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बैंकों में एनपीए की समस्या बहुत गंभीर होती जा रही है.
Bad Bank in Budget 2021: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 1 फरवरी को बजट में सरकारी बैंकों के लिए गंभीर समस्या बन चुकी गैर-निष्पादित संपत्तियों (NPA) के लिए समाधान के तौर पर एक मैनेजमेंट कंपनी के गठन का प्रावधान किया है. वित्त मंत्री ने बजट पेश करते समय कहा कि बैंकों के बही खाते सही करने के लिए उच्च स्तर के उपाय करने की जरूरत है. इसके लिए उन्होंने एक एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड और एसेट मैनेजमेंट कंपनी के गठन का प्रस्ताव रखा है जिसे बैंकों के एनपीए को ट्रांसफर किया जाएगा. यह एक तरह से बैड बैंक की अवधारणा है. इसके अलावा सरकारी बैंकों की वित्तीय क्षमता को और कंसालिडेट (समेकित) करने के लिए बजट में 20 हजार करोड़ से रिकैपिटलाइजेशन करने का प्रस्ताव रखा गया है.
बैंकों में एनपीए की समस्या बहुत गंभीर होती जा रही है. आरबीआई की हालिया फाइनेंसियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक बैंकिंग सेक्टर का ग्रास एनपीए सितंबर 2020 तक पूरी इंड्स्ट्री के लोनबुक का 7.5 फीसदी था जो इस साल सितंबर 2021 तक बढ़कर 13.5 फीसदी हो सकता है.
बैंकों के एनपीए का टेकओवर करेगी Band Bank
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के दौरान कहा कि सरकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति बेहतर करने के लिए जिस कंपनी का गठन किया जाएगा, वह एनपीए की पूरी राशि का टेक ओवर कर लेगा यानी कि बैंकों के खाते से एनपीए की राशि इस कंपनी को ट्रांसफर हो जाएगी. हालांकि अभी इसके बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है.
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क्या होता है बैड बैंक
बैड बैंक एक तरह की एसेट मैनेजमेंट कंपनी है जिसमें बैंकों का एनपीए हस्तांतरित किया जाता है. यह एक तरह से बैंक ही होता है लेकिन इसकी शुरुआत बैड एसेट्स से होती है. यह बैंकों से डिस्काउंट पर एनपीए लेता है और उसे रिकवर करने की कोशिश करता है. बैड बैंक कर्ज देने या डिपॉजिट लेने का कार्य नहीं करता है लेकिन इसके जरिए कॉमर्शियल बैंकों को अपने बही खाते को सुधारने में मदद मिलती है.
2018 में इसी तरह की एक योजना का प्रस्ताव
करीब तीन साल पहले केंद्र सरकार ने 2018 में Project Sashakt योजना का ऐलान किया था. सुनील मेहता की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर यह योजना तैयार की गई थी. इसके तहत पांच सूत्री फॉर्मूले को लागू किए जाने का प्रावधान किया गया था. उस समय सरकार ने कहा था कि 500 करोड़ रुपये से अधिक फंसे कर्ज के लिए एएमसी का गठन किया जाएगा जो बैंकों के एनपीए को खरीदेगी. इस कंपनी में सरकार को कोई दखल नहीं होगा. सुनील मेहता समिति में एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार, बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी एस जयकुमार और एसबीआई के उप प्रबंध निदेशक सी वेंकट नागेश्वर शामिल थे.