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भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने अपनी नई किताब 'इंडिया अहेड 2025 एंड बियांड' में यह बात कही है. (Reuters)
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भविष्य में फाइनेंशियल क्राइसिस की संभावनाओं को कम करने की दिशा में भारत को इंटरनेशनल हाई स्टैंडर्ड्स के अनुरूप विवेकपूर्ण प्रबंधन (प्रूडेंट मैनेजमेंट) और कैपिटल फार्मेशन स्टैंडर्ड्स को बेहतर बनाने की प्रक्रिया जारी रखनी चाहिए.
यह बात भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने अपनी नई किताब में कही है. जालान ने किताब 'इंडिया अहेड 2025 एंड बियांड' में कही है.
जालान ने कहा, "अधिकतम ट्रांसपेरेंसी, खुलासा और जिम्मेदारी लाने की कोशिश जारी रखना भी अहम है ताकि वित्तीय लेन-देन के लिए निवेशक और काउंटर मार्केट और अन्य जोखिमों की पूरी जानकारी और अपने आकलन के आधार पर निर्णय ले सकें."
पूर्व वित्त सचिव और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिमल जालान कहते हैं कि स्ट्रिक्ट मैनेजमेंट स्टैंडर्ड से कुछ दिक्कतें सामने आएगी और बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर अधिक जिम्मेदारी थोपी जाएगी.
हालांकि इंटरनेशनल मसले, स्वरूपों और संबंधों के शामिल होने से वित्तीय क्षेत्र का एक्सचेंज अब सिर्फ पसंद या घरेलू चिंता का मसला नहीं रह गया है. मौजूदा वक्त में वित्तीय कारोबार करना शेष दुनिया की सम्मति पर निर्भर हो गया है. चाहे व्यापार साख की बात हो या प्रत्यक्ष निवेश या अन्य प्रकार का निवेश और कर्ज भारत के वित्तीय व्यापार में उनके भरोसे पर निर्भर करेगा. वह कहते हैं कि इसलिए भारत को अपने प्रूडेंट मैनेजमेंट में कर्व से आगे रहना चाहिए.
नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) समस्या के बारे में जालान कहते हैं कि सभी बैंकों को अपने इंटरनल कंट्रोल और रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम को मजबूत करने के लिए और समय से पड़ताल और कार्रवाई करने के लिए पूर्व चेतावनी संकेत बनाने के लिए जोरदार कड़ी मशक्कत करनी होगी.
इसके बाद, NPA समस्या के समाधान के लिए कॉरपोरेट की बड़ी जिम्मेदारी की जरूरत है ताकि चूक के मामले में समय पर खुलासा हो और सक्षम साख सूचना तंत्र हो. भविष्य में सख्त लेखा और विवेकपूर्ण मानकों की मदद से NPA की समस्या से निपटा जा सकता है.
भारत के केंद्रीय बैंक में शीर्ष पद पर रहे जालान कहते हैं कि भविष्य में कभी न कभी संवेदनशील और विवादास्पद सवाल से जूझना पड़ेगा. चाहे वह हमारे बैंकों के सार्वजनिक क्षेत्र के स्वरूप का हो या अन्य संस्थानों का जो कि भारत के बैंकिंग क्षेत्र पर दबदबा रखता है और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी भूमिका अदा करने में सक्षम है.
निष्पक्ष रूप से इस मसले पर विचार करने के क्रम में फाइनेंसियल सिस्टम के इस विशेष अभिलक्षण के साथ जुड़े लाभ और हानि को भी स्वीकार करना होगा.
वर्ष 2003 से लेकर 2009 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे जलान कहते हैं कि जियोपॉलिटिक्स खतरों, पॉपुलेशन, टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन के बड़े जोखिम हो सकते हैं. इन जोखिमों को दूर करने के लिए देशों को बाजार को अधिक महत्व देना चाहिए और कर्ज पर मौजूदा निर्भरता को फिर से संतुलित करना चाहिए.