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ऑटो इंडस्ट्री नए मानकों के लिए अब निवेश नहीं कर पाएगी, हालात बेहद मुश्किल: SIAM

SIAM ने यह भी कहा कि AMP2026 के तहत तय लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए सरकारी सहायता की आवश्यकता है.

SIAM ने यह भी कहा कि AMP2026 के तहत तय लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए सरकारी सहायता की आवश्यकता है.

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Auto industry not in position to make further investments for new norms: SIAM

सियाम के अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी और पिछले वित्त वर्ष से जारी सुस्ती के चलते यह क्षेत्र कई साल पीछे चला गया है.

Auto industry not in position to make further investments for new norms: SIAM सियाम के अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी और पिछले वित्त वर्ष से जारी सुस्ती के चलते यह क्षेत्र कई साल पीछे चला गया है.

Indian Auto Industry: ऑटो उद्योग के संगठन सियाम ने शुक्रवार को कहा कि मैन्युफैक्चरर सरकार के नए मानकों के को लागू करने के लिए निवेश करने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि इंडस्ट्री बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है. सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने यह भी कहा कि ऑटोमोटिव मिशन योजना 2026 (एएमपी 2026) के तहत तय लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए सरकारी सहायता की आवश्यकता है.

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सियाम के अध्यक्ष राजन वढेरा ने यहां संगठन के वार्षिक अधिवेशन में कहा कि सरकार के आने वाले नए मानकों को लागू करने के लिए काफी निवेश करना है और कंज्यूमर डिमांड में कमी के कारण इंडस्ट्री को आमदनी नहीं हो रही है. इसलिए 2022 से लागू होने वाले नए मानकों जैसे कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल इफीशिएंसी (CAFE) मानदंड को लागू करने के लिए उद्योग के पास निवेश करने की क्षमता नहीं है. वढेरा ने यह भी कहा कि विनियमों की अधिकता नहीं होनी चाहिए क्योंकि भारत के इमिशन नॉर्म्स पहले ही दुनिया में सबसे सख्त हैं. उन्होंने कहा कि एएमपी 2026 में लिस्टेड लक्ष्यों को हासिल करने के लिए उद्योग को मांग प्रोत्साहन देना जरूरी है.

सबसे क​ठिन दौर में इंडस्ट्री: आयुकावा

मारुति सुजुकी इंडिया के एमडी एंड सीईओ केनिची आयुकावा ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय ऑटो उद्योग इतिहास में सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है और उसे जीएसटी में कमी तथा प्रोत्साहन आधारित स्क्रैपेज नीति के रूप में सरकारी मदद की जरूरत है. आयुकावा, जो ऑटो उद्योग की संस्था सियाम के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी और पिछले वित्त वर्ष से जारी सुस्ती के चलते यह क्षेत्र कई साल पीछे चला गया है. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य संकट के सामने आने पर भारतीय ऑटो उद्योग ने वेंटिलेटर, निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के निर्माण में अपनी भूमिका निभाई और वायरस से लड़ने के लिए विदेशों से परीक्षण किट का आयात भी किया.

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आयुकावा ने सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (SIAM) के 60वें वार्षिक सम्मेलन में कहा, ‘‘हम कह सकते हैं कि अगस्त में हमने पिछले साल की तुलना में वापसी की है. हालांकि, पिछले साल से तुलना करना सही नहीं होगा, क्योंकि उस दौरान उद्योग ने 15-25 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की थी. इस नकारात्मक वृद्धि ने उद्योग को कई साल पीछे कर दिया है.’’

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