/financial-express-hindi/media/post_banners/DDlEwMYbQVyBTTZdn954.jpg)
साल 2019 की बात करें तो यसह साल भारतीय अरबपतियों के लिहाज से भी कई बड़ी घटनाओं वाला रहा है.
/financial-express-hindi/media/post_attachments/QZVMg1oVvmozzbGOKqKO.jpg)
साल 2019 की बात करें तो यसह साल भारतीय अरबपतियों के लिहाज से भी कई बड़ी घटनाओं वाला रहा है. देश में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कानून लागू होने और सरकार द्वारा बैंकों की बैलेंसशीट साफ सुथरी करने के लिए उठाए गए कदमों की वजह से कुछ भारतीय अरबपतियों के लिए यह साल खस्ताहाल रहा है. इसके तहत कुछ की संपत्तियां जहां जब्त की गईं, वहीं कुछ को इन्सॉल्वेंसी का सामना करना पड़ा. फिलहाल इन सबके चलते 2019 में कुछ अरबपतियों को जहां जेल हुई तो कुछ की डेथ भी हो गई. वहीं कुछ को दिवाला कानून का सामना करना पड़ा.
डिस्ट्रेस एंड डेट रीस्ट्रक्चरिंग एडवाइजरी फर्म ब्रेसकॉन एंड एलाइड पार्टनर्स LLP के फाउंडर निर्मल गंगवाल का कहना है कि भारी भरकम कर्ज लेकर लाइफ में ग्रोथ का आनंदद लेने वाले टायकूंस के लिए साल 2019 हटकर रहा है. ऐसे कई फर्म ताश के पत्तों की तरह ढह गए, बल्कि यह गिरावट भी अभूतपूर्व थी. कुछ ऐसे कारोबारी भी हैं जो भारी भरकम कर्ज लेकर फरार हो गए. उनपर जनता की नाराजगी को देखते हुए सरकार आर्थिक अपराध पर भी नकेल कस रही है. कुछ अरबपति तो विदेश भागने में कामयाब रहे, लेकिन कुछ के बाहर जाने पर रोक लगा दी गई.
अनिल अंबानी
इस साल रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी के लिए भी बुरा साबित हुआ है. मार्च में वह जेल जाते जाते बच गए, जब उनके बड़े भाई और भारत के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी ने उनकी मदद की. अनिल अंबानी की मुसीबत उस समय बढ़ गई, जब देश की सर्वोच्च अदालत ने एरिक्सन मामले में 7.7 करोउ़ डॉलर की बकाया राशि का भुगतान करने को कहा. ऐसा न कर पाने पर अनिल अंबानी को जेल जाना पड़ता. लेकिन मुकेश अंबानी ने ऐन वक्त पर उनकी मदद कर जेल जाने से बचा लिया. इस साल अनिल अंबानी की कंपनियां भारी घाटे में रही हैं. आरकॉम दिवालिया हो गया, जबकि रिलायंस नवल्स एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड को नकदी संकट का सामना करना पड़ा. रिलायंस कैपिटल लिमिटेड कर्ज बेचने के लिए संपत्ति बेच रही है.
मालविंदर और शिविंदर सिंह
एक बड़ी फार्मा कंपनी के पूर्व प्रमोटर्स और सेकंड लार्जेस्ट हॉस्पिटल चेन के मालिक मालविंदर सिंह और शिंविंदर सिंह को 2019 में जेल जाना पड़ा. इन पर गलत तरीके से करीब 33.70 करोड़ डॉलर के धन की हेराफेरी का आरोप था. इनका जापान की एक औषधि निर्माता कंपनी के साथ भ्राुगतान को लेकर विवाद है. दोनों भाइयों में भी इसी हेराफेरी को लेकर इस साल विवाद खुलकर सामने आया.
वीजी सिद्धार्थ
इस साल CCD के नाम से मशहूर कैफे कॉफी डे के फाउंडर वी जी सिद्धार्थ ने नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली. उनका शव कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में नेत्रावती नदी में मिला. सिद्धार्थ कारोबार में घाटे से परेशान थे. उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों और बोर्ड आफ डायरेक्टर को इस बारे में एक लेटर भी लिखा, जिसमें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पर प्रताड़ना का आरोप भी लगाया था.
कॉफी डे एंटरप्राइजेज लिमिटेड की देनदारी वित्त वर्ष 2018-19 में दोगुनी होकर 5200 करोड़ रुपये हो गई. इसके अलावा उनकी गैर-सूचीबद्ध रीयल्टी समेत अन्य इकाइयों पर भी बड़ा कर्ज था. हालांकि उन्होंने सूचीबद्ध और चार गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में अपने शेयरों को गिरवी रखकर पूंजी जुटाने की कोशिश की थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए.
नरेश गोयल
पूर्व टिकट एजेंट नरेश गोयल, जिन्होंने वैल्यू के आधार पर भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन का निर्माण किया, मार्च में जेट एयरवेज इंडिया लिमिटेड के चेयरपद को छोड़ दिया. वह उन बैंकों के दबाव में थे जिन्होंने कंपनी पर कब्जा कर लिया था. प्राइस वार और बढ़ती लागत ने जेट को नुकसान में धकेल दिया था. एयरलाइन ने अप्रैल में उड़ान बंद कर दी और 2 महीने बाद दिवालिया हो गई, क्योंकि ऋणदाता खरीददार खोजने में विफल रहे. जुलाई में, एक भारतीय अदालत ने नरेश गोयल को सरकार द्वारा विदेशी उड़ान भरने से प्रतिबंधित कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि यह जेट एयरवेज से जुड़े 260 करोड़ डॉलर के धोखाधड़ी की जांच कर रहा है.
राणा कपूर
यस बैंक के फाउंडर राणा कपूर ने सितंबर 2018 में ट्वीट किया कि उनके शेयर इनवैल्यूएबल थे और अपने बच्चों से अनुरोध किया कि वे उन्हें विरासत में कभी न बेचें. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि वह मुसीबत में आने वाले हैं. देश के बैंकिंग रेगुलेटर ने पाया कि यस बैंक के बैड लोन की सही जानकारी नहीं दी जा रही है. जिसकी वजह से बैकिंग रेगुलेटर ने राणा कपूर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में उनके कार्यकाल का विस्तार करने से इनकार कर दिया. इसके बाद 62 साल के राणा कपूर अपना पद छोड़ने को मजबूर हुए.