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रिलायंस कैपिटल ने एचडीएफसी और एक्सिस बैंक को चुकाई जाने वाली किस्त 12 बार चुकाने में असफल रहा है.
Anil Ambani के स्वामित्व वाली Reliance Capital एक बार फिर से बांडधारकों को ब्याज का भुगतान करने से चूक गई. रिलायंस कैपिटल को 22 अप्रैल को नॉन-कंवर्टिबल डिबेंचर (एनसीडी) पर ब्याज का भुगतान करना था. यह खुलासा स्टॉक एक्सचेंज को दी गई नियामकीय जानकारी से हुआ है. हालांकि इसका खुलासा नहीं हो पाया कि यह राशि कितनी थी लेकिन दिसंबर 2020 तिमाही की आय आंकड़ों के मुताबिक कंपनी ने 14,827 करोड़ रुपये के एनसीडी को सूचीबद्ध किया था. इसके अलावा कंपनी HDFC Bank और Axis Bank की किश्तें भी 12 वीं बार चुकाने में असफल रही.
रिलायंस कैपिटल ने इससे पहले अपने प्रमुख एसेट्स के लिए एक्सप्रेशंस ऑफ इंटेरेस्ट (ईओआई) मंगाए थे. कंपनी ने नियामकीय जानकारी में खुलासा किया कि वह कानूनी समस्याओं की वजह से अपने एसेट का मौद्रिकीकरण नहीं कर पा रही है जिसके चलते उसे कर्ज चुकाने में दिक्कत आ रही है. शेयर बाजारों को दी गई सूचना में कंपनी ने कहा कि संपत्तियों की बिक्री पर लगी रोक के चलते उसे यह दिक्कत आ रही है.
HDFC Bank और Axis Bank की 12 किश्तें चुकाने में फेल
रिलायंस कैपिटल ने एचडीएफसी और एक्सिस बैंक को चुकाई जाने वाली किस्त भी 12 बार चुकाने में असफल रहा है. ये किश्तें जनवरी 2020 से लेकर मार्च 2021 के बीच चुकाई जानी थी. रिलांयस कैपिटल एचडीएफसी को हर महीने की 4.77 करोड़ रुपये की किश्त और एक्सिस बैंक को 71 लाख रुपये की किश्त चुकाने में लगातार फेल हो रही है. कंपनी ने एचडीएफसी से 524 करोड़ रुपये का और एक्सिस बैंक से 101 करोड़ रुपये का लोन लिया था. एचडीएफसी बैंक कर्ज पर 10.6-13 फीसदी की दर से और एक्सिस बैंक 8.25 फीसदी सालाना की दर से ब्याज वसूल रही है.
कंपनी पर 20,643 करोड़ का बकाया
रिलायंस कैपिटल पर बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों का 711 करोड़ रुपये बकाया है. हालांकि 28 फरवरी 2021 को कंपनी पर कुल वित्तीय बकाया 20,643 करोड़ रुपये का था. दिसंबर 2020 तिमाही में कंपनी का घाटा बढ़कर 4018 करोड़ रुपये हो गया था जबकि एक साल पहले दिसंबर 2019 तिमाही में उसे 135 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. खर्च की बात करें तो कंपनी का खर्च 8662 करोड़ रुपये का था जो उसके पिछले साल 4731 करोड़ रुपये से लगभग दोगुना था. कंपनी की ब्याज से होने वाली आय भी दिसंबर 2019 में 1400 करोड़ रुपये से घटकल दिसंबर 2020 में घटकर 684 करोड़ रुपये रह गई.