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गौतम अडाणी के उद्योग समूह की कंपनी ADSTL ने एयर वर्क्स के अधिग्रहण का एलान किया है. (File Photo)
Adani Group's Buying Spree Continues: अडाणी समूह के विस्तार का सिलसिला लगातार जारी है. एशिया के सबसे रईस उद्योगपति गौतम अडाणी के समूह की कंपनी अडाणी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (ADSTL) ने एयर वर्क्स (Air Works) के अधिग्रहण का एलान किया है. ADSTL की तरफ से मंगलवार को किए गए एलान के मुताबिक यह अधिग्रहण एयर वर्क्स की 400 करोड़ रुपये की एंटरप्राइज़ वैल्यू के आधार पर किया जाएगा. एयर वर्क्स एयरक्राफ्ट्स के मेंटेनेन्स, रिपेयर और ओवरहॉलिंग (MRO) सेक्टर में काम करने वाली महत्वपूर्ण कंपनी है.
देश के 27 शहरों में फैला है एयर वर्क्स का कामकाज
अडाणी ग्रुप कंपनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि एयर वर्क्स के अधिग्रहण के लिए कुछ समझौतों पर दस्तखत भी कर लिए गए हैं. बयान के मुताबिक एयर वर्क्स ने देश के महत्वपूर्ण डिफेंस और एयरोस्पेस क्षेत्र में अपनी ऑपरेशनल कैपेसिटी का काफी विकास किया है और उसका कामकाज देश के 27 शहरों में फैला है और उसके पास 6 मेंटेनेन्स बेज़ (maintenance bays) भी हैं.
सिविल, डिफेंस एयरोस्पेस में MRO की अहम भूमिका
ADSTL के सीईओ आशीष राजवंशी का कहना है कि भारत में जैसे-जैसे एयरलाइन्स और एयरपोर्ट्स का विकास हो रहा है, MRO सेक्टर की भूमिका और महत्वपूर्ण होती जा रही है. उनके मुताबिक सिविल के साथ-साथ डिफेंस एयरोस्पेस सेक्टर में भी MRO की भूमिका बेहद अहम है. राजवंशी ने कहा कि एयर वर्क्स ने इस सेक्टर में न सिर्फ अपनी क्षमताओं को साबित किया है, बल्कि कई ऐसे प्रोजेक्ट भी डिलीवर किए हैं, जो देश में अपनी तरह की पहली मिसाल हैं. उन्होंने कहा कि एयर वर्क्स की यह क्षमता अडाणी ग्रुप के साथ जुड़ने से और भी बढ़ जाएगी, जिससे एक महत्वपूर्ण क्षेत्र आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ेगा.
एयर वर्क्स को हासिल है DGCA, EASA सर्टिफिकेशन
एयरवर्क्स एयर फोर्स के अलावा बोइंग और एयरबस जैसी कंपनियों के विमानों के मेंटेनेन्स, रिपेयर और ओवरहॉलिंग का काम भी करती है. इसके लिए कंपनी के मुंबई, दिल्ली, होसुर और कोच्चि में मौजूद MRO फेसिलिटीज़ को डायरेक्टररेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के साथ ही साथ यूरोपियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी (EASA) का सर्टिफिकेशन भी मिला हुआ है.
भारत में MRO हब बनने की क्षमता है
एयर वर्क्स ग्रुप के एमडी और सीईओ डी आनंद भास्कर ने कहा कि भारत डिफेंस और सिविल एयरक्राफ्ट्स के लिए MRO का हब बनने की क्षमता रखता है. इस लिहाज से ADSTL का हिस्सा बनना एयर वर्क्स और उसके कर्मचारियों के लिए एक शानदार मौका है. उन्होंने कहा कि सिविल और डिफेंस MRO को एक साथ लाने के भारत सरकार के नीतिगत फैसले ने इस क्षेत्र के विस्तार की नई संभावनाएं पैदा की हैं, जिससे रोजगार के अवसर भी काफी तेजी से बढ़ेंगे.