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अडाणी विल्मर के आईपीओ के तहत सिर्फ नए शेयर जारी होंगे यानी कि वर्तमान शेयरधारक और प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी की ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत नहीं कम करेंगे.
Adani Wilmar IPO size reduced: फॉर्च्यून (Fortune) ब्रांड के नाम से खाने का तेल समेत कई फूड प्रोडक्ट बेचने वाली दिग्गज कंपनी अडाणी विल्मर लिमिटेड (AWL) ने आईपीओ साइज में कटौती की है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक पहले कंपनी 4500 करोड़ रुपये का आईपीओ लाने की तैयारी कर रही थी लेकिन अब इसका आकार घटाकर 3600 करोड़ रुपये कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक यह आईपीओ इसी महीने जनवरी 2022 में आ सकता है. लिस्टिंग के बाद भारतीय शेयर बाजारों में लिस्ट होने वाली अडाणी ग्रुप की सातवीं कंपनी हो जाएगी. अभी अडाणी ग्रुप की छह कंपनियां अडाणी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises), अडाणी ट्रांसमिशन (Adani Transmission), अडाणी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy), अडाणी पॉवर (Adani Power), अडाणी टोटल गैस (Adani Total Gas) और अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशनल इकोनॉमिक जोन (Adani Ports and Special Economic Zone) लिस्टेड हैं.
अडाणी विल्मर अहमदाबाद की अडाणी ग्रुप और सिंगापुर की विल्मर ग्रुप की ज्वाइंट वेंचर हैं जिसमें दोनों ही ग्रुप की आधी-आधी हिस्सेदारी है. यह एक एफएमसीजी फूड कंपनी है जो खाने का तेल, गेहूं का आटा, चावल, दाल और चीनी जैसी रसोई के सामानों की बिक्री करती है. इसके अलावा ओलियोकेमिकल्स, कैस्टर ऑयल व इसके डेरिवेटिव्स और डी-ऑयल्ड केक्स जैसे इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स की भी बिक्री करती है.
जुटाए गए पैसों का ऐसे होगा इस्तेमाल
अडाणी विल्मर के आईपीओ के तहत सिर्फ नए शेयर जारी होंगे यानी कि वर्तमान शेयरधारक और प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी की ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत नहीं कम करेंगे. कंपनी ने इश्यू साइज को 4500 करोड़ रुपये से घटाकर 3600 करोड़ रुपये करने का फैसला किया है और जानकारी के मुताबिक कंपनी ने इसके लिए सिर्फ आम कॉरपोरेट उद्देश्यों के हिस्से को कम करेगी और इश्यू को लेकर जो पहले मुख्य उद्देश्य तय किए गए थे, उसमें कोई कटौती नहीं होगी.
नए शेयरों के जरिए जुटाए गए 1900 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कैपिटल एक्सपेंडिचर, 1100 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कर्ज चुकता करने और 500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल रणनीतिक तौर पर अधिग्रहण व निवेश के लिए किया जाएगा. कंपनी फूड्स, स्टेपल्स और वैल्यू एडेड प्रोडक्ट की कंपनियों या ब्रांड का अधिग्रहण कर सकती है.
साइज कम करने के बावजूद नगदी कम होने के आसार नहीं
जानकारी के मुताबिक आईपीओ का साइज घटाने पर निवेशकों की प्रतिक्रिया सकारात्मक हो सकती है क्योंकि इससे कंपनी को निवेश की गई पूंजी पर रिटर्न (ROCE) और इक्विटी पर रिटर्न को बेहतर करने में मदद मिलेगी. इससे यह भी संकेत मिलता है कि कंपनी कम से कम निवेश के जरिए भी बेहतर रेवेन्यू हासिल कर सकती है. आईपीओ साइज घटाने के बावजूद कंपनी के पास नगदी की कमी नहीं होगी क्योंकि यह 1100 करोड़ रुपये के लांग टर्म के पूरे कर्ज को चुकता करेगी जिससे ब्याज की बचत होगी और इसके अलावा कंपनी कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए इक्विटी के जरिए फंडिंग करेगी.