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दौलत के आसमान में अडाणी की ऊंची छलांग! क्या बेतहाशा बढ़ोतरी में कई जोखिम भी छिपे हैं?

अडाणी ने जिस तरह से इस साल संपत्ति अर्जित करने के मामले में वॉरेन बफेट और मुकेश अंबानी को भी पीछे छोड़ दिया, उससे जोखिम थ्योरी को ज्यादा बल मिला

अडाणी ने जिस तरह से इस साल संपत्ति अर्जित करने के मामले में वॉरेन बफेट और मुकेश अंबानी को भी पीछे छोड़ दिया, उससे जोखिम थ्योरी को ज्यादा बल मिला

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दौलत के आसमान में अडाणी की ऊंची छलांग! क्या बेतहाशा बढ़ोतरी में कई जोखिम भी छिपे हैं?

विश्लेषकों को गौतम अडाणी की कंपनियों की संपत्ति में बेतहाशा बढ़ोतरी में जोखिम दिख रहा है.

दिग्गज उद्योगपति गौतम अडाणी की संपत्ति में इस साल 43 अरब डॉलर यानी लगभग तीन लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ. इससे वह एशिया में दूसरे सबसे अमीर शख्स हो गए. लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि अडाणी की संपत्ति में  आसमानी उछाल में कई जोखिम भी छिपे हैं. अडाणी की कुल संपत्ति 76.7 लाख अरब डॉलर यानी 5.60 लाख करोड़ रुपये की है. अडाणी की इस संपत्ति में इस इजाफे में उनकी कपनी टोटल गैस लिमिटेड की संपत्ति में 330 फीसदी बढ़ोतरी की भूमिका है. उनकी फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज में इस साल 235 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं अडाणी ट्रांसमिशन लिमिटेड में इस साल 263 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.

अडाणी ग्रुप की कंपनियों में विदेशी फंड्स की बड़ी हिस्सेदारी से बढ़ा जोखिम

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भले ही इस साल अडाणी की संपत्ति में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई हो लेकिन विश्लेषकों की नजर में इसमें जोखिम भी है.ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस एनालिस्ट गौरव पाटनकर और नीतिन चंडुका ने कंपनी के टेक्निकल इंडिकेटर्स की समीक्षा के बाद लिखा कि अडाणी ग्रुप की कंपनियों के खास कर इन तीनों कंपनियों के शेयरों की कीमत काफी बढ़ी हुई लग रही है. यानी ये इनकी वास्तविक कीमत नहीं है. नोट में कहा गया है कि अडाणी ग्रुप की कंपनियों के कुछ बड़े निवेशकों में मारीशस स्थित फंड्स शामिल हैं. इन फंड्स के पास इन कंपनियों की 95 फीसदी हिस्सेदारी है. कुछ ही फंड्स के पास इतनी बड़ी हिस्सेदरी और घरेलू निवेशकों की न के बराबर हिस्सेदारी इसे जोखिम भरा बनाती है. यही वजह है कि बड़े निवेशक अडाणी की कंपनी से दूरी बनाते दिख रहे हैं. अडाणी ने जिस तरह से इस साल संपत्ति अर्जित करने के मामले में वॉरेन बफेट और मुकेश अंबानी को भी पीछे छोड़ दिया, उससे जोखिम थ्योरी को ज्यादा बल मिला है.

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शेयरों की कीमतों में उछाल वास्तविक नहीं?

विश्लेषकों ने लिखा कि ओवरसीज फंड्स के पास कंपनी के शेयरों का बड़ा हिस्सा है. इससे पब्लिक शेयर कम हो जाते हैं और कंपनी में उतार-चढ़ाव के शेयरों की आशंका बढ़ जाती है. ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस की ओर से इकट्ठा किए गए डेटा के मुताबिक अडाणी ग्रुप की कंपनियों में इलेरा ऑपर्च्यूनिटीज फंड, एपीएमएस इनवेस्टमेंट फंड , क्रेस्टा फंड, अलबुला इनवेस्टमेंट फंड, एलटीएस इनवेस्टमेंट फंड और एशिया इनवेस्टमेंट कॉर्प की 95 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है . अडाणी ग्रुप के  शेयर 200 दिनों के मूविंग एवरेज से 150 से 200 फीसदी तक ट्रेड करते हैं. आंकड़ों के नजरिये से देखें तो यह बढ़ा हुआ लग रहा है. यहां तक कि टेस्ला के शेयर भी जब शीर्ष पर पहुंचे तो 200 दिनों के मूविंग एवरेज से 126 फीसदी ज्यादा पर ही ट्रेड कर रहे थे.

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