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टेलिकॉम कंपनियों पर हालांकि AGR, कर्ज और अगले दौर की स्पेक्ट्रम नीलामी के चलते दबाव बढ़ेगा.
Telecom tariff hikes! आने वाले कुछ महीनों में आपके मोबाइल फोन का खर्च बढ़ने जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि टेलिकॉम कंपनियां अगले एक या दो तिमाही में टैफिर दरों में बढ़ोतरी कर सकती हैं. आगामी 1 अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2021-22 में अपने रेवेन्यू ग्रोथ को बढ़ाने के लिए कंपनियां एक बार फिर यह कदम उठा सकती हैं. निवेश संबंधी जानकारी देने वाली कंपनी ICRA की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. इससे पहले, पिछले साल भी कुछ टेलिकॉम कंपनियां ने टैरिफ में इजाफा किया था. कोरोना लॉकडाउन के दौरान जहां कई इंडस्ट्री को तगड़ा झटका लगा था, वहीं टेलिकॉम इंडस्ट्री पर कम असर रहा.
ANI के अनुसार, ICRA का कहना है कि टैरिफ में बढ़ोतरी और ग्राहकों का 2G से 4G में अपग्रेडेशन के चलते एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) में सुधार हो सकता है. मीडियम टर्म में यह करीब 220 रुपये हो सकता है, जिससे अगले दो साल में इंडस्टी का रेवेन्यू 11 से 13 फीसदी और वित्त वर्ष 2022 में आपरेटिंग मार्जिन करीब 38 फीसदी बढ़ेगा.
ICRA का कहना है कि कैश फ्लो जेनरेशन में सुधार और पूंजीगत खर्चों में कमी से नियमित आपरेशन के लिए बाहरी कर्ज की आवश्कयता कम होगी. हालांकि एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) देनदारियों के अलावा कर्ज और अगले दौर की स्पेक्ट्रम नीलामी के चलते टेलिकॉम कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा.
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लॉकडाउन का इंडस्ट्री पर कम रहा असर
कोरोना महामारी के कारण अधिकतर इंडस्ट्री पर बुरा प्रभाव पड़ा लेकिन टेलिकॉम इंडस्ट्री पर इसका अधिक असर नहीं पड़ा. लॉकडाउन की शुरुआत में फिजिकल रिचार्ज की अनुपलब्धता (लॉकडाउन के दौरान दुकानें बंद थीं) और इनकमिंग की सुविधा बढ़ाए जाने के कारण टेलिकॉम कंपनियों के एआरपीयू (एवरेज रेवेन्यू पर यूजर) में कमी आई थी.
लॉकडाउन के दौरान टेलिकॉम कंपनियों ने वैलिडिटी खत्म होने के बाद रिचार्ज न कराए जाने के बावजूद इनकमिंग कॉल की सुविधा बंद नहीं की थी. हालांकि कुछ समय बाद यूजेज और टैरिफ में बढ़ोतरी के कारण स्थिति में सुधार आया. वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन स्कूल, कंटेट वाचिंग ऐड के कारण डेटा यूजेज बढ़ा है.