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अपोलो हॉस्पिटल्स ने अब तक 30 हजार कोरोना मरीजों का इलाज किया है.
देश के सबसे बड़े हॉस्पिटल चेन अपोलो हॉस्पिटल्स का कहना है कि वह हर दिन देश में 10 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने की व्यवस्था करने में सक्षम है. हालांकि अभी तक सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वैक्सीन का वितरण किस तरह से किया जाएगा और इसमें निजी हेल्थकेयर नेटवर्क की मदद ली जाएगी या नहीं.
अपोलो की मैनेजिंग डायरेक्टर सुनीता रेड्डी के मुताबिक अपोलो हॉस्पिटल्स ने अब तक अपने नेटवर्क में शामिल 74 अस्पतालों, सैकड़ों क्लीनिक्स और हजारों फॉर्मेंसी से इसके लिए 6 हजार स्टॉफ को प्रशिक्षित कर चुकी है. सुनीता रेड्डी के मुताबिक नई दिल्ली में ऑफिशियल्स के इसके लिए बातचीत जारी है.
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सरकार में क्षमता लेकिन लग सकता है समय- रेड्डी
एमडी सुनीता रेड्डी के मुताबिक वे जानना चाहती हैं कि सरकार इस पूरे कार्यक्रम को अकेले हैंडल करना चाहती है या इसमें प्राइवेट सेक्टर को भी मंजूरी देगी. उनका मानना है कि सरकार वैक्सीनेशन प्रॉसेस को सरकार अकेले पूरा कर सकती है लेकिन इसमें समय लग सकता है. उन्होंने सरकार से अपोलो द्वारा मदद की पेशकश की है.
ऐप से अपने क्लाइंटस को दे रही सूचना
अपोलो अपने ऐप के जरिए सभी क्लाइंट्स को सूचना देना शुरू कर दिया है कि अगले 60-120 दिनों के भीतर वैक्सीन के शॉट्स उपलब्ध हो जाएंगे और उनके ग्राहकों को वैक्सीन की सूचना सबसे पहले दी जाएगी. देश में कोरोना वैक्सीन बना रही कंपनी भारत बॉयोटक के चेयरमैन कृष्णा इल्ला के मुताबिक अगले पांच से छह महीनों में कोरोना वैक्सीन की भरमार हो जाएगी.
कोरोना वैक्सीन के जल्द आने की खबरों के बीच इस समय कंपनियां और स्वास्थ्य विशेषज्ञ एक सवाल यह उठा रहे हैं कि क्या भारत के पास 130 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की क्षमता है. इसके अलावा एक और डर यह है कि इसके वितरण में गैरबराबरी हो सकती है मतलब कि अमीर व गरीब लोगों और शहरी व ग्रामीण इलाके के लोगों को वैक्सीन वितरण में असमानता हो सकती है.
निजी सेक्टर की मदद लेने का सुझाव दे रहे एक्सपर्ट्स
अपोलो हॉस्पिटल्स ने दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ बातचीत किया है लेकिन रेड्डी का कहना है कि कंपनियां भी इस समय सरकार के निर्देशों का इंतजार कर रही है क्योंकि वे सबसे पहले वे सरकार को वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने पिछले महीने ब्लूमबर्ग को बताया था कि भारत अपने नेशनल इम्यूनाइजेशन नेटवर्क पर भी निर्भर रहेगा. इस नेटवर्क के जरिए इस समय सालाना करीब 2.67 करोड़ न्यूबॉर्न्स और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगाए जाते हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत की जरूरतों को देखते हुए निजी सेक्टर की मदद लेनी होगी.
अपोलो ने 30 हजार कोरोना मरीजों का किया इलाज
सुनीता रेड्डी के मुताबिक अपोलो ने अब तक 30 हजार कोरोना मरीजों का इलाज किया है और अब तक 4 लाख टेस्ट किए हैं. प्राइवेट हॉस्पिटल की बात करें तो देश में हॉस्पिटल बेड कैपेसिटी का 60 फीसदी निजी अस्पतालों में ही है. हालांकि जून से जब मामले बढ़ने लगे तो कई ऐसे भी मामले सामने आए जब निजी अस्पतालों और डाक्टरों ने कोरोना मरीजों कते इलाज से इनकार कर दिया.