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Hindenburg Research की रिपोर्ट के कारण आए भूचाल के बाद अडानी ग्रुप ने अपने रेवेन्यू ग्रोथ टार्गेट में भारी कटौती कर दी है. ये दावा ब्लूमबर्ग की एक ताजा रिपोर्ट में किया गया है. (File Photo : Reuters)
Adani group cuts growth and capex targets : हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के कारण आए भूचाल के बाद अडानी ग्रुप ने अपने रेवेन्यू ग्रोथ टार्गेट में भारी कटौती कर दी है. ये दावा ब्लूमबर्ग की एक ताजा रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप ने अगले वित्त वर्ष के लिए अपने रेवेन्यू ग्रोथ के लक्ष्य को घटाकर आधा कर दिया है. इतना ही नहीं, ग्रुप ने अगले वित्त वर्ष के लिए अपने कैपिटल एक्सपेंडीचर प्लान में भी भारी कटौती की है. रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए अडानी ग्रुप ने अब अपने कारोबार का तेजी से विस्तार करने की जगह अपनी फाइनेंशियल हेल्थ को सुधारने की रणनीति तैयार की है. इस रणनीति के तहत अब अडानी ग्रुप निवेश पर जोर देने की जगह कैश बचाकर कर्जों को वक्त से पहले चुकाने को ज्यादा प्राथमिकता देगा.
40% से घटाकर 15-20% किया ग्रोथ टार्गेट : रिपोर्ट
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप ने पहले अगले कारोबारी साल के दौरान 40 फीसदी रेवेन्यू ग्रोथ का लक्ष्य रखा था, जिसे अब घटाकर 15-20 फीसदी कर दिया गया है. इसी तरह ग्रुप ने अपने कैपिटल एक्सपेंडीचर (Capex) प्लान में भी भारी कटौती की है. ब्लूमबर्ग के मुताबिक उसे यह जानकारी जिन लोगों ने दी है, उनके नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह जानकारी प्राइवेट डिस्कशन पर आधारित है. रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद बने हालात में अब नया पूंजी निवेश करने की योजना को फिलहाल रोककर पहले निवेशकों का भरोसा हासिल करने पर ध्यान देगा. अगले वित्त वर्ष के दौरान कैपिटल एक्सपेंडीचर के लक्ष्य को घटाकर आधा करने के पीछे भी यही रणनीति काम कर रही है. ग्रुप के मुताबिक अडानी ग्रुप अब कैश बचाकर अपने कर्जों को चुकाने और गिरवी रखे शेयरों को छुड़ाने पर ध्यान देगा.
कैपेक्स रोकने से बचेंगे 24 हजार करोड़ रुपये : रिपोर्ट
24 जनवरी को सामने आई हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में एकाउंटिंग फ्रॉड और स्टॉक मैनिपुलेशन जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे, जिन्हें अडानी ग्रुप अपने लिखित जवाब में खारिज कर चुका है. इसके बावजूद बाजार के सेंटिमेंट पर इस रिपोर्ट का काफी असर पड़ा, जिसके चलते अडानी ग्रुप की नेटवर्थ में भारी गिरावट आ चुकी है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप ने अगर अपनी निवेश की योजना को तीन महीने के लिए भी रोक दिया, तो वो 3 अरब डॉलर यानी करीब 24,800 करोड़ रुपये बचा सकता है. यह रकम कर्ज को कम करने या कैश रिजर्व को मजबूत करने में काम आ सकती है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक उसने रेवेन्यू टार्गेट घटाए जाने और कैपेक्स घटाने के फैसले के बारे में अडानी ग्रुप के एक प्रतिनिधि से भी ईमेल पर संपर्क किया है, लेकिन उनकी तरफ से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है.