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Tata Airlines and Indigo duopoly: क्या भारतीय एविएशन मार्केट दुओपोली की ओर बढ़ रहा है. (Pixabay)
Tata Airlines and Indigo duopoly in Aviation Market: 5 सितंबर 2016 को मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी जियो लॉन्च हुई. जियो के लॉन्च होने से पहले एयरटेल, आईडिया और वोडाफोन का मार्केट में दबदबा था और बीएसएनएल (BSNL), रिलायंस कम्युनिकेशन और एयरसेल की पहुंच ठीक-ठाक थी. लेकिन जियो के लॉन्च होने के कुछ साल बाद ही रिलायंस कम्युनिकेशन और एयरसेल को अपना बोरिया-बिस्तर बांधना पड़ा और एयरटेल के रेवेन्यू में भारी गिरावट आई. जियो ने इतने आक्रमक तरीके से मार्केट में पैठ बनाई कि वोडाफोन और आईडिया को 'Vi' के नाम से एक साथ आना पड़ा. हालांकि अब ऐसा ही कुछ भारत के एविएशन इंडस्ट्री में भी होता दिख रहा है.
गो फर्स्ट दिवालिया हो गई है, जेट एयरवेज के रिवाइवल को लेकर असमंजस है और स्पाइस जेट भी वित्तीय संकट से जूझ रही है. ऐसे में बाजार में लड़ाई सिर्फ दो बड़ी कंपनियां- टाटा एयरलाइंस (Tata Airlines) और इंडिगो (Indigo) के बीच रह गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक टाटा एयरलाइंस और इंडिगो की साझा मार्केट हिस्सेदरी बढकर 87.7 फीसदी तक पहुंच गई है और बाकी बची कंपनियों का आधार 12.3 फीसदी तक सिमट गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एविएशन मार्केट टेलिकॉम सेक्टर की राह पर आगे बढ़ रहा है और क्या दो ही खिलाड़ियों में रह जाएगा मुकाबला?
कंज्यूमर की जेब हो रही है ज्यादा ढीली
गो फर्स्ट भारत की तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइन थी. ऐसे में इसके दिवालिया होने से ऊपर के दो बड़े प्लेयरों (Indigo और Tata Airlines) ने मार्केट को पूरी तरह से कैप्चर कर लिया है. इनके बढ़ते दबदबे का असर फ्लाइट्स के टिकटों पर भी पड़ रहा है, क्योंकि मार्केट में प्रतिस्पर्धा नहीं है. अप्रैल 2023 में दिल्ली से मुम्बई की फ्लाइट की कीमत 14000 रुपये थीं, लेकिन मई में इसकी कीमत 20000 रुपये तक चली गई थी. वहीं, दिल्ली-श्रीनगर का रूट प्राइस 18000 रुपये से 28000 तक चला गया था. इसपर एविएशन एक्सपर्ट, हर्षवर्धन फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, "टाटा के एयर इंडिया अधिग्रहण के बाद मार्केट में इनका दबदबा बढ़ा है, जिसका प्रभाव टिकट की कीमतों पर दिख रहा है." हालांकि उन्होंने आगे कहा कि टिकट के प्राइस एक हद के बाद नहीं बढ़ेंगे क्योंकि मार्केट प्राइस सेंसटिव है." वो कहते हैं कि टिकट का दाम जो बढ़ा है वो एयर ट्रैफिक के सालाना 30 फीसदी के ग्रोथ को रोक देगा क्योंकि लोग 'लीजर ट्रेवलिंग' छोड़ देंगे- जो कंपनियां कभी नहीं चाहेंगी."
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क्यों फेल हो रही हैं एयरलाइन्स?
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, देश में सबसे पहले 1994 में निजी एयरलाइन को उड़ान भरने की अनुमति मिली थी. उसके बाद से 29 वर्षों में अब तक कुल 27 एयरलाइंस को अपना ऑपरेशन बंद करना पड़ा है. हालिया घटनाओं की बात करें तो साल 2022 में हेरिटेज एविएशन प्राइवेट लिमिटेड ने अपना परिचालन बंद कर दिया था. साल 2020 में भी तीन एयरलाइंस- जेक्सस एयर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, डक्कन चार्टर्ड प्राइवेट लिमिटेड और एयर ओडिशा एविएशन लिमिटेड ने भी उड़ान सेवाएं बंद कर दी थीं. कभी देश की दिग्गज एयरलाइन कंपनी रही जेट एयरवेज भी 2019 से बंद है. अब गो फर्स्ट भी दिवालिया हो गया है. ऐसे में क्या कारण है कि भारत में एयरलाइन लगातार फेल हो रही हैं? हर्षवर्धन बताते हैं, "भारत में कॉस्ट आपरेशन बहुत ज्यादा हैं. भारत में लैंडिंग कॉस्ट, पार्किंग कॉस्ट और फ्यूएल कॉस्ट सबसे ज्यादा हैं. यूरोप में भी भारत की तुलना में कम ऑपरेटिंग कॉस्ट है. एक टिकट का 40 फीसदी हिस्सा सरकार को टैक्स के रूप में जाता है. इसके अलावा एयरलाइंस के रखरखाव का खर्चा भी ज्यादा है." गौरतलब है कि गो फर्स्ट के दिवालिया होने का भी कुछ कारण इससे मिलता-जुलता है.
