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सेबी द्वारा पीक मार्जिन 100 फीसदी किए जाने के प्रस्ताव के खिलाफ ब्रोकर्स एसोसिएशन ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा है और कुछ सुझाव भी दिए हैं.
स्टॉक ब्रोकर्स के एसोसिएशन ANMI (एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंजेज मेंबर्स ऑफ इंडिया) ने बाजार नियामक सेबी के एक प्रस्ताव के विरोध में वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा है. सेबी द्वारा प्रस्तावित इंट्रा-ड्रे ट्रेडिंग के लिए 100 फीसदी का पीक मार्जिन तय किए जाने के प्रस्ताव को लेकर ANMI का कहना है कि यह वास्तव में जितना मार्जिन होना चाहिए, उससे 300 फीसदी अधिक है. एएनएमआई द्वारा वित्त मंत्रालय को भेजे गए पत्र में कहा गया है 20 मई को सेबी द्वारा जारी प्रस्ताव पर फिर से विचार होना चाहिए.
ब्रोकर्स एसोसिएशन ने सुझाव दिया है कि पीक मार्जिन रिक्वायरमेंट को मौजूदा स्तर से भी नीचे लाया जाना चाहिए. वर्तमान में यह 50 फीसदी है जिसे एएमएमआई ने 25-33.33 फीसदी के बीच किए जाने का सुझाव दिया है. एएनएमआई देश भर के 900 से अधिक स्टॉक ब्रोकर्स का समूह है.
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Future से Options की तरफ ट्रेडिंग हो सकती है शिफ्ट
ANMI इस बात को लेकर चिंतित है कि 1 जून से पीक मार्जिन 50 फीसदी से 75 फीसदी किए जाने का फैसला प्रभावी हो जाएगा. ब्रोकर्स एसोसिशन के मुताबिक पीक मार्जिन में बढ़ोतरी से मार्कट व्यवहार में बदलाव आएगा और फ्यूचर से ऑफ्शन की तरफ ट्रेडिंग शिफ्ट होगी. लोगों की मानसिकता बदलेगी और वे ऑप्शंस ट्रेडिंग अधिक करेंगे और स्टॉक/इंडेक्स फ्यूचर्स व स्टॉक ऑप्शंस से दूर रहेंगे.
ब्रोकर्स एसोसिएशन का कहना है कि अधिक मार्जिन रहने से जिन ट्रेड्स में नुकसान हुआ है, वह लंबे समय तक कैरी फॉरवर्ड किया जाता रहेगा जिससे निवेशकों को सिक्योरिटी का गलत अहसास मिलेगा. मार्जिन बढ़ाए जाने से कैपिटल मार्केट में कम वॉल्यूम के कारण हेजिंग अपॉर्च्यूनिटीज में गिरावट आई है और कमोडिटी मार्केट्स पर अधिक असर पड़ा है.
1 सितंबर से लागू होना है 100% पीक मार्जिन
दिसंबर 2020 और फरवरी 2021 के बीच ट्रेडर्स को पीक मार्जिन कम से कम 25 फीसदी बरकरार रखने के लिए कहा गया था. इसके बाद इसे मार्च और मई के बीच बढ़ाकर 50 फीसदी किया गया. अब सेबी के प्रस्ताव के मुताबिक जून से अगस्त के बीच 75 फीसदी तक किया जाना है. इसके बाद 1 सितंबर से प्रस्ताव के मुताबिक यह 100 फीसदी हो जाएगा. 15 मई को एएमएमआई ने सेबी को लिखा था कि इंट्रा डे के लिए 100 फीसदी का पीक मार्जिन होने पर हेजिंग अपार्च्यूनिटीज कम होगी.
मंत्रालय के साथ अपने डेटा को साझा करते हुए ब्रोकर्स एसोसिएशन ने कहा है कि ट्रेड से जुड़े रिस्क के आधार पर इंट्रा-डे ट्रेड्स के लिए ओवरनाइट मार्जिन की जो दर होनी चाहिए, वर्तमान में उससे 3.33 गुना अधिक है. एएनएमआई का कहना है कि अटेंडेंट रिस्क्स पर आधारित मार्जिन स्पैन (स्टैंडर्ड पोर्टफोलियो एनालिसिस ऑफ रिस्क्स) मार्जिन के 33.33 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए.