलिसी अनाउंसमेंट से एक केंद्रीय बजट का सभी को इंतजार है. बजट पेश होने में महज अब कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में व्यक्तिगत करदाताओं को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं. इस बार उम्मीदें कुछ ज्यादा हो सकती हैं, क्योंकि कारोना वायरस महामारी की वजह से आम आदमी की लाइफ और इनकम दोनों ही प्रभावित हुई है. इसके अलावा सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से ओवरआल इकोनॉमी पर असर हुआ है.
सरकार के पहलू से देखें तो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पहले ही कुछ रिफॉर्म का एलान हुआ है. इसके अलावा विशेष रूप से गुड्स एंड सर्विसेज की घरेलू खपत को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कई उपाय किए गए हैं. अब बजट में इन उपायों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए. फिलहाल बजट में पर्सनल टैक्सपेयर्स की विशलिस्ट ये है.
COVID-19 ट्रीटमेंट के लिए अलग से डिडक्शन
मौजूदा समय में विकलांगता/गंभीर विकलांगता से पीड़ित या आत्म निर्भर आश्रितों के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए आयकर अधिनियम, 1961 के चैप्टर VI-A के तहत कुछ कटौती निर्धारित की गई है (धारा 80DD, अधिनियम का 80U). वहीं, प्रेसक्राइब्ड डिजीज के लिए (आईटी एक्ट के चैप्टर 80DDB के तहत) यह प्रावधान है. हालांकि, अधिनियम के तहत कोई विशेष कटौती नहीं है जो COVID-19 के ऐसे रोगियों के लिए उपचार लागत को कवर करता है, जो किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस के अंतर्गत नहीं आते हैं.
COVID-19 के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए PM CARES फंड में किया गया दान अधिनियम 80G के तहत 100 फीसदी डिडक्शन के लिए पात्र है, लेकिन इय बीमारी के ट्रीटमेंट पर किए गए खर्चों के लिए कोई कटौती नोटिफाई नहीं किया गया है. सरकारी या निजी अस्पतालों में COVID-19 के ट्रीटमेंट में शामिल लागत को देखते हुए, 1 लाख रुपये तक या एक्चुअल ट्रीटमेंट कास्ट में जो भी कम हो, पर एक अलग डिडक्शन का प्रावधान होना चाहिए.
वर्क फ्रॉम होम के लिए सुविधा
मार्च 2020 में COVID-19 महामारी के वजह से लगे लॉकडाउन ने कर्मचारियों को भी प्रभावित किया है. लॉकडाउन की वजह से वर्क फ्रॉम होम का कल्चर शुरू हुआ. ऐसी स्थिति के दौरान, कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के आवास में काम करने में आसानी के लिए फर्नीचर (जैसे टेबल, एर्गोनॉमिक चेयर, आदि) के अलावा हाई स्पीड इंटरनेट, प्रिंटर, डेस्कटॉप, स्टेशनरी आदि के जरिए बुनियादी ढांचा लगाने का प्रयास किया, जिससे काम के लिए उचित माहौल बन सके.
कुछ कंपनियों ने इस तरह के फर्नीचर व अन्य वस्तुओं पर खर्च को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को एक निश्चित भत्ता देने का फैसला किया. जबकि अन्य ने रीइंबर्समेंट देने का फैसला किया. जबकि भत्ता और रीइंबर्समेंट दोनों ही बिजनेस रिक्वायरमेंट के लिए है, ऐसे में टैक्स लगाए जाने की संभावना होती है. ऐसे में सरकार को बजट में इनपर राहत देने का प्रावधान करना चाहिए.
इनकम स्लैब/टैक्स रेट का निर्धारण
60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तिगत करदाताओं के लिए आयकर छूट सीमा 2.5 लाख सालाना है. इस लिमिट में वित्त वर्ष 2014-15 से कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. पिछले साल बजट 2020 ने करदाताओं को मौजूदा कर व्यवस्था और एक वैकल्पिक वैकल्पिक नई कर व्यवस्था के बीच चयन करने की अनुमति देकर कुछ राहत प्रदान की थी. इसे और सरल बनाने और शुद्ध डिस्पोजेबल आय को बढ़ाने के उद्देश्य से इस पर विचार किया जा सकता है कि क्या मौजूदा कर व्यवस्था के तहत मूल छूट सीमा बढ़ाई जा सकती है.
हाउसिंग टैक्स
रियल एस्टेट क्षेत्र में मोमेंटम तेज करने के लिए सरकार नेट एनुअल वैल्यू के 30 फीसदी की मानक कटौती को 50 फीसदी तक बढ़ा सकती है. या सेल्फ ऑक्युपाइड प्रॉपर्टी पर हाउसिंग लोन पर देय ब्याज की कटौती की वर्तमान सीमा को 4 लाख सालाना बढ़ा सकती है.
80C में डिडक्शन
इसके अलावा इनम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत सरकार को छूट की लिमिट 1.5 लाख रुपये से बढाना चाहिए. इससे सेविंग्स को लेकर लोग ज्यादा अट्रैक्ट होंगे. बता दें कि कई टैक्स सेविंग्स निवेश इस सेक्शन के तहत आते हैं. इसे 3 लाख करने पर सरकार विचार कर सकती है.
(By Parizad Sirwalla, Partner and Head, Global Mobility Services-Tax, KPMG in India)