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कैसे डुओपोली की ओर बढ़ रहा है एविएशन मार्केट?
कोरोना वायरस के बाद चरमराया भारतीय एविएशन मार्केट अब धीरे-धीरे पटरी पर लौटता जा रहा है. ट्रेड बॉडी इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) की एक रिपोर्ट से पता चला था कि भारत में घरेलू यातायात महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गया है. हालांकि इसका सबसे ज्यादा फायदा इंडिगो और टाटा एयरलाइंस को हो रहा है. इधर, दूसरे प्लेयर्स की स्तिथि अच्छी नहीं है. गो फर्स्ट और जेट एयरवेज ही नहीं बल्कि स्पाइस जेट भी वित्तीय संकट से जूझ रहा है और अकासा के पास अभी इतना कैरियर है नहीं जो इन दोनों जायंट एयरलाइंस को टक्कर दे सके. ऐसे में मैदान बिलकुल खुला है और उसमें लड़ाई सिर्फ दो एयरलाइन्स इंडिगो और एयर इंडिया के बीच हो रही हैं.
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा जारी हाल ही में जारी किये गए मासिक घरेलू हवाई यातायात डेटा से पता चला है कि इंडिगो और टाटा एयरलाइंस को गो फर्स्ट के ऑपरेशन बंद होने से सबसे ज्यादा फायदा हुआ है. पैसेंजर की बात करें तो इंडिगो की घरेलू बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 61.4 फीसदी हो गई है, जो अप्रैल में 57.5 फीसदी थी. वहीं, टाटा समूह की तीन एयरलाइन कंपनियों की क्युमुलेटिव बाजार हिस्सेदारी अप्रैल के मुकाबले 1.4 फीसदी बढ़कर मई में 26.3 फीसदी हो गई है. दूसरी तरफ, स्पाइसजेट की बाजार हिस्सेदारी अप्रैल के 5.8 फीसदी से घटकर मई में 5.4 फीसदी हो गई. भविष्य में भी इन एयरलाइंस को टक्कर देता कोई नहीं दिख रहा है तो ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि मार्केट डुओपोली की ओर बढ़ रही है.
क्या आगे भी बढ़ेगी डुओपोली?
भारत में मार्केट बढ़ रही है. इसका फायदा ये दोनों प्लेयर्स उठा रहे हैं. 30 अप्रैल को करीब 4 लाख 56 हजार पैसेंजर हवाई यात्रा किये. इससे पहले एक दिन में कभी इतने पैसेंजर ने हवाई सफर नहीं किया है. इस दिन देश के सभी हिस्सों से करीब 2978 फ्लाइट्स ने टेक-ऑफ किया. एक तरफ भारतीय बाजार तेजी से आकार ले रहा है तो दूसरी तरफ इंडिगो और एयर इंडिया अपना दबदबा बढ़ा रही हैं. करीब 4 साल बाद दुनिया का सबसे बड़ा एयर शो, पेरिस एयर शो का आयोजन हुआ. इस दौरान दुनियाभर के एयरलाइन ने 1200 नए एयरक्राफ्ट के आर्डर दिए, लेकिन कंसल्टेंसी IBA के मुताबिक़ इसमें से करीब 1000 ऑर्डर्स इंडिगो और एयर इंडिया ने दिए थे. दोनों एयरलाइंस के अग्रेसिव एक्सपेंशन प्लान को देखते हुए साफ डुओपोली की स्थिति बनती नजर आ रही है, जिससे कम्पटीशन कॉमिशन ऑफ इंडिया (CCI) भी सतर्क है. हालांकि हर्षवर्धन इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं. वो कहते हैं अमेरिका और चीन जैसे मार्केट में अभी भी 4-4 बड़े मार्केट प्लेयर बचे हैं. ऐसे में भारत में कहना कि डुओपोली बढ़ेगी ये गलत है. दो प्लेयर जाते हैं तो दो प्लेयर आते हैं.