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कोरोना महामारी के चलते एडीबी ने भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को कम किया है.
एशिया डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष में भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को 11 फीसदी से कम कर 10 फीसदी कर दिया है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन/रिस्ट्रिक्शंस लगाए गए थे जिसमें अब ढील दी जा रही है. हालांकि अभी भी कई हिस्सों में रिस्ट्रिक्शंस लगे हुए हैं. इसके चलते एडीबी ने देश की इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को कम किया है. इससे पहले एडीबी ने अप्रैल में 10 फीसदी की इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान लगाया था. मल्टीलैटरल फंडिंग एजेंसी ने अपने एशियन डेवलपमेंट आउटलुक (एडीओ) सप्लीमेंट में कहा है कि पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की अंतिम तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 1.6 फीसदी थी जिसके चलते पूरे वित्त वर्ष में भारतीय जीडीपी में अनुमानित 8 फीसदी की बजाय 7.3 फीसदी की दर से सिकुड़न रही.
अगले वित्त वर्ष के ग्रोथ अनुमान में बढ़ोतरी
एडीबी के मुताबिक शुरुआती इंडिकेटर्स से यह दिख रहा है कि जैसे ही लॉकडाउन/रिस्ट्रिक्शंस से ढील दी गई, इकोनॉमिक एक्टिविटी तेजी से पटरी पर आने लगी. एडीबी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ प्रोजेक्शन को 11 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया गया है जो लार्ज बेस इफेक्ट्स को रिफ्लेक्ट करता है. मार्च 2023 में समाप्त होने वाले वाले वित्त वर्ष के लिए एडीबी ने ग्रोथ प्रोजेक्शन को अपग्रेड किया है. एशियाई विकास बैंक के मुताबिक तब तक अधिकतर भारतीयों को कोरोना की वैक्सीन लग जाएगी जिसके चलते इकोनॉमिक एक्टिविटी पटरी पर लौट आएगी. एडीबी ने अगले वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय जीडीपी के ग्रोथ अनुमान को 7 फीसदी से बढ़ाकर 7.5 फीसदी कर दिया है.
चीन के ग्रोथ अनुमान में कोई कटौती नहीं
एडीबी सप्लीमेंट में चीन के ग्रोथ अनुमान में कोई कटौती नहीं की गई है. 2021 के लिए एडीबी ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के विस्तार का अनुमान अभी भी 8.1 फीसदी पर 2022 में 5.5 फीसदी पर स्थिर रखा है. एडीबी के मुताबिक चीन के मामले में डोमेस्टिक व एक्सटर्नल ट्रेंड्स चीन के पक्ष में हैं जिसके चलते अप्रैल में जो फोरकॉस्ट किया गया था, उसमें बदलाव की जरूरत नहीं है. दक्षिण एशिया की बात करें तो एडीबी के मुताबिक मार्च से जून 2021 में उपक्षेत्रों में कोरोना की नई लहर के चलते इकोनॉमिक आउटलुक कमजोर हुआ है. हालांकि इसका प्रभाव सीमित होगा क्योंकि पिछले साल 2020 के मुकाबले कारोबारी और उपभोक्ता महामारी के मुताबिक खुद को ढालने में सक्षम हुए हैं.
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