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कोरोना संकट: आनंद महिंद्रा ने कर्मचारियों को लिखा खत, कहा- भविष्य के लिए खुद को करें तैयार

उद्योगपति और महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने अपने कर्मचारियों को संदेश दिया है.

उद्योगपति और महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने अपने कर्मचारियों को संदेश दिया है.

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PTI
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anand mahindra writes to his employees in coronavirus crisis and lockdown

उद्योगपति और महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने अपने कर्मचारियों को गुरुमंत्र दिया है.

anand mahindra writes to his employees in coronavirus crisis and lockdown उद्योगपति और महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने अपने कर्मचारियों को गुरुमंत्र दिया है.

देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इनकी संख्या 2 हजार के करीब पहुंच गई है. इस बीच उद्योगपति और महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने अपने कर्मचारियों को संदेश दिया है. कोरोना वायरस को अब तक की सबसे भयावह आपदाओं में एक बताते हुए गुरुवार को सभी कर्मचारियों से कहा कि वे लॉकडाउन में निजी और पेशेवर तौर पर खुद को भविष्य के लिये तैयार करें. उन्होंने समूह के दो लाख से ज्यादा कर्मचारियों को एक चिट्ठी के माध्यम से कहा कि यह ऐसी आपदा है, जो पहले कभी नहीं देखी गई.

नए विचारों और इनोवेशन में समय लगाने का सुझाव

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उन्होंने चिट्ठी में पिछली आर्थिक मंदी के दौरान दिये गए अपने सुझाव को भी दोहराया. उन्होंने पिछली मंदी के दौरान कर्मचारियों को बताया था कि संकट के समय को किस तरह से खुद को नए सिरे से तैयार करने में इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने अभी उपलब्ध समय को नए विचारों और इनोवेशन में निवेश करने का सुझाव दिया. उन्होंने भविष्य के लिये बड़े सपने तैयार करने और संकट के खत्म हो जाने के बाद महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाने में संकट के मौजूदा समय का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया.

महिंद्रा ने कहा कि यह कामकाज के लिहाज से सामान्य समय नहीं है. उन्होंने कहा कि वे ऐसे संकट से जूझ रहे हैं जो पहले कभी नहीं आया. वे सभी अपने परिजनों, अपने कारोबार, अपनी अर्थव्यवस्था और अपने देश के लिए चिंतित हैं. इसके बाद भी वे सभी वह कर रहे हैं, जो किया जा सकता है और संकट से दवाब में आए बिना इसके साथ जीना सीख रहे हैं.

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आनंद महिंद्रा ने पर्यावरण पर भी की बात

महिंद्रा ने कहा कि इन परिस्थितियों ने एक ऐसी मोहलत दी है, जिसका इस्तेमाल अच्छे के लिए किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि घर में बंद होने से लोगों को यह मालूम हुआ है कि वे किस तरह से पर्यावरण पर अनावश्यक बोझ डाल रहे थे. उनके मुताबिक उन्होंने मुंबई को कभी इतना खूबसूरत नहीं देखा, जैसा अभी बंद के दौरान दिख रहा है, आसमान नीला है, हवा साफ है, सड़कों पर गंदगी नहीं है.

उन्होंने सवाल किया कि क्या हमें यह सब सीखने के लिये इस तरह के संकट की जरूरत है? क्या संकट के निपट जाने के बाद भी हम इस तरह से नहीं रह सकते हैं? क्या हम पर्यावरण का बेहतर तरीके से इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं? क्या हम कम यात्रा कर कार्बन उत्सर्जन कम नहीं कर सकते हैं? क्या हम बेहतर तरीके से काम करने तथा काम और जीवन का संतुलन बनाने के लिये दूर से ही बैठक और संवाद करने के तरीके पर अमल नहीं कर सकते हैं? सबसे महत्वपूर्ण, क्या हम जीवन जीने के व्यक्तिगत और पेशेवर रवैये को नये सिरे से तैयार नहीं कर सकते हैं?

Anand Mahindra