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पिछले साल अक्टूबर 2021 में टाटा संस ने अपनी सब्सिडियरी टैलेस के जरिए एयर इंडिया का अधिग्रहण किया था.
दिग्गज विमान कंपनी एयर इंडिया (Air India) का स्वामित्व कुछ महीने पहले भारत सरकार से टाटा ग्रुप के पास आया था. अब इसे सिंगापुर में नियामकीय दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. टाटा ग्रुप को यह साबित करना है कि एयर इंडिया का अधिग्रहण सिंगापुर के प्रतिस्पर्धा-रोधी कानूनों (Anti-Competition Laws) का उल्लंघन नहीं करता है. पिछले साल अक्टूबर 2021 में टाटा संस ने अपनी सब्सिडियरी टैलेस (Talace) के जरिए एयर इंडिया का अधिग्रहण किया था.
ये है पूरा मामला
- एयर इंडिया का मालिकाना हक टाटा ग्रुप ने एक बिड के जरिए हासिल किया है.
- टाटा ग्रुप की एक और विमानन कंपनी है विस्तारा (Vistara) है जिसमें टाटा ग्रुप की 51 फीसदी और सिंगापुर एयरलाइंस की 49 फीसदी हिस्सेदारी है.
- एयर इंडिया और विस्तारा सिंगापुर-मुंबई और सिंगापुर-दिल्ली हवाई मार्ग पर तीन में से दो प्रमुख मार्केट प्लेयर में शुमार हैं.
- अब सिंगापुर की एंटीट्रस्ट बॉडी सीसीसीएस (Singapore’s Competition and Consumer Commission) ने शुक्रवार (4 जून) को कहा कि एयर इंडिया के अधिग्रहण से प्रतिस्पर्धा कम हो सकता है क्योंकि एयर पैसेंजर और ट्रांसपोर्ट रूट्स ओवरलैप होंगे. सीसीसीएस के मुताबिक दोनों ही विमान कंपनी प्रतिद्वंद्वी हैं.
- सिंगापुर के प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2004 के सेक्शन 54 के तहत ऐसे सभी कारोबारी विलय को प्रतिबंधित किया गया है जिसके चलते देश में प्रतिस्पर्धा में कमी आए.
अब आगे क्या?
कंपनियों को विलय सौदे की जानकारी सीसीसीएस को देना जरूरी नहीं होता है लेकिन उन्हें इसका खुद से मूल्यांकन करना होता है कि क्या इसकी जानकारी सीसीसीएस को देनी चाहिए या नहीं. अगर उन्हें लगता है कि विलय से किसी कानून का उल्लंघन हुआ है या हो सकता है तो इसकी सूचना सीसीसीएस को देनी होती है. ऐसे मामले में सीसीसीए विलय से प्रतिस्पर्धा पर होने वाले असर का मूल्यांकन करेगी. इस मामले में भी सीसीसीएस ऐसा मूल्यांकन करेगी. 6 जनवरी 2022 को टैलेस ने सीसीसीएस के पास एयर इंडिया के अधिग्रहण को लेकर एक आवेदन किया था कि वह इसका सिंगापुर के कंपटीशन एक्ट के आधार पर मूल्यांकन करे. एंटीट्रस्ट बॉडी पहले चरण का रिव्यू पूरा कर चुकी है.