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साल 2023 में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 11,399.52 अंक या 18.73 फीसदी बढ़ा, जबकि एनएसई निफ्टी में 3,626.1 अंक या 20 फीसदी की तेजी हुई.
एक यादगार साल और निवेशकों को मिले शानदार मुनाफे के बाद भारतीय शेयर बाजार अहम घटनाक्रमों से भरे 2024 में एंट्री करने के लिए तैयार है. नए साल में शेयर बाजार की निगाह अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व और भारतीय सेंट्रल बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के ब्याज दरों फैसलों, लोकसभा चुनाव और भू-राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रहेगी. जानकारों का मानना है कि घरेलू शेयर बाजार में तेजी जारी रहेगी और अगले तीन से छः महीने में अहम शेयर इंडेक्स - सेंसेक्स और निफ्टी सात फीसदी (7%) तक चढ़ सकते हैं. साल 2023 में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 11,399.52 अंक या 18.73 फीसदी बढ़ा, जबकि एनएसई निफ्टी में 3,626.1 अंक या 20 फीसदी की तेजी हुई.
नए साल में शेयर बाजार के लिए ये फैक्टर होंगे अहम
जानकारों का मानना है कि 2024 लोकसभा चुनाव, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव, अमेरिका और भारत के ब्याज दरों की चाल, मंहगाई दर के रुझान और भू-राजनीतिक हालात नए साल में शेयर बाजार की दिशा तय करने में अहम कारक होंगे. उनका मानना है कि बाजार 2024 के आम चुनावों में बहुमत के साथ सत्तारूढ़ पार्टी की केंद्र में वापसी चाहती है.
एक्सपर्ट की राय
मोतीलाल ओसवाल ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रिब्यूशन ने अपने एक बयान में कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव और उसके बाद पहले आम बजट पर सभी की नजर रहेगी. ब्याज दर में किसी भी कटौती से बाजार को अतिरिक्त बढ़ावा मिलेगा. इस साल यानी 2023 में शेयर बाजार के निवेशकों की पूंजी में 81.90 लाख करोड़ रुपये की भारी बढ़ोतरी हुई.
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के चेयरमैन राकेश मेहता ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है और हाल में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा की बढ़त ने निवेशकों की भावना को और बल दिया है. उन्होंने कहा कि व्यापक आर्थिक कारकों के सकारात्मक होने के साथ ही अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट के चलते एक बार फिर भारतीय बाजारों में एफपीआई का निवेश बढ़ा है. उन्होंने उम्मीद जताई की मौजूदा तेजी अगले 3 से 6 महीनों में बनी रहेगी. इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में 5 से 7 फीसदी की बढ़ोतरी और मिडकैप, स्मॉलकैप सूचकांकों में 10 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा सकती है.
शेयर कारोबार प्लेटफार्म ट्रेडिंगो के संस्थापक पार्थ न्यति ने कहा कि 2024 में उम्मीद है कि विदेशी निवेशक खरीदारी करेंगे. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट और डॉलर सूचकांक के कमजोर होने के कारण ऐसा होगा